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दिल्ली, लखनऊ में 10 रुपये का भोजन तो बुंदेलखंड में क्यों नहीं

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकार ने लखनऊ में पांच व 10 रुपये में भरपेट भोजन की कैंटीन खोली...

दिल्ली, लखनऊ में 10 रुपये का भोजन तो बुंदेलखंड में क्यों नहीं
हिन्दुस्तान टीम,इलाहाबादThu, 22 Feb 2018 02:14 AM
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकार ने लखनऊ में पांच व 10 रुपये में भरपेट भोजन की कैंटीन खोली है। संसद व विधानसभा में सांसदों, विधायकों और सचिवालय के अधिकारियों के लिए सस्ती दर की कैंटीन है। सरकार गरीबों को सस्ता अनाज उपलब्ध कराने में भारी सब्सिडी दे रही है। यदि सब्सिडी बंद करके इसी से पका हुआ भोजन ग्राम पंचायत स्तर पर और फिर प्रत्येक गांव में उपलब्ध कराने की कोशिश की जाए, ताकि बुंदेलखंड के गरीबों की भूख से मौत न हो सके। इसी के साथ कोर्ट ने सूखे से जूझ रहे बुदेलखंड में गरीबी रेखा के नीचे के लोगों को सस्ते दर पर अनाज की बजाय कम दर पर पका भोजन उपलब्ध कराने की योजना लागू करने पर मुख्य सचिव से जवाब मांगा है। कोर्ट ने कहा कि उनका व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल नहीं होता तो वह पांच मार्च को हाजिर हों। कोर्ट ने कहा कि लोगों को भोजन का मूल अधिकार प्राप्त है इसलिए उनके लिए एक, दो व पांच रुपये में भोजन की व्यवस्था की जाए ताकि लोग भूख से न मरने पाएं।यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल एवं न्यायमूर्ति हर्ष कुमार की खंडपीठ ने बुदेलखंड उच्च न्यायालय अधिवक्ता संघ की जनहित याचिका पर दिया है। कोर्ट ने कहा कि 69 हजार वर्गमीटर क्षेत्रफल वाले बुदेलखंड की आबादी 40.5 मिलियन है। सात जिलों की 70 फीसदी आबादी 4500 गांवों में निवासी करती है। सूखे से पीड़ित इस क्षेत्र के विकास के लिए सरकारों ने भारी अनुदान दिया है। लेकिन बालू, पत्थर, ग्रेनाइट के धनी क्षेत्र की जनता को इसका लाभ नहीं मिल रहा है। खनन माफिया अधिकारियों की मिलीभगत से भूगर्भ सम्पत्तियों का दोहन किया जा रहा है। चम्बल, कुंवारी, पहुज, सिन्ध, बेतवा आदि नदियां होने के बावजूद पीने व सिंचाई के पानी की भारी किल्लत है। आदमी ही नहीं, जानवरों का जीवन भी मुश्किल हो गया है।

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