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अति पिछड़े कोरांव के सरकारी स्कूल में चल रही टैब लैब

शहर से 100 किलोमीटर दूर अति पिछड़े कोरांव के सरकारी स्कूल के बच्चे अत्याधुनिक तकनीक से पढ़ाई...

अति पिछड़े कोरांव के सरकारी स्कूल में चल रही टैब लैब
हिन्दुस्तान टीम,इलाहाबादTue, 03 Sep 2019 02:05 PM
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शहर से 100 किलोमीटर दूर अति पिछड़े कोरांव के सरकारी स्कूल के बच्चे अत्याधुनिक तकनीक से पढ़ाई करेंगे। प्राथमिक एवं पूर्व माध्यमिक विद्यालय हरदौन में 29 अगस्त को यूपी के परिषदीय स्कूलों की पहली टैब लैब की स्थापना हुई है। इविवि से बायोइन्फार्मेटिक्स में एमएससी और सेंटर फॉर सेलुलर एंड मॉलीक्यूलर बायोलॉजी हैदराबाद के शोधार्थी रहे एवं वर्तमान में पूर्व माध्यमिक विद्यालय छापर हरदौन के विज्ञान अध्यापक सत्य प्रकाश के प्रयासों से यह संभव हो सका है।जो अत्याधुनिक सुविधा शहर के महंगे कान्वेन्ट स्कूलों में उपलब्ध नहीं है उसके उपयोग से परिषदीय स्कूल के छात्र-छात्राएं शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। टैब लैब में टैबलेट का प्रयोग कर बच्चे खूब खुश हो रहे हैं। जिनको एक दिन मौका नहीं मिलता उनकी उत्सुकता बनी रहती है कि कल उन्हें भी टैबलेट से पढ़ने का मौका मिलेगा। टैब लैब स्थापित होने से अभिभावकों में भी उत्सुक्ता देखी गयी और उनके द्वारा बच्चों को प्रतिदिन विद्यालय भेजने की बात कही गयी है।सत्य प्रकाश ने शिकागो विश्वविद्यालय (अमेरिका) में ह्यूमन जेनेटिक्स विभाग की प्रो. मानसा राघवन व बीरबल साहनी पुरा विज्ञान संस्थान लखनऊ के डीएनए वैज्ञानिक डॉ. नीरज राय से प्रयागराज के अति पिछड़े क्षेत्र में प्राथमिक शिक्षा की स्थिति व इसमें आधुनिक तकनीक के प्रयोग के लिए टैब लैब स्थापित करने की इच्छा जाहिर की थी। इस पर प्रो. मानसा राघवन ने 1.65 लाख रुपये टैबलैब स्थापित करने के लिए आर्थिक सहायता दी। डॉ. नीरज राय के सानिध्य में सत्य प्रकाश ने दोनों स्कूल के इंचार्ज प्रधानाध्यापक दिनेश कुमार सिंह व संतोष कुमार मिश्र की सहायता से टैबलैब की स्थापना की। सरकारी पाठ्यक्रम के आधार पर बनाया टैबलेटटैब लैब की स्थापना गुड़गांव स्थित कम्पनी आई ड्रीम एजुकेशन ने की है। कम्पनी ने बेसिक शिक्षा परिषद के कक्षा 1 से 8 तक के विषयवस्तु पर आधारित हिन्दी माध्यम में 10 टैबलेट तैयार कर उपलब्ध कराया है। टैब लैब आधुनिकतम शिक्षण का वह माध्यम है जिसकी मदद से विद्यार्थी टैबलेट के जरिए स्वयं सीखता है और कई तरह की शैक्षिक गतिविधियों जैसे विज्ञान में प्रोजेक्ट बनाना, गणित को खेल के माध्यम से सीखना आदि स्वयं समूह बनाकर पूरा करते हैं। इसमें उपलब्ध विभिन्न क्षेत्र की 1500 पुस्तकों के जरिए अपना मानसिक स्तर व जीवन स्तर भी सुधार सकते हैं।

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