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इस्लाम में काबिलियत को मुकाम, जाति या धर्म को नहीं

असर फाउंडेशन की ओर से दरियाबाद स्थित दरगाह हजरत अब्बास में जश्न-ए-गदीर का आयोजन हुआ। इसमें आलिम ने दीन की बातों पर तकरीर की। शायरों ने कलाम से नजराना-ए-अकीदत पेश किया। इससे पूर्व शिया जामा मस्जिद के...

इस्लाम में काबिलियत को मुकाम, जाति या धर्म को नहीं
हिन्दुस्तान टीम,इलाहाबादFri, 31 Aug 2018 02:24 PM
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असर फाउंडेशन की ओर से दरियाबाद स्थित दरगाह हजरत अब्बास में जश्न-ए-गदीर का आयोजन हुआ। इसमें आलिम ने दीन की बातों पर तकरीर की। शायरों ने कलाम से नजराना-ए-अकीदत पेश किया। इससे पूर्व शिया जामा मस्जिद के इमाम जुमा व जमात मौलाना हसन रजा जैदी ने खास नमाज अदा कराई।

जश्न-ए-गदीर में मेहमाने खुसूसी मौलाना हुस्नुल हसन नैयर रिजवी ने तकरीर करते हुए कहा कि इस्लाम में काबिलियत को मुकाम दिया गया है। जबकि जाति या धर्म को इस्लाम में कोई मुकाम हासिल नहीं है। उन्होंने कहा कि आज पूरी दुनिया में नफरत की जो चिंगारी भड़की है, उसकी अहम वजह नस्लवाद, रंगभेद, जातिवादी, भाषावाद तथा कई अन्य वाद है। जब लोगों को वाद के आधार पर चुना जाएगा तो अमन कायम नहीं हो सकेगा। मौलाना हजन रजा जैदी ने नमाज अदा करने के बाद खास दुआ कराई और ईदे गदीर की मुबारकबाद दी। हैदर जैदी, अनवर अब्बास, तूफान इलाहाबादी, हसनैन मुस्तफाबादी, रजा करारवी मायल मौलाई आदि ने कलाम पेश किए। फाउंडेशन के अध्यक्ष शौकत भारतीय ने शुक्रिया अदा किया।

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