ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News उत्तर प्रदेश अंबेडकर नगरअम्बेडकरनगर:पूर्ण आजादी के लिए छोड़ा चिकित्सक पद, कूद पड़े आजादी के जंग में

अम्बेडकरनगर:पूर्ण आजादी के लिए छोड़ा चिकित्सक पद, कूद पड़े आजादी के जंग में

बात जब स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की हो तो अकबरपुर नगर के महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी डा. गणेश कृष्ण जेटली का उल्लेख किए बिना चर्चा अधूरी ही रहेगी। और जब चर्चा अनकही बातों की हो तो उनका नाम...

अम्बेडकरनगर:पूर्ण आजादी के लिए छोड़ा चिकित्सक पद, कूद पड़े आजादी के जंग में
हिन्दुस्तान टीम,अंबेडकर नगरWed, 12 Aug 2020 09:02 PM
ऐप पर पढ़ें

बात जब स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की हो तो अकबरपुर नगर के महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी डा. गणेश कृष्ण जेटली का उल्लेख किए बिना चर्चा अधूरी ही रहेगी। और जब चर्चा अनकही बातों की हो तो उनका नाम प्रमुखता में आ जाता है। वे उन विरले सेनानियों में थे जो देश को अंग्रेजों के चंगुल से आजाद कराने के साथ ही समाज में व्याप्त सामाजिक बुराई से भी देश और समाज को मुक्त कराना चाहते थे।

इसके लिए उन्होंने चिकित्सा सेवा, अस्पताल से इस्तीफा दिया और आन्दोलन भी किया। देश के आजाद हो जाने के बाद सामाजिक बुराई के खिलाफ सड़क से लेकर विधानासभा तक आन्दोलन किया। पेशे से कुशल चिकित्सक रहे डॉ गणेश कृष्ण जेतली आजादी की लड़ाई में तब कूद पड़े पर वाराणसी में अछूतों का इलाज करने से उन्हें रोक दिया गया। अछूतों का इलाज करने से मना किए जाने से आहत होकर आजादी की जंग में कूद पड़े थे। डा गणेश कृष्ण जेटली ने लखनऊ मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई की थी। वे मारवाड़ी हिंदू अस्पताल वाराणसी में चिकित्सक के पद पर नियुक्त हुए थे। डा. गणेश कृष्ण ने 1931 में हिंदू मुस्लिम दंगे में भूखे प्यासे रहकर मरीजों की सेवा की थी। चिकित्सक पद से इसलिए इस्तीफा दे दिया था क्योंकि कुछ बीमार लोगों को मारवाड़ी हिंदू अस्पताल वाराणसी अस्पताल से यह कि यहां अछूतों का इलाज नहीं होता कह कर भगा दिया गया था। अस्पताल प्रशासन ने उन्हें इलाज न करने की हिदायत भी दी थी। बीमार लोगों को अछूत बताकर इलाज नहीं किए जाने और उन्हें भी इलाज न करने देने से वे काफी आहत हुए और इस्तीफा देकर अकबरपुर आ गए। अछूत बताए गए समाज के लोगों के साथ किसानों की लड़ाई लड़ने के साथ स्वतंत्रता संग्राम के आंदोलन में कूद पड़े थे। देश को स्वतंत्र कराने में अपनी महती भूमिका निभाई। बाद में वे अल्पकाल के लिए विधानसभा के सदस्य भी चुने गए थे। वे सामाजिक बुराई के खात्मे में शिक्षा को आवश्यक मानते थे। इसी के चलते अकबरपुर में विद्यालय की स्थापना की। अब उनके नाम पर नगर के शहजादपुर में एक इंटर कालेज है। कालेज के सामने लगी उनकी आदमकद प्रतिमा उनके शौर्य की गाथा कहती है।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें