पहली बार 12वीं में नहीं पूछे गए 11वीं के सवाल
यूपी बोर्ड की 2017 इंटरमीडिएट परीक्षा में पहली बार सिर्फ 12वीं के कोर्स के सवाल पूछे गए थे। इससे पहले 12वीं का पेपर 11 व 12 के पूरे पाठ्यक्रम को मिलाकर बनाया जाता था। लेकिन इस बार 12 के कोर्स से...
यूपी बोर्ड की 2017 इंटरमीडिएट परीक्षा में पहली बार सिर्फ 12वीं के कोर्स के सवाल पूछे गए थे। इससे पहले 12वीं का पेपर 11 व 12 के पूरे पाठ्यक्रम को मिलाकर बनाया जाता था। लेकिन इस बार 12 के कोर्स से प्रश्नपत्र बनाए गए थे। लेकिन सूबे में भाजपा सरकार बनने के बाद हुई सख्ती के कारण इस बदलाव से होने वाला का असर नहीं दिखा। मार्च में भाजपा सरकार आने के बाद परीक्षा के दौरान नकल पर प्रभावी रोक लगाई गई। 90 फीसदी से अधिक पाने वाले छात्र-छात्राओं की कॉपियों का दोबारा मूल्यांकन कराया गया। जबकि मॉडरेशन में भी पिछले सालों में जहां अधिकतम 10 नंबर तक दिए जाते थे वहीं इस साल इसे पांच नंबर तक सीमित कर दिया गया। हालांकि इस बदलाव का ही असर रहा हाईस्कूल की तुलना में इंटर का रिजल्ट कम खराब रहा। 2016 की तुलना में 12वीं में 5.37 प्रतिशत कम छात्र सफल हुए जबकि 10वीं में पिछले साल की तुलना में 6.48 फीसदी अधिक बच्चे फेल हुए। स्टेप मार्किंग, बदले कोर्स ने आसान की बोर्ड की राह इलाहाबाद। यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा में मेधावियों ने अपनी चमक बिखेरी है। छात्र-छात्राओं के हित में माध्यमिक शिक्षा परिषद की ओर से समय-समय पर किए गए बदलाव भी सफलता में मददगार रहे। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की तर्ज पर यूपी बोर्ड ने बसपा सरकार में स्टेप मार्किंग की व्यवस्था लागू की थी। इसका फायदा बच्चों को हुआ। खासतौर से गणित, भौतिक, रसायन विज्ञान, वाणिज्य आदि विषयों में बच्चों की सफलता का ग्राफ चढ़ता गया। इन्हीं बदलावों का नतीजा है कि यूपी बोर्ड के छात्र 95 या 96 प्रतिशत तक नंबर पाने की सोच पा रहे हैं। मूल्यांकन के बाद ओएमआर शीट पर नंबर मंगाने के कारण बच्चों के परिणाम में त्रुटियां कम हो गई है। बेहतर होगी भविष्य की तस्वीर इलाहाबाद। आने वाला समय बोर्ड परीक्षार्थियों के लिए और बेहतर होने जा रहा है। भाजपा सरकार की पहल पर यूपी बोर्ड के अफसरों ने कक्षा 9 से 12 तक के सवा करोड़ से अधिक छात्र-छात्राओं के लिए राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) का सिलेबस हू-ब-हू लागू करने का निर्णय लिया है। अगले साल 2018 अप्रैल से कक्षा 9 व 11 में एनसीईआरटी की किताबों से पढ़ाई होगी। यही नहीं बोर्ड अगले साल की परीक्षा से केंद्रों का निर्धारण ऑनलाइन करने जा रहा है। इसके लिए प्रक्रिया शुरू हो गई है। स्कूलों से उनकी भौगोलिक स्थिति की जानकारी मंगाई जा रही है। अगले साल से होंगे पांच क्षेत्रीय कार्यालय इलाहाबाद। यूपी बोर्ड की 2018 परीक्षा पांच क्षेत्रीय कार्यालय कराएंगे। इलाहाबाद, वाराणसी, मेरठ व बरेली क्षेत्रीय कार्यालय के बाद गोरखपुर में जुलाई से क्षेत्रीय कार्यालय खोलने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इनका कहना है कक्षा 9 व 10 में 30 नंबर का आंतरिक मूल्यांकन लागू करने के कारण छात्रों में पढ़ने के प्रति रुचि बढ़ी है और मानसिक दबाव कम हुआ है। इंटर में 2017 से कोर्स अलग करने के कारण बच्चों का वर्कलोड काफी कम हुआ। मॉडरेशन में सख्ती के कारण रिजल्ट थोड़ा डाउन हुआ। लालचन्द्र पाठक, प्रधानाचार्य शिवचरण दास कन्हैयालाल इंटर कॉलेज 2017 में 11वीं-12वीं का कोर्स अलग होने से फायदा हुआ। सिर्फ 12वीं कक्षा से सवाल आने थे इसलिए कम समय में पूरा कोर्स रिवाइज हो गया। हालांकि जेईई-मेन या दूसरी परीक्षाओं के लिए अधिक मेहनत करनी होगी क्योंकि उनमें 11वीं और 12वीं दोनों से सवाल पूछे जाते थे। किसलय मिश्र, इंटर में 93.6, रानी रेवती देवी इंटर कॉलेज