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यूपी में इंटर की थर्ड टॉपर आकांक्षा शुक्ला बनना चाहती हैं आईएएस

यूपी बोर्ड की इंटरमीडिएट परीक्षा 2019 में 500 में से 474 अंक (94.80 प्रतिशत) पाकर पूरे प्रदेश की मेरिट में तीसरा स्थान प्राप्त करने वाली आकांक्षा शुक्ला आईएएस अफसर बनना चाहती हैं। मूलरूप से जिले के...

यूपी में इंटर की थर्ड टॉपर आकांक्षा शुक्ला बनना चाहती हैं आईएएस
हिन्दुस्तान टीम,इलाहाबादSat, 27 Apr 2019 02:44 PM
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यूपी बोर्ड की इंटरमीडिएट परीक्षा 2019 में 500 में से 474 अंक (94.80 प्रतिशत) पाकर पूरे प्रदेश की मेरिट में तीसरा स्थान प्राप्त करने वाली आकांक्षा शुक्ला आईएएस अफसर बनना चाहती हैं। मूलरूप से प्रयागराज जिले के सबसे पिछड़े इलाके कोरांव के रवनिया गांव की रहने वाली आकांक्षा के पिता अवधेश कुमार शुक्ला मध्यम स्तर के किसान और मां अंजू गृहिणी हैं। खास बात यह कि इंटर में गणित, भौतिकी और रसायन विज्ञान जैसे कठिन विषयों से पढ़ाई करने वाली आकांक्षा ने कोचिंग की मदद नहीं ली। स्कूल का मार्गदर्शन और स्व-अध्ययन से यह मुकाम हासिल किया है। तीन भाई बहनों में बीच की आकांक्षा के बड़े भाई आदर्श शुक्ल यूइंग क्रिश्चियन कॉलेज से बीए कर रहे हैं और छोटी बहन अंजली शुक्ला इसी साल 11वीं पास कर 12वीं में गई है। आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान ने आकांक्षा से बातचीत की। पेश है बातचीत के प्रमुख अंश-

प्रश्न: पूरे यूपी में टॉप किया है। इतनी बड़ी उपलब्धि की कल्पना की थी?

उत्तर: पूरे साल मेहनत से पढ़ाई की थी। स्कूल के शिक्षकों ने भी काफी मेहनत की। मेरिट में नाम आने की उम्मीद तो थी लेकिन तीसरा स्थान मिलेगा, कल्पना नहीं की थी।

प्रश्न: पढ़-लिखकर क्या बनना चाहेंगी। राजनीति में जाने के बारे में क्या विचार है?

उत्तर: मेरा सपना आईएएस अफसर बनकर समाजसेवा करना है। फिलहाल आईआईटी में दाखिले के लिए मेहनत कर रही हूं। राजनीति में कभी नहीं जाऊंगी।

प्रश्न: आपका सबसे पसंदीदा विषय क्या है। बोर्ड परीक्षा की तैयारी कैसे की?

उत्तर: मेरा पसंदीदा विषय भौतिक विज्ञान है। इसमें मुझे लिखित परीक्षा में 70 में से 60 और प्रैक्टिकल में 30 में से पूरे 30 नंबर मिले हैं। मैं दिन में चार-पांच घंटे और रात में 6-7 घंटे पढ़ाई करती थी। किसी भी विषय को एक घंटे से अधिक नहीं पढ़ती थी। क्योंकि एक घंटे के बाद ऊबन होने लगती है।

प्रश्न: क्या स्कूल के अलावा ट्यूशन का भी सहारा लेना पड़ा?

उत्तर: मुझे कभी ट्यूशन की आवश्यकता महसूस नहीं हुई। मेरा मानना है कि स्कूल में यदि ठीक से पढ़ाई करें तो ट्यूशन की जरूरत नहीं पड़ेगी। मैं नियमित रूप से स्कूल जाती थी, कभी क्लास नहीं छोड़ा। शिक्षक भी मेहनत से पढ़ाते थे। जो भी स्कूल में पढ़ाया जाता था उसे घर पर जरूर दोहराती थी। स्व-अध्ययन सबसे अच्छा होता है। आप यदि अपने से कोई चीज सीखते हैं तो लंबे समय तक दिमाग में रहता है। यदि कोई फार्मूला एक बार में याद न हो तो कई बार प्रयास करें।

प्रश्न: अपनी सफलता का श्रेय किसे देंगी?

उत्तर: मैं अपनी सफलता का श्रेय अपने स्कूल के शिक्षकों और अभिभावकों को देना चाहूंगी। उनकी मदद के बगैर यह उपलब्धि संभव नहीं थी।

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