किसानों के लिए आफत बनी बारिश, सैकड़ों एकड़ फसल बर्बाद
लगातार तीन दिनों से हो बारिश किसानों के लिए आफत बनकर सामने आ गई है।
अम्बेडकरनगर। लगातार तीन दिनों से हो बारिश किसानों के लिए आफत बनकर सामने आ गई है। दर्जनों एकड़ धान की फसल जलमग्न हो जाने के साथ ही गन्ना की फसल गिरने से इसको सहेजने के लिए किसानों के समक्ष संकट उत्पन्न कर दिया है। वहीं सब्जी की फसलों में पानी जमा होने से इसके नुकसान होने की सम्भावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। धान का कटोरा कहे जाने वाले जिले में सम्भवत: किसी की नजर लग गई है। अकबरपुर, टांडा, जलालपुर, आलापुर एवं भीटी को मिलाकर 116492 हेक्टेअर क्षेत्रफल में धान की खेती अबकी बार हुआ है, जब कि 40312 हेक्टेअर क्षेत्रफल में दलहनी फसलों के अलावां करीब 30 हजार हेक्टेअर क्षेत्रफल में गन्ने की खेती के साथ यहां के प्रगतिशील किसानों ने केला तथा सब्जी की खेती 10 हजार हेक्टेअर से ज्यादा क्षेत्रफल में किया है। अगेती धान की फसल मौजूदा समय में पककर तैयार भी हो चुकी है जिसको किसान सहेजना भी शुरू कर दिए थे किन्तु गत तीन दिनों से हो रही बारिश ने किसानों के सब किए कराए पर पानी फेर दिया। पककर तैयार हुई धान की फसल के साथ जिसमें बालियां निकल रही थी वह अधिकांश क्षेत्रों में हवा के तेज झोंकों ने गिरा दिया। हथिया नक्षत्र में हो रही लगातार बारिश से किसान बड़े पशोपेश में पड़ गए है कि अब प्रकृति के प्रकोप से किस तरह से निपटा जाए, वहीं खेतों में जल जमाव हो जाने से हल्दियहवा रोग समेत अन्य कीटों के प्रकोप की सम्भावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। धान के बाद सबसे ज्यादा नुकसान लहलहा रही गन्ना की फसल का हुआ जिसका ग्रोथ बड़ी तेजी से बढ़ रहा था। गन्ना की फसल गिर जाने से उसके वजन के कम होने के साथ यदि खेतों में ज्यादा दिनों तक जल जमाव रहा तो उसमें सड़न पैदा होने की सम्भावना से प्रबल हो गया है। प्रगतिशील ऐसे किसाना जिन्होंने गन्ना की बधाई कर दिया था वह भी रुक-रुक कर हो रही वर्षा से गिर गया है। भोजन का जायका बढ़ाने वाली सब्जी की फसल को प्रभावित करने के लिए इन्द्र देवता ने किसी तरह की कमी नहीं छोड़ा है। आलू का भाव वैसे ही आसमान छू रहा है ऐसे में किसान अगेती आलू की बुवाई की तैयारी में लगे थे और कहीं-कहीं भंडारण किए किसानों ने आलू की अगेती बुवाई कर भी दिया था किन्तु बरसात ने उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया। कमोवेश यहीं स्थिति अन्य सब्जी जिसमें अगेती फूल एवं पत्ता गोभी के अलावां मिर्च, मूली, सोवा, मेंथी एवं पालक की फसल में जल निकासी की व्यवस्था जहां नहीं थी उसको भी भारी नुकसान हुआ।