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बंद सिनेमा घरों में खुलेंगे शापिंग कॉम्पलेक्स

शहर और ग्रामीण इलाकों में वर्षों से बंद पड़े सिनेमा हाल के मालिकों को शासन ने राहत दे दी है। शासन ने निर्णय लिया है कि अब पुराने सिनेमा हाल के भवन को तोड़कर उसके स्थान पर शापिंग कॉम्पलेक्स बनाया जा...

बंद सिनेमा घरों में खुलेंगे शापिंग कॉम्पलेक्स
हिन्दुस्तान टीम,इलाहाबादSat, 22 Dec 2018 01:30 PM
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शहर और ग्रामीण इलाकों में वर्षों से बंद पड़े सिनेमा हाल के मालिकों को शासन ने राहत दे दी है। शासन ने निर्णय लिया है कि अब पुराने सिनेमा हाल के भवन को तोड़कर उसके स्थान पर शापिंग कॉम्पलेक्स बनाया जा सकता है। इसके लिए सिनेमा हाल मालिकों को शासन से अनुमति लेगी होगी।

इस समय जिले में छोटे-बड़े मिलाकर कुल 31 सिनेमा हाल बंद चल रहे हैं। इनमें शहर का सबसे पुराना नाज, विश्वम्भर, लक्ष्मी, पुष्पराज, रूपबानी, काजल, निरंजन, नैनी का सरगम और अशोक सिनेमा हाल भी शामिल है। शासन ने सिनेमा हाल का स्वरूप बदलने की इजाजत पूर्व में भी दी थी लेकिन अभी तक यह शर्त थी कि सिनेमा हाल परिसर में शापिंग कॉम्पलेक्स भी बनाया जा सकता है पर सिनेमा हाल का होना जरूरी होगा। इस व्यवस्था का लाभ उठाकर प्रदेश में कई सिनेमा हाल परिसर में शापिंग कॉम्पलेक्स भी खुल गए। इसके बाद भी बड़ी संख्या में सिनेमा हाल बंद थे। शासन को इनसे राजस्व भी नहीं मिल रहा था इसलिए शासन ने अब बंद पड़े सिनेमा हाल का स्वरूप बदलने का निर्णय लिया है।

प्रभारी सहायक आयुक्त वाणिज्य कर अरविन्द वर्मा ने बताया कि जो सिनेमा हाल मालिक घाटे अथवा अन्य किसी कारण से बंद सिनेमा हाल का स्वरूप बदलते हुए भवन को तोड़कर उसके स्थान पर व्यवसायिक काम्पलेक्स अथवा कोई अन्य निर्माण कराना चाहते हैं विधिक रूप में अपना आवेदन विभाग के माध्यम से शासन को भेजने के लिए कलक्ट्रेट स्थित सहायक आयुक्त वाणिज्य कर, (पूर्व मनोरंजन कर) कमरा नम्बर 44 में संपर्क कर सकते हैं।

जुड़ी हुई हैं शहरियों की कई यादें

शहर के पुराने सिनेमा घरों से शहरियों की कई यादें जुड़ी हुई हैं। खास तौर से उनकी जो इस शहर में पल कर बड़े हुए। छात्र जीवन में कभी अकेले तो कभी परिवार के साथ इन सिनेमा हाल में फिल्मों का देखना, फिल्म का टिकट लेने के लिए लाइन में लगना, ब्लैक में टिकट लेने जैसे कई वाकये शहरियों के स्मृतियों का हिस्सा हैं। सिनेमा हाल में फिल्म भले न दिखाई जाती हो पर इसके भवन को देखकर शहरियों की यादें अब भी ताजा हो जाती हैं पर शासन के नए आदेश से इन भवनों के तोड़े जाने के बाद पुरानी स्मृतियों को ताजा रखने का एक माध्यम समाप्त हो जाएगा।

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