यहां तो कबाड़ बन गया ऑक्सीजन जनरेटर
अम्बेडकरनगर। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस की दूसरी लहर में सर्वत्र हाहाकार मचा हुआ है।...
अम्बेडकरनगर। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस की दूसरी लहर में सर्वत्र हाहाकार मचा हुआ है। खासकर ऑक्सीजन के लिए मारामारी की स्थिति है। शायद ही सभी को पता हो कि जिला अस्पताल में आठ साल पहले ही ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना की कर दी गई थी, लेकिन भ्रष्टाचार की गहरे तक हुई पैठ की भेंट चढ़ चुके ऑक्सीजन प्लांट आज केवल शोपीस बनकर रह गया।
संभवत ऐसा न होता तो और अगर जिला अस्पताल का अक्सीजन प्लांट आज संचालित होता तो ऑक्सीजन के लिए इतनी मारामारी ना होती। खासकर केवल ऑक्सीजन जनरेटर ही अगर सही होता तो भी स्थिति इतनी गड़बड़ ना होती। जी हां एक तरफ जहां पूरे देश में ऑक्सीजन गैस के लिए मारामारी हो रही है। सरकार लगातार ऑक्सीजन जनरेटर व ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की व्यवस्था कर रही है। आक्सीजन की कमी से लोग दम तोड़ रहे हैं। ऐसे में जिला चिकित्सालय में लगभग आठ वर्ष पहले लगे ऑक्सीजन जनरेटर को।याद करना उचित है। जो आज कबाड़ बन गया है। वित्तीय वर्ष 2012-13 में जिला अस्पताल में ऑक्सीजन जनरेटर से पूरे अस्पताल में भर्ती मरीजों को पाइप लाइन के जरिए ऑक्सीजन की आपूर्ति किए जाने की व्यवस्था की गई थी। इस पर करोड़ों रुपए पानी की तरह बहाए गया था, लेकिन आज यह सब कुछ केवल दिखावे की वस्तु बन चुका है। जब से यह जनरेटर लगाया गया है तथा उसके साथ ही पूरे अस्पताल परिसर में ऑक्सीजन आपूर्ति के लिए पाइप लाइनों का जाल बिछाया गया है। तब से शायद ही कभी ऐसा कोई दिन रहा हो जब इस जनरेटर से लोगों को ऑक्सीजन मिल सका हो। करोड़ों रुपए की बर्बादी का कोई फायदा नहीं है। जिला अस्पताल परिसर में लगभग 70 लाख रुपए की लागत से ऑक्सीजन जनरेटर की स्थापना की गई थी। तब मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ आरके पटेल थे। माना जाता है कि जनरेटर की खरीद में जमकर कमीशन बाजी का ही परिणाम है कि वह निष्प्रयोज्य हो गया है। सीएमएस डॉ. ओम प्रकाश ने बताया कि जिस कंपनी से जनरेटर को क्रय किया गया था, वह कम्पनी अब बंद हो चुकी है। इससे उसके पार्ट नहीं मिल पा रहे हैं। इससे जनरेटर को बनवाने के कई बार किए गए प्रयास से सफलता नहीं मिल पा रही है।