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साझा संस्कृति को जीते थे उमेश शर्मा

प्रगतिशील लेखक संघ की ओर से शनिवार को प्रलेस के संरक्षक और हाईकोर्ट बार कौंसिल के पूर्व अध्यक्ष उमेश नारायण शर्मा की स्मृति में श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई। प्रलेस के अध्यक्ष प्रो. संतोष भदौरिया ने...

साझा संस्कृति को जीते थे उमेश शर्मा
हिन्दुस्तान टीम,इलाहाबादSun, 25 Aug 2019 02:57 AM
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प्रगतिशील लेखक संघ की ओर से शनिवार को प्रलेस के संरक्षक और हाईकोर्ट बार कौंसिल के पूर्व अध्यक्ष उमेश नारायण शर्मा की स्मृति में श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई। प्रलेस के अध्यक्ष प्रो. संतोष भदौरिया ने संरक्षक और हाईकोर्ट बार कौंसिल के पूर्व अध्यक्ष उमेश नारायण शर्मा को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि वह साझा संस्कृति जीते थे। वह इमरजेंसी के समय परिपक्व हुए थे, और उनका व्यक्तत्वि धर्मनिरपेक्ष स्वरूप ग्रहण कर चुका था। उनके साथ ही दूधनाथ सिंह, अमरकांत, रवींद्र कालिया, अकील रिज़वी, शम्सुर्रहमान फारूकी, ज़िया भाई सब शहर में थे। यह लोग शहर की ताकत रहे हैं, शहर की साझा पहचान कायम रखने में इन सभी का बड़ा योगदान है। उमेश शर्मा का साहित्यकारों से बहुत अच्छा राब्ता था। प्रलेस से उनके अभिभावक जैसे संबंध थे। वह जानते थे कि किसकी मदद कैसे करनी है। यह पीढ़ी जो हमारे बीच से रुखसत हो रही है, यह चुनौती भी छोड़ रही है कि हम साझा संस्कृति और सामाजिक लोकतंत्र को कैसे बचाएंगे। प्रलेस उपाध्यक्ष सुरेंद्र राही ने कहा कि उमेश शर्मा का जाना मेरे सिर से छत उठ जाने जैसा है।

डॉ. आरएस श्रीवास्तव ने कहाकि उन्होंने कई मंत्रियों की कानूनी मदद भी बढ़-चढ़ कर की। वरिष्ठ कथाकार असरार गांधी ने कहा कि उमेश शर्मा मेरे सहपाठी थे। वह बहुत हंसमुख और जिंदादिल तबीयत के थे। व्यंग्यकार फजले हसनैन ने कहा कि वह कार्यक्रमों में बहुत सक्रिय रहते थे। बड़ा होना क्या होता है यह उनसे समझ आता है। बुजुर्ग शायर बुद्धिसेन शर्मा का संदेश भी सभा में पढ़ा गया। सभी ने उमेश शर्मा के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की और उनकी स्मृति में मौन रखा। संचालन प्रलेस सचिव संध्या नवोदिता ने किया। नीलम शंकर, शमेनाज, गुरपिंदर, बृजेश, आरती, कमलेश, श्रवण, धीरेंद्र, कुंजबिहारी, सुरेश आदि मौजूद थे।

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