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अम्बेडकरनगर: नहीं टूटा परदेशियों के आने का सिलसिला

सूखे होठ, बदहवास चेहरा। माथे पर सिकन और आंखों में बेबसी। मुखमंडल की लुप्त आभा वाले एक, दो, तीन नहीं वरन अनगिनत लोग सोमवार को भी जिले में आए। कोई पांव-पांव, तो कोई वाहनों से आया। जिला मुख्यालय पर बाहर...

सूखे होठ, बदहवास चेहरा। माथे पर सिकन और आंखों में बेबसी। मुखमंडल की लुप्त आभा वाले एक, दो, तीन नहीं वरन अनगिनत लोग सोमवार को भी जिले में आए। कोई पांव-पांव, तो कोई वाहनों से आया। जिला मुख्यालय पर बाहर...
1/ 5सूखे होठ, बदहवास चेहरा। माथे पर सिकन और आंखों में बेबसी। मुखमंडल की लुप्त आभा वाले एक, दो, तीन नहीं वरन अनगिनत लोग सोमवार को भी जिले में आए। कोई पांव-पांव, तो कोई वाहनों से आया। जिला मुख्यालय पर बाहर...
सूखे होठ, बदहवास चेहरा। माथे पर सिकन और आंखों में बेबसी। मुखमंडल की लुप्त आभा वाले एक, दो, तीन नहीं वरन अनगिनत लोग सोमवार को भी जिले में आए। कोई पांव-पांव, तो कोई वाहनों से आया। जिला मुख्यालय पर बाहर...
2/ 5सूखे होठ, बदहवास चेहरा। माथे पर सिकन और आंखों में बेबसी। मुखमंडल की लुप्त आभा वाले एक, दो, तीन नहीं वरन अनगिनत लोग सोमवार को भी जिले में आए। कोई पांव-पांव, तो कोई वाहनों से आया। जिला मुख्यालय पर बाहर...
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3/ 5सूखे होठ, बदहवास चेहरा। माथे पर सिकन और आंखों में बेबसी। मुखमंडल की लुप्त आभा वाले एक, दो, तीन नहीं वरन अनगिनत लोग सोमवार को भी जिले में आए। कोई पांव-पांव, तो कोई वाहनों से आया। जिला मुख्यालय पर बाहर...
सूखे होठ, बदहवास चेहरा। माथे पर सिकन और आंखों में बेबसी। मुखमंडल की लुप्त आभा वाले एक, दो, तीन नहीं वरन अनगिनत लोग सोमवार को भी जिले में आए। कोई पांव-पांव, तो कोई वाहनों से आया। जिला मुख्यालय पर बाहर...
4/ 5सूखे होठ, बदहवास चेहरा। माथे पर सिकन और आंखों में बेबसी। मुखमंडल की लुप्त आभा वाले एक, दो, तीन नहीं वरन अनगिनत लोग सोमवार को भी जिले में आए। कोई पांव-पांव, तो कोई वाहनों से आया। जिला मुख्यालय पर बाहर...
सूखे होठ, बदहवास चेहरा। माथे पर सिकन और आंखों में बेबसी। मुखमंडल की लुप्त आभा वाले एक, दो, तीन नहीं वरन अनगिनत लोग सोमवार को भी जिले में आए। कोई पांव-पांव, तो कोई वाहनों से आया। जिला मुख्यालय पर बाहर...
5/ 5सूखे होठ, बदहवास चेहरा। माथे पर सिकन और आंखों में बेबसी। मुखमंडल की लुप्त आभा वाले एक, दो, तीन नहीं वरन अनगिनत लोग सोमवार को भी जिले में आए। कोई पांव-पांव, तो कोई वाहनों से आया। जिला मुख्यालय पर बाहर...
हिन्दुस्तान टीम,अंबेडकर नगरMon, 30 Mar 2020 09:14 PM
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सूखे होठ, बदहवास चेहरा। माथे पर सिकन और आंखों में बेबसी। मुखमंडल की लुप्त आभा वाले एक, दो, तीन नहीं वरन अनगिनत लोग सोमवार को भी जिले में आए। कोई पांव-पांव, तो कोई वाहनों से आया। जिला मुख्यालय पर बाहर से घर आने वालों के आने का सिलसिला लॉक डाउन के छठवें दिन भी जारी रहा।

कोई दिलवालों का शहर कहे जाने दिल्ली से तो कोई नोयडा, गाजियाबाद, अमृतसर, लुधियाना से आ रहा था। आने वालों में युवा, अधेड़ ही नहीं महिला और बच्चे भी शामिल रहे। सभी में शीघ्र घर पहुंचने की बेताबी थी दिखी। लेकिन उनकी बेताबी को खाकी की ओर से निभाई जा रही जिम्मेदारी के तहत स्क्रीनिंग कराने की प्रक्रिया पूरी करने की भी मजबूरी रही। सभी जल्दी-जल्दी स्क्रीनिंग करा कर गंतव्य को जाने को बेताब रहे। कुछ इसी तरह का नजारा सोमवार को भी जिला मुख्यालय नगर अकबरपुर की प्रमुख सड़कों पर दिखाई पड़ा। इसके चलते लॉक डाउन पूरी तरह से निष्प्रभावी रहा। खासकर मुख्य सड़कों के गहमागहमी रही। वाहन आते जाते रहे। तेज चल रही हवा के साथ बहती धूल से सभी परेशान रहे। लॉक डाउन के चलते लोगों के घरों में रहने के बाद भी सड़कें सन्नाटे से मुक्त नहीं रहीं।

कहीं उपेक्षा, कहीं मानवता तो कहीं संवेदनहीनता: बाहर से आने वालों को कहीं उपेक्षा का दंश झेलना पड़ रहा, तो कहीं मानवता के साथ पेश आया जा रहा है। कहीं मानवता को तार तार भी कर दिया जा रहा है। इसकी बानगी पूर्णिमा थी। पिता रामदरश और भाई आशीष के साथ दिल्ली से आ रही पूर्णिमा को संत कबीरनगर जाना था, मगर दिल्ली से लाने वाली बस से लखनऊ में उतार दिया। वहां से पैदल आना पड़ा। वहीं कटरिया के कन्हैया राम साइकिल से रोडवेज पर गिर पड़े। पुलिस ने उन्हे जिला अस्पताल भेजकर मानवता का परिचय दिया। वहीं एक छह माह के बच्चे को स्क्रीनिंग में स्वस्थ मिलने के बाद भी देव इन्द्रावती पीजी कालेज के क्वारेंटाइन वार्ड में रखना संवेदनहीनता दर्शाता है। बच्चा पिता संजू के साथ दिल्ली से अपने घर खोजतपुर आया है।

जिले में क्वारेंटाइन वार्ड में किया इजाफा: कोरोना के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए जिला प्रशासन की ओर से आगामी दिनों में बेड और वार्ड की कमी की समस्या से निपटने की पहले से ही तैयारी कर रहा है। निजी चिकित्सालयों के साथ कई निजी शिक्षण संस्थानों को अधिग्रहित कर लिया गया है। अकबरपुर के स्टेडियम को भी क्वारेंटाइन वार्ड बना दिया गया है। देव इंद्रावती महाविद्यालय कटेहरी में बेडों की संख्या 200 से बढ़ाकर 400 बेड का क्वारेंटाइन बिंग अस्थाई तौर पर निर्मित किया जाएगा।

583 सौ की स्क्रीनिंग: दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद अथवा अन्य शहरों से पैदल एवं प्रशासनिक व्यवस्था के तहत लोगों की स्क्रीनिंग का दौर सोमवार को तीसरे दिन भी जारी रहा। शाम तक 583 की स्क्रीनिंग कटेहरी, तहसील तिराहा, बस स्टेशन समेत करीब एक दर्जन स्थानों पर स्क्रीनिंग हुई।

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