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संगम में केवल पांच फीसदी है गंगा का जल

संगम के आसपास गंगा में केवल पांच फीसदी गंगा जल है। बाकी सहायक नदियों और नाले का पानी ही बचा है। यह बात खड़गपुर आईआईटी के शोध में सामने आई है। गंगा पर आईआईटी के छात्रों ने इलाहाबाद बड़े हनुमान मंदिर के...

संगम में केवल पांच फीसदी है गंगा का जल
हिन्दुस्तान टीम,इलाहाबादFri, 15 Jun 2018 01:50 PM
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संगम के आसपास गंगा में केवल पांच फीसदी गंगा जल है। बाकी सहायक नदियों और नाले का पानी ही बचा है। यह बात खड़गपुर आईआईटी के शोध में सामने आई है। गंगा पर आईआईटी के छात्रों ने इलाहाबाद बड़े हनुमान मंदिर के छोटे महंत योगगुरु आनंद गिरि के नेतृत्व में शोध किया और इसमें यह चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।

योगगुरु आनंद गिरि ने बताया कि गंगा के जल का इलाहाबाद और गंगोत्री, हरिद्वार में नमूना लेकर इसकी जांच के बाद ये परिणाम निकाले थे। 2007 से गंगा पर काम कर रहे योगगुरु ने बताया कि उन्होंने इस काल में गंगोत्री से लेकर गंगासागर तक यात्रा की। इसके बाद 2009 में अपना ग्रीन वैली और क्लीन वैली प्रोजेक्ट केन्द्र सरकार को सौंपा था। बाकायदा अध्ययन के बाद ही उन्होंने गंगा की स्वच्छता पर अपनी रिपोर्ट तैयार की थी।

क्या निकला जांच में

1. गंगा यात्रा के दौरान ऋषिकेश, हरिद्वार, कानपुर, इलाहाबाद और वाराणसी में गंगा का लेवल शहर से नीचे है। यह सबसे बड़ा कारण है कि गंगा में गंदगी सीधे जाती है।

2. गंगा के करीब बसावट लगातार बढ़ती जा रही है। बस्ती करीब होने से गंदगी का नदी में पहुंचना आसान हो रहा है।

3. सभी शहरों में कल कारखानों का केमिकल वाला गंदा जल गंगा में सीधे मिल रहा है। इससे सबसे ज्यादा प्रदूषण फैल रहा है।

क्या है ग्रीन वैली-क्लीन वैली

क्लीन वैली और ग्रीन वैली प्रोजेक्ट में गंगा के आसपास का अध्ययन किया गया। क्लीन वैली के तहत गंगा के दोनों छोरों पर किनारे-किनारे ड्रेनेज के लिए बड़ी पाइप लाइन बिछाकर नालों और कल कारखानों के गंदे जल को इसमें डालें। शहर के बाहर तकरीबन 35 किलोमीटर दूर जहां पर सूखाग्रस्त क्षेत्र हो वहां पर इसे निकाला जाए। एसटीपी में जल का शोधन किया जाए तो सिंचाई के लिए तालाब भी बन सकता है। यह भविष्य के लिए उत्तम होगा और गंगा में गंदा जल जाने से बचेगा। ग्रीन वैली के तहत गंगा के किनारे-किनारे दोनों ओर बांस की खेती कराई जाए। बांस की खासियत होती है इसकी हरियाली। हरा भरा होने के कारण आसपास क्षेत्र साफ रहेगा। इससे बाढ़ आने का संकट नहीं होगा। जलीय जीवों को संरक्षण मिलेगा और काश्तकार बांस से रोजगार भी पा सकेंगे। बांस के सहारे पीपल, बरगद, पाकड़ के पौधे लगाए जा सकते हैं। बांस का सहारे होने से ये पेड़ कभी नहीं गिरेंगे।

ग्रीन वैली के लिए उपयुक्त संसाधनों पर काम किया जाए तो बहुत बेहतर होगा। 80 फीसदी गंगा जल होगा इसके बाद नदी की दशा में कोई फर्क नहीं रहेगा।

आनंद गिरि योगगुरु, संस्थापक गंगा सेना

गंगा में जल की कमी के कारण ऑक्सीजन कम होता जा रहा है। इससे जलीय जीवों की कमी होती जा रही है। गंगा में जल का प्रवाह अधिक करना होगा ताकि हालात में सुधार हो।

संजय श्रीवास्तव, विज्ञान शिक्षक, टैगोर पब्लिक स्कूल

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