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सड़क अतिक्रमण कर बने धार्मिक स्थल हटाने के निर्देश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राजमार्गों, सड़कों, गलियों में ट्रैफिक में अवरोध उत्पन्न करने वाले एक जनवरी 2011 के बाद अतिक्रमण करके बने मंदिर, मस्जिद सहित कोई भी धार्मिक स्थल तत्काल हटाने के निर्देश दिए...

सड़क अतिक्रमण कर बने धार्मिक स्थल हटाने के निर्देश
हिन्दुस्तान टीम,इलाहाबादSat, 24 Feb 2018 02:47 PM
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राजमार्गों, सड़कों, गलियों में ट्रैफिक में अवरोध उत्पन्न करने वाले एक जनवरी 2011 के बाद अतिक्रमण करके बने मंदिर, मस्जिद सहित कोई भी धार्मिक स्थल तत्काल हटाने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने मुख्य सचिव से कहा कि प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों व पुलिस अधिकारियों को सड़क की जमीन पर किसी भी प्रकार का धार्मिक निर्माण न होने देने का सामान्य निर्देश जारी करें।

कोर्ट ने यह भी कहा कि जनवरी 2011 के पहले के ऐसे निर्माणों को छह माह में अन्यत्र शिफ्ट किया जाए। साथ ही 10 जून 2016 के बाद अतिक्रमण कर बने ऐसे धार्मिक निर्माण की जवाबदेही संबंधित डीएम, एसडीएम एसएसपी, सीओ की होगी। कोर्ट ने आम रास्ता, सड़क, फुटपाथ, गली व सर्विस लेन पर अवरोध उत्पन्न करने पर लगाम लगाने की योजना तैयार करने का निर्देश भी दिया है ताकि ट्रैफिक संचालन सुचारु रहे। कोर्ट ने मुख्य सचिव को इस संबंध में तीन माह में अनुपालन आख्या पेश करने का निर्देश दिया है।

यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल, न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल एवं न्यायमूर्ति अजित कुमार की खंडपीठ ने दिया है। कोर्ट ने कहा कि सड़क पर अतिक्रमण करने का किसी को भी मौलिक या वैधानिक अधिकार नहीं है। जो संपत्ति वक्फ की न हो, उस पर मस्जिद नहीं बन सकती। धार्मिक अधिकार कानून के विपरीत नहीं हो सकता। कृषि भूमि पर वक्फ नहीं बनाया जा सकता क्योंकि कृषि भूमि का स्वामित्व राज्य सरकार का होता है, किसान उस जमीन पर महज किरायेदार होता है इसलिए जब तक गैर कृषि भूमि की घोषणा नहीं हो जाती, उस पर वक्फ या धार्मिक स्थल का निर्माण नहीं किया जा सकता। इसी के साथ कोर्ट ने फतेहपुर में महमूद हुसैन द्वारा चौरमानी गांव में कृषि भूमि पर बनी मस्जिद गरीब नवाज को अवैध करार दिया है और वहां नमाज पढ़ने की अनुमति न देने के जिलाधिकारी के आदेश को सही ठहराया है। मामले के तथ्यों के अनुसार याची ने अनुमति लिए बगैर कृषि भूमि पर मदरसा व मस्जिद बना ली और वहां नमाज पढ़ने की अनुमति के लिए डीएम को प्रत्यावेदन दिया था। कोर्ट ने कहा कि याची ने धर्म के नाम पर अवैध कार्य किया है। कोई कार्य अवैध तरीके से किया जाता है तो उससे उसका वैधानिक अधिकार नहीं पाप्त हो जाता। कोर्ट ने मुख्य सचिव को मस्जिद के संबंध में तीन माह के भीतर कार्यवाही करने का आदेश दिया है। साथ ही कृषि भूमि बहाल करने का आदेश दिया है।

कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम लॉ में वक्फ संपत्ति पर ही मस्जिद बनाई जा सकती है। दूसरे की संपत्ति पर वक्फ या मस्जिद नहीं बनाई जा सकती। वक्फ बनाने वाला भी जमीन का स्वामी होना चाहिए। वक्फ बोर्ड में पंजीकृत होने मात्र से कोई वक्फ वैध नहीं हो जाता। मामले पर अगली सुनवाई 28 मई को होगी।

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