ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News उत्तर प्रदेश‘मटियाबुर्ज ने बताई सच व झूठ की नई परिभाषा

‘मटियाबुर्ज ने बताई सच व झूठ की नई परिभाषा

जगत तारन कॉलेज के रविंद्रालय सभागार में चल रहे 31वें राष्ट्रीय ड्रामा उत्सव व बहिरबंग नाट्य उत्सव के अंतिम दिन ‘मटियाबुर्ज नाटक का मंचन हुआ। नाटक का निर्देशन सूर्य मोहन कुलश्रेष्ठ ने किया है। यह...

‘मटियाबुर्ज ने बताई सच व झूठ की नई परिभाषा
हिन्दुस्तान टीम,इलाहाबादSat, 17 Nov 2018 02:28 PM
ऐप पर पढ़ें

जगत तारन कॉलेज के रविंद्रालय सभागार में चल रहे 31वें राष्ट्रीय ड्रामा उत्सव व बहिरबंग नाट्य उत्सव के अंतिम दिन ‘मटियाबुर्ज नाटक का मंचन हुआ। नाटक का निर्देशन सूर्य मोहन कुलश्रेष्ठ ने किया है। यह नाटक रियुनोसुके अकूतोगावा की दो जापानी कहानियों का संगम है।

नाटक में सच और झूठ की नई परिभाषा दी गई है। कहा गया कि सच तो जुगनू की तरह होता है। जो अभी दिखाई देता है और अभी आंखों से ओझल हो जाता है। जबकि झूठ खटमल की तरह होता है, जिसके साथ हम रोज सोते और जागते हैं। अमीरों पर कटाक्ष तथा गरीबों के प्रति सहानुभूति और संवेदना भरे शब्द यह सोचने पर मजबूर करते हैं कि भूख से मर जाना ही एक रास्ता है या छोटी-मोटी चोरी, बेईमानी का रास्ता पकड़कर जिंदा रहने की जद्दोजहद करना चाहिए। नाटक का आरंभ होता है एक बलात्कार और एक हत्या के बाद जिसमें सभी गवाह अपने-अपने अनुकूल सच बोलते हैं तथा शेष छिपा जाते हैं। खंडहर हो रहे मटियाबुर्ज में तीनों पात्रों की उपस्थिति से आरंभ होने वाले नाटक में कल्पना से आने वाले पात्र अलग-अलग रंग भरते हैं। हर दृश्य के बाद हत्या की गुत्थी और उलझती जाती है। कारण लोग उतना ही बताते हैं जितना वो बताना चाहते हैं। झूठ, फरेब, चोरी, हत्या, बलात्कार के बावजूद एक नई आशा का संचार और जीवन जीने की आकांक्षा एक सुखद अनुभूति प्रदान करती है। मटियाबुर्ज के खंडहर से ही नव सृजन का संदेश भी प्राप्त होता है तमाम अनुत्तरित प्रश्नों के बीच।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें