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एक माह में दुर्घटना दावा अधिकरण गठित करने का निर्देश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाहन दुर्घटना अधिनियम के तहत राज्य सरकार को स्वतंत्र अधिकरण और नारकोटिक्स एक्ट के तहत विशेष अदालतें गठित करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि यदि दो जनवरी 2019 तक दुर्घटना...

एक माह में दुर्घटना दावा अधिकरण गठित करने का निर्देश
हिन्दुस्तान टीम,इलाहाबादFri, 30 Nov 2018 01:06 PM
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाहन दुर्घटना अधिनियम के तहत राज्य सरकार को स्वतंत्र अधिकरण और नारकोटिक्स एक्ट के तहत विशेष अदालतें गठित करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि यदि दो जनवरी 2019 तक दुर्घटना दावा अधिकरणों का स्टॉफ सहित गठन नहीं किया गया तो हाईकोर्ट अपने न्यायिक अधिकारियों को दावे तय करने के काम से वापस लेने पर विचार करेगा। दावा अधिकरणों का कार्य अपर जिला जज अपने काम के अतिरिक्त कर रहे हैं। काम का भारी बोझ होने के कारण वे नियमित मुकदमे तय नहीं कर पा रहे हैं। अधिनियम के तहत राज्य सरकार का दायित्व है कि स्वतंत्र अधिकरणों का गठन करे। सरकार मांगेगी तो हाईकोर्ट पीठासीन अधिकारी देगा लेकिन अधिकरणों का गठन न कर न्यायिक अधिकारियों पर काम का बोझ डालना उचित नहीं है। इसी तरह नारकोटिक्स एक्ट के तहत विशेष अदालतें गठित करने की समयबद्ध कार्ययोजना मांगी है। सरकार द्वारा अधिकरण व विशेष अदालतें गठित न करने से अधीनस्थ न्यायालय के न्यायिक अधिकारियों को बिना स्टॉफ व सुविधाओं के अतिरिक्त कार्य करना पड़ा रहा है। कोर्ट ने राज्य सरकार से अगली सुनवाई पर कृत कार्यवाही की रिपोर्ट मांगी है।

यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति गोविंद माथुर, न्यायमूर्ति बीके नारायण एवं न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल की पूर्णपीठ ने स्वत: प्रेरित जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है। अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने पूर्ण पीठ को बताया कि हाईकोर्ट में निजी सचिव, पीठ सचिव कैडर व स्टॉफ में वृद्धि करने के प्रस्ताव पर सरकार गंभीरता से विचार कर रही है। कोर्ट ने स्वीकृत मानक को पूरा करने सहित अतिरिक्त स्टॉफ देने का आदेश दिया है। पीठ सचिवों के मामले में सरकार ने एक न्यायाीधीश पर दो पीठ सचिव व पांच फीसदी अतिरिक्त पीठ सचिव पर रहमति दी है। इसे बढ़ाकर एक पर तीन करने पर विचार हो रहा है। बताया कि ड्राइवर, चपरासी, जमादार आदि चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की संख्या बढ़ाई जाएगी। कोर्ट ने एक माह में निर्णय लेकर अवगत कराने का निर्देश दिया है। सरकार की तरफ से बताया गया कि दुर्घटना दावा अधिकरणों के गठन के लिए हाई पावर कमेटी गठित कर दी गई है। प्रदेश के 74 जिलों में 78078 वाहन दुर्घटना दावे विचाराधीन हैं। न्यायिक अधिकारी अपने न्यायिक कार्य के अलावा इन दावों का निपटारा कर रहे हैं। जिसके चलते विचाराधीन मुकदमों में बढ़ोतरी हो रही है। सरकार कानून बना देती है लेकिन विशेष कोर्ट का गठन नहीं करती।

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