राम मंदिर पहले बने, सरकार रहे या न रहे : रामभद्राचार्य
लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार ने गरीब सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देने के फैसले से जहां राजनीति का मास्टर स्ट्रोक लगाया है। वहीं कुम्भ मेले में राम मंदिर निर्माण का मुद्दा सर्वाधिक चर्चा में...
लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार ने गरीब सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देने के फैसले से जहां राजनीति का मास्टर स्ट्रोक लगाया है। वहीं कुम्भ मेले में राम मंदिर निर्माण का मुद्दा सर्वाधिक चर्चा में है। इनके समेत अन्य मुद्दों को लेकर प्रख्यात विद्वान, शिक्षाविद्, बहुभाषाविद्, रचनाकार, प्रवचनकार, दार्शनिक और हिन्दू धर्मगुरु जगद्गुरु रामभद्राचार्य बहुत संवेदनशील हैं। रामानन्द सम्प्रदाय के वर्तमान चार जगद्गुरु रामानन्दाचार्यों में से एक रामभद्राचार्य जी चित्रकूट स्थित जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय के संस्थापक और आजीवन कुलाधिपति हैं। उन्हें 2015 में केंद्र की मोदी सरकार ने पद्मविभूषण से सम्मानित किया था। प्रस्तुत है उनसे खास बातचीत:
प्रश्न: राम मंदिर का निर्माण कब होगा ?
उत्तर: मैं राम मंदिर से 1984 से जुड़ा हूं। मेरा मोदी (प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी) या किसी अन्य किसी से झगड़ा नहीं है। परन्तु मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि सरकार मुख्य कार्यक्रम में इसे शामिल क्यों नहीं कर रही। राम मंदिर प्रकरण में सरकार की उदासीनता से प्रसन्न नहीं हूं। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टल रही है, उम्मीद है कि इस महीने 29 से सुनवाई हो सकेगी। जब भिन्न-भिन्न प्रकरणों में अध्यादेश लाया जा सकता है तो राम मंदिर पर क्यों नहीं। हालांकि अध्यादेश सर्वमान्य नहीं होगा। मैं इतना जानता हूं कि राम मंदिर पहले बनना चाहिए, सरकार रहे या न रहे।
प्रश्न: गरीब सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देने की घोषणा हुई है, आपकी प्रतिक्रिया ?
उत्तर: 10 फीसदी आरक्षण देने का निर्णय बहुत अच्छा है। आखिरकर सवर्ण कब तक भोगते रहें? नरेन्द्र मोदी को समझ आ गया है कि सवर्णों को नहीं छोड़ सकते। वह बहुत चतुर राजनीतिज्ञ हैं। हालांकि यह चुनाव का समय है इसलिए लॉलीपॉप लग रहा है।
प्रश्न: आप कहते हैं विदेशों में संस्कृत का बहुत सम्मान हो रहा जबकि अपने देश में उतना ही अपमान हो रहा है ?
उत्तर: यह सच है। मैं जब अमेरिका गया तो कैलिफोर्निया में 100 क्रिश्चियन लड़कों को फर्राटेदार संस्कृत बोलते देखकर आश्चर्यचकित रह गया। अफ्रीका का डरबन विश्वविद्यालय हो या जर्मनी हर देश में संस्कृत का बहुत सम्मान है। खासतौर से पाणिनी के श्लोक को बहुत सम्मान देते हैं।
प्रश्न: लोग कहते हैं हिन्दू धर्म सिमट रहा है। आपको क्या लगता है ?
उत्तर: ऐसा नहीं है। हिन्दू धर्म तेजी से बढ़ रहा है। वर्तमान में देश में 100 करोड़ हिन्दू हैं। विदेशों में 25 करोड़ हिन्दू निवास कर रहे हैं। आपको यह संख्या कम लगती है? आज हिन्दू धर्म के गीता समेत कई ग्रंथों को वैश्विक मान्यता मिल रही है। ज्योतिषशास्त्र को हर कोई मान रहा है। यहां तक की मुस्लिम भाई भी ज्योतिष मान रहे हैं।
प्रश्न: धर्म, पंथ, सम्प्रदाय और मजहब में क्या अंतर है ?
उत्तर: मजहब और धर्म एक ही शब्द है। धर्म सनातन है। हम कर्तव्य को धर्म मानते हैं। सम्प्रदाय उपासना की पद्धति है। पंथ वह है जिसके प्रवर्तक होते हैं जैसे जैन, सिख आदि।
प्रश्न: सरकार ने कुम्भ को दिव्य और भव्य स्वरूप दिया है। आपको क्या लगता है ?
उत्तर: व्यवस्था अच्छी है। जो लोग मौज मस्ती करने आना चाहते हैं उनके लिए कम सुखद है। आध्यात्मिक सुख लेने वालों को अधिक आनंद प्राप्त हो रहा है।
प्रश्न: लोगों को आप कोई संदेश देना चाहेंगे ?
उत्तर: संपूर्ण देशवासी अच्छी भावना लेकर कुम्भ से जाएं। मन में द्वेष भावना न रहे। हम अमृत के पुत्र हैं। हम जितना त्यागपूर्ण जीवन व्यतीत करेंगे उतना ही कल्याण होगा। राम के सापेक्ष राष्ट्रवाद हो, राम हमारे आदर्श हों। सब कुछ मंगल होगा।