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अप्रैल में बढ़े खर्च, बैंकों से दोगुना हुई कैश निकासी

अप्रैल में कई तरह के खर्चों के कारण बैंकों से नकदी निकासी दोगुना तक बढ़ी है। बुधवार को अक्षय तृतीय बीता। सहालग का मौसम शुरू हो चुका है। अप्रैल में ही बच्चों की फीस व कॉपी-किताब का भी जमकर खर्च...

अप्रैल में बढ़े खर्च, बैंकों से दोगुना हुई कैश निकासी
हिन्दुस्तान टीम,इलाहाबादFri, 20 Apr 2018 12:50 PM
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अप्रैल में कई तरह के खर्चों के कारण बैंकों से नकदी निकासी दोगुना तक बढ़ी है। बुधवार को अक्षय तृतीय बीता। सहालग का मौसम शुरू हो चुका है। अप्रैल में ही बच्चों की फीस व कॉपी-किताब का भी जमकर खर्च हुआ। अक्षय तृतीया पर हजारों लोगों ने कार्ड से खरीदारी की लेकिन सहालग में मोटी रकम की जरूरत होती है। रिजर्व बैंक ने नकदी नहीं भेजी तो माह के अंत तक स्थिति भयावह हो सकती है।

इस महीने की शुरुआत में बच्चों की स्कूलों की फीस से लेकर कॉपी-किताब की खरीद के लिए लोगों को नकद भुगतान करना पड़ रहा है। किताब-कॉपी की दुकानों में स्वैपिंग मशीन नहीं होने से नकद भुगतान करना लोगों की मजबूरी है। इन्ही कारणों से ग्राहक बैंकों से ज्यादा नकदी निकाल रहे हैं। अधिकारी कहते हैं कि बड़ी रकम की निकासी पूरे अप्रैल में होगी। ऐसे में आसपास के जिलों से पैसे लेकर बैंक ज्यादा दिन नहीं चल सकते।

खर्चे बढ़े तो जमा कम हुआ

इलाहाबाद। घरों के खर्चे बढ़े तो बैंकों में जमा और निकासी का संतुलन गड़बड़ा गया। मार्च में एक राष्ट्रीयकृत बैंक से औसत पांच से छह करोड़ कैश निकासी हुई और 3-3.5 करोड़ रुपये जमा हुए। मार्च तक बैंकों में जमा और निकासी का यही अंतर था। अप्रैल में जमा कम हुआ और निकासी बढ़ गई। इस महीने बैंकों में औसत दो करोड़ से अधिक जमा नहीं हो रहे हैं जबकि बैंकों से प्रतिदिन कैश निकासी औसत 10 करोड़ हो गई है। अधिकारी कहते हैं कि खर्च बढ़े हैं तो बैंकों में नकदी जमा कम हो रहा है।

कैश घटा तो एटीएम आए निशाने पर

इलाहाबाद। बैंकों में नकदी का संकट बढ़ा तो एटीएम कैशलेस हो गए। अप्रैल के शुरू में बैंक काउंटरों से निकासी बढ़ने लगी। एटीएम से भी मोटी राशि निकलने लगी। नकदी निकासी बढ़ने पर बैंकों ने काउंटरों से भुगतान को प्राथमिकता दी और एटीएम को नजरअंदाज करना शुरू कर दिया। बैंकों की प्राथमिकता अपने ग्राहकों को पूरा भुगतान करने की हो गई। खाली होते एटीएम की तरफ बैंक के अधिकारियों ने गंभीरता नहीं दिखाई। बैंकों में नकदी डालने वाले सूत्रों ने बताया कि अधिकारियों को एटीएम के बारे में लगातार अपडेट किया जाता रहा लेकिन किसी ने गंभीरता से नहीं लिया। इसी का नतीजा है कि एटीएम में पैसे खत्म हो गए।

ऑनलाइन सरकारी भुगतान से बढ़ी नकदी किल्लत

इलाहाबाद। नोटबंदी के बाद सरकार ने ऑनलाइन भुगतान को बढ़ावा दिया। आज लगभग सभी सरकारी भुगतान ऑनलाइन हो रहे हैं। ऑनलाइन भुगतान ने भी बैंकों में नकदी की किल्लत कर दी। ऑनलाइन सरकारी भुगतान का उदाहरण देते हुए अधिकारी कहते हैं कि पिछले साल मार्च के अंत में आयकर और वैट के रूप में बैंकों में मोटी रकम जमा होती थी। आयकर के लगभग सभी भुगतान ऑनलाइन कर दिए गए। पिछले साल जुलाई से वैट के स्थान पर लागू जीएसटी में 10 हजार के ऊपर टैक्स इस साल ऑनलाइन जमा होने लगा। सरकारी विभागों के भुगतान आरटीजीएस से हो रहे हैं। जबकि बैंक के काउंटर पर ग्राहक को नकदी भुगतान करना पड़ता है। एटीएम में नकदी भुगतान होता है। यह भी नकदी संकट की बहुत बड़ी वजह है।

मार्च मध्य में हो गई थी संकट की आहट

इलाहाबाद। रिजर्व बैंक ने फरवरी के बाद इलाहाबाद स्थित राष्ट्रीयकृत बैंकों को नकदी नहीं दी। फरवरी के बाद बैंक प्रबंधन लगातार रिजर्व बैंक से रुपये मांग रहे हैं। मार्च के मध्य में बैंकों की करेंसी चेस्ट खाली होने लगे थे। बैंक प्रबंधन इधर-उधर से रुपये लेकर काम चला रहे थे। मार्च का दूसरा पखवाड़ा शाखाओं और आसपास के जिलों से नकदी मंगाकर काम चला लिया। इस बीच रिजर्व बैंक से रुपये की मांग होती रही। अप्रैल में सभी शाखाओं से नकदी निकासी बढ़ी। आसपास के जिलों में भी बैंकों पर नकदी निकासी का दबाव बढ़ा तो रुपयों की आवक कम हो गई। एक हफ्ते में रिजर्व बैंक ने बैंकों को कैश नहीं दिया तो काउंटर से भुगतान भी प्रभावित होगा।

तीन हजार करोड़ मिले तो सुधरे बैंकों की सेहत

इलाहाबाद। वरिष्ठ संवाददाता

जिले के बैंकों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए तीन हजार करोड़ रुपयों की जरूरत है। तीन हजार करोड़ रुपये मिलने से कई महीने तक एटीएम नोटों से भरे रहेंगे और बैंक काउंटरों से पूरा पैसा मिलेगा। ग्रामीण क्षेत्र की शाखाएं भी ग्राहकों को पूरा भुगतान कर सकेंगी।

एटीएम में नकदी संकट पर बुधवार शाम जिलाधिकारी सुहास एलवाई के साथ बैंक प्रबंधकों की बैठक में रिजर्व बैंक से नकदी नहीं मिलने का मामला उठा। बैंकों ने जिलाधिकारी के समक्ष अपनी-अपनी मांग रखी। बैंकों से मीटिंग के बाद जिलाधिकारी ने रिजर्व बैंक से बात की। जिलाधिकारी के हस्तक्षेप से बैंकों को रिजर्व बैंक से नकदी मिलने का आश्वासन मिला है।

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