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इविवि प्रोफेसर ने ‘मातृशक्ति को दी पहचान

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास विभाग की प्रो. अनामिका राय और चार अन्य विद्वानों ने योगिनियों के ‘मातृशक्ति के इस रूप को नयी पहचान दिलाते हुए एक पुस्तक लिखी है। इसमें योगिनियों पर विस्तार से...

इविवि प्रोफेसर ने ‘मातृशक्ति को दी पहचान
हिन्दुस्तान टीम,इलाहाबादThu, 22 Aug 2019 02:08 AM
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प्राचीन भारतीय मंदिरों की दीवारों पर आभूषणों से लदी महिलाओं की कमनीय प्रतिमाएं उकेरी देखी जा सकती हैं। अधिकांश मूर्तियां नृत्य, गायन व तंत्र-मंत्र की मुद्रा में हैं। मंदिरों की दीवारों पर उकेरी गईं इन प्रतिमाओं को लेकर विद्वानों के बीच मतैक्य नहीं है। लेकिन इतिहासकारों के एक वर्ग ने इन्हें मातृसत्तात्मक संरचना माना और योगिनी नाम दिया जो सभी इच्छाओं को आजाद करने में विश्वास करती थीं।

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास विभाग की प्रो. अनामिका राय और चार अन्य विद्वानों ने इन योगिनियों के ‘मातृशक्ति के इस रूप को नयी पहचान दिलाते हुए एक पुस्तक लिखी है। इसमें योगिनियों पर विस्तार से चर्चा की गयी है। प्रो. राय ने कहा कि पूर्व मध्य काल में हिन्दू धर्म पर जब तंत्र मंत्र का प्रभाव बढ़ा तब योगिनियां उत्पन्न हुईं। तब ये मूलत: ग्राम व स्थानीय देवियां थीं।

मध्य प्रदेश के शहडोल, उत्तर प्रदेश के बांदा, उड़ीसा के बोलनगीर स्थित योगिनियों की मूर्तियों का जिक्र प्रो. अनामिका राय ने अपनी किताब में किया है। इनमें से कुछ मूर्तियां शव के ऊपर हैं। नरमुंड हाथों में लिए हुए हैं। भूत-पिचाश से घिरी हुई हैं। ‘एक्सपीरिएनसिंग द गॉडेसेस ऑन द ट्रेल ऑफ योगिनीज नाम से प्रकाशित इस किताब में 64 प्रकार की योगिनियों का जिक्र है।

प्रो. राय ने कहा कि खजुराहो के संग्रहालय में लगभग 25 मूर्तियां हैं। यह तांत्रिक अनुष्ठानों को दिखाती हैं। उस समय के ग्रंथ कर्पूर मंजरी तथा प्रबोधचंद्रोदय राजाओं के तांत्रिक अनुष्ठानों को दर्शाते हैं लेकिन उन 64 योगिनियों का उल्लेख नहीं है। इस प्रकार योगिनियों के मातृशक्ति के रूप पर रहस्य का एक आवरण रहा है।

इनसेट...

पांच विधाओं के विद्वानों ने रची किताब

अमेरिका और भारत के पांच अलग-अलग विधाओं से जुड़े विद्वानों ने मिलकर योगिनियों पर किताब रची है। इविवि की प्रो. अनामिका राय अमेरिका के स्टेल्ला डुप्यूस व जनेट चावला, दिल्ली की नीलिमा चिटगोपेकर व सीमा कोहली ने लिखी है। गुरुवार को इविवि के नार्थ हॉल में कुलपति प्रो. आरएल हांगलू इस किताब का विमोचन करेंगे।

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