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बोले अम्बेडकरनगर:अस्पतालों में आयुष्मान योजना बेपटरी

बोले अम्बेडकरनगर:अस्पतालों में आयुष्मान योजना बेपटरी

संक्षेप: Ambedkar-nagar News - प्रधानमंत्री आयुष्मान योजना आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों के लिए बेहतर इलाज सुनिश्चित करने के लिए चलाई जा रही है। हालांकि, सरकारी अस्पतालों में योजना का संचालन बेपटरी है, जिससे बुजुर्गों और महिलाओं को...

Sun, 5 Oct 2025 06:56 PMNewswrap हिन्दुस्तान, अंबेडकर नगर
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आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों के बेहतर इलाज के लिए प्रधानमंत्री आयुष्मान योजना का संचालन हो रहा है। जिले में 12 सरकारी व 17 निजी अस्पतालों में योजना के तहत इलाज सुनिश्चित किया जाता है। शासन से निर्देश है कि न सिर्फ पात्रों का सुचारु रूप से आयुष्मान कार्ड बने, बल्कि उनका चयनित अस्पतालों में सुचारु रूप से इलाज भी हो। हालांकि ऐसा नहीं हो रहा है। सरकारी अस्पतालों में तो योजना पूरी तरह से बेपटरी है, जबकि निजी अस्पतालों में इलाज को लेकर आनाकानी की जाती है। कारण यह कि इलाज में खर्च होने वाली राशि का समय पर भुगतान नहीं होता है।

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इससे सबसे अधिक दिक्कत बुजुर्गों व महिलाओं को होती है। हिन्दुस्तान बोले टीम की दशा व दिशा पर एक रिपोर्ट... अम्बेडकरनगर। गंभीर बीमारियों से ग्रस्त आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों का निशुल्क व बेहतर इलाज सुनिश्चित कराने के लिए केंद्र से संचालित प्रधानमंत्री आयुष्मान योजना का पात्रों को समुचित लाभ नहीं मिल रहा है। निजी अस्पतालों में तो फिर भी पात्र मरीजों का इलाज सुनिश्चित होता है, लेकिन सरकारी अस्पतालों में योजना बेपटरी है। इससे संबंधित मरीजों को खासी परेशानी होती है। उन्हें इलाज के लिए भटकने पर मजबूर होना पड़ता है। जिले के 17 निजी व जिला अस्पताल व राजकीय मेडिकल कॉलेज सद्दरपुर समेत कुल 12 सरकारी अस्पतालों में योजना का संचालन है। वैसे तो लगभग 11 लाख पात्रों का आयुष्मान कार्ड बना है, जिसकी तुलना में लगभग 65 हजार कार्डधारकों का इलाज हो चुका है, लेकिन इसमें ज्यादातर मरीजों का इलाज निजी अस्पतालों में ही सुनिश्चित किया गया है। जिला अस्पताल व राजकीय मेडिकल कॉलेज में तो फिर भी योजना के तहत इलाज सुनिश्चित किया जाता है, लेकिन सीएचसी में इतनी गंभीरता नहीं दिखाई जाती है। नतीजा यह है कि कार्डधारकों को इलाज के लिए एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल तक की दौड़ लगाने को मजबूर होना पड़ता है। इसकी शिकायत जिम्मेदारों के साथ ही जनप्रतिनिधियों से भी की जाती है, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है। सामाजिक कार्यकर्ता अनंतराम वर्मा कहते हैं कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि आयुष्मान कार्डधारकों का बेहतर तरीके से सरकारी व निजी अस्पतालों में इलाज हो। समय समय पर इसकी समीक्षा भी की जानी चाहिए। सरकारी अस्पतालों में योजना का संचालन बेहतर तरीके से हो, इसके लिए ठोस कदम उठाना चाहिए। तभी योजना को साकार किया जा सकता है। बुजुर्गों व महिलाओं को इलाज कराने में होती है समस्या: आयुष्मान योजना के तहत मरीजों का बेहतर तरीके से इलाज सुनिश्चित किए जाने के निर्देश तो हैं, लेकिन इसका समुचित तरीके से पालन नहीं किया जा रहा है। योजना के तहत अस्पतालों में इलाज के लिए सबसे अधिक महिलाओं व बुजुर्गों को दिक्कत होती है। ऐसे बुजुर्ग जो एकल हैं, उनका विशेष कैंप लगाकर आयुष्मान कार्ड बनाए जाने का निर्देश है। यह अलग बात है कि इसका शतप्रतिशत पालन नहीं किया जा रहा है। कई बुजुर्ग ऐसे हैं, जो कार्ड बनवाने के लिए बार बार जिम्मेदारों के कार्यालय का चक्कर लगाने को मजबूर हो रहे हैं। शिकायत दर शिकायत भी करते हैं, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाता है। और तो और बुजुर्गों को इलाज कराने में भी दिक्कत होती है। दरअसल, उन्हें इस बात की स्पष्ट जानकारी ही नहीं हो पाती है कि किस निजी अस्पताल में योजना के तहत इलाज कराए जाने की सुविधा है। इसके साथ ही जब वह निजी अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचते हैं, तो तमाम प्रकार की प्रक्रिया उन्हें बताई जाती हैं। अकबरपुर के सुधाकर व महिपाल कहते हैं कि जिम्मेदारों को चाहिए कि ऐसी व्यवस्था करें, जिससे न सिर्फ बुजुार्गें का सुचारु रूप से आयुष्मान कार्ड बने, बल्कि बेहतर तरीके से इलाज भी सुनिश्चित हो। आयुष्मान कार्ड बनाने में भी आ रही समस्या:आयुष्मान योजना का लाभ लेने के लिए पात्रों को आयुष्मान कार्ड बनवाने में कार्यालयों तक की दौड़ लगानी पड़ती है। वैसे तो आयुष्मान कार्ड बनाने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में शिविर लगता है, लेकिन कर्मचारियों की मनमानी के चलते महज औपचारिकता ही निभाई जाती है। आयुष्मान कार्ड बनाने के लिए समय समय पर ग्राम पंचायतों में शिवरि लगाए जाने के निर्देश हैं। शासन के निर्देशानुसार ग्राम पंचायतों में शिविर तो लगता है, लेकिन इसमें महज औपचारिकता ही निभाई जाती है। कोई न कोई कमीं बताकर पात्रों को लौटा दिया जाता है। आयुष्मान कार्ड बनाने के लिए कौन कौन से कागजात चाहिए, इसकी भी समुचित जानकारी पात्रों को नहीं दी जाती है। ऐसे में कार्ड बनवाने के लिए लोग पहुंचते तो हैं, लेकिन जब कागजात की कमीं बताई जाती है, तो उन्हें मायूस होकर लौटना पड़ता है। जब तक वे कागजात की व्यवस्था करते हैं, तब तक शिविर खत्म हो चुका होता है। ऐसे में फिर उन्हें कार्यालय तक की दौड़ लगानी पड़ती है। भीटी के रामलाल व कटेहरी की शीला कहती हैं कि योजना का समुचित तरीके से प्रचार प्रसार किया जाना चाहिए। ऐसा होने पर पात्रों का आसानी से कार्ड बन जाएगा। बार बार की दौड़ नहीं लगानी पड़ेगी। आयुष्मान योजना आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए बड़ी राहत है। गंभीर बीमारी से जूझ रहे ऐसे मरीजों को इलाज में आर्थिक कमीं महसूस नहीं होती है। हालांकि सभी पात्रों का आयुष्मान कार्ड बनाकर उनका इलाज सही ढंग से हो, इस पर गंभीरता दिखाने की जरूरत है। फूलचंद निजी अस्पतालों में योजना के तहत मरीजों का इलाज किया जाता है। लेकिन कई बार निजी अस्पताल संचालक इलाज में टाल मटोल करते हैं। फिर भी तमाम मरीजों का इलाज निजी अस्पतालों में तय हो रहा है। जिससे मरीजों को महानगरों की भागदौड़ करने से निजात मिली है। विजय नेटवर्क समस्या के चलते कार्ड बनने में काफी परेशानी होती है। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में। यदि यह व्यवस्था सही हो जाए तो पात्रों का योजना के तहत बनने वाला कार्ड समय पर मिल जाए, जिससे कोई बीमारी होने पर वे उसका लाभ उठा सकें। इस पर थोड़ी गंभीरता दिखानी होगी। अशोक ग्रामीण क्षेत्रों में आयुष्मान कार्र्ड बनाने के लिए शिविर का आयोजन होता है। लोगों का कार्ड भी बनाया जाता है। लेकिन समस्या यह है कि कई लोग ऐेसे होते हैं, जिन्हें मायूस होकर लौटना पड़ता है। कारण यह कि उनके कागजात ही पूरा नहीं रहते हैं। ऐसे में जिम्मेदारों को चाहिए कि वे कागजातों के बारे में जानकारी जरूर दें। शैलेंद्र सरकारी अस्पतालों में योजना के तहत इलाज बेहतर ढंग से नहीं हो पाता है। यदि जिला अस्पताल व मेडिकल कॉलेज को छोड़ दिया जाए तो सीएचसी पर इलाज में लापरवाही बरती जाती है। इसके चलते मरीजों को खासी परेशानी होती है। इस व्यवस्था को ठीक करना होगा। देवमुनि आयुष्मान योजना से जुड़ी जो भी शिकायत जिम्मेदारों से की जाती है, उस पर पूरी गंभीरता से सुनवाई नहीं होती है। ऐसे में संबंधित को बार बार कार्यालयों का चक्कर लगाने को मजबूर होना पड़ता है। यदि उनकी समस्या का निस्तारण समय पर हो जाए तो उन्हें परेशानी ही न हो। जयकरन ग्रामीण क्षेत्रों में योजना के तहत जब शिविर लगाकार कार्ड बनाया जाता है तो जिम्मेदारों को मौके का जायजा लेना चाहिए। इससे यह सुनिश्चित होगा कि कार्ड बनाने में लापरवाही तो नहीं बरती जा रही है। साथ ही ग्रामीण अपनी समस्याओं से भी उन्हें अवगत करा सकेंगे। जयप्रकाश बोले जिम्मेदार: इस बारे में सीएमओ डॉ.संजय शैवाल का कहना है कि आयुष्मान योजना का सुचारु रूप से संचालन किया जा रहा है। मरीजों का बेहतर तरीके से चयनित अस्पतालों में इलाज हो रहा है। समय समय पर ग्रामीण क्षेत्रों में शिविर के माध्यम से पात्रों का आयुष्मान कार्ड भी बनाया जा रहा है। जिम्मेदारों के साथ बैठक कर योजना की समीक्षा भी की जाती है।'