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एयू के गर्ल्स हॉस्टलों में महफूज नहीं बेटियां

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के गर्ल्स हॉस्टलों में छात्राओं की सुरक्षा पर सरगर्मी बढ़ी है। सपा सांसद जया बच्चन ने राज्यसभा में इस मुद्दे को उठाया तो महिला आयोग ने इसका संज्ञान ले लिया। मंगलवार देर रात...

एयू के गर्ल्स हॉस्टलों में महफूज नहीं बेटियां
हिन्दुस्तान टीम,इलाहाबादWed, 11 Dec 2019 11:09 PM
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इलाहाबाद विश्वविद्यालय के गर्ल्स हॉस्टलों में छात्राओं की सुरक्षा पर सरगर्मी बढ़ी है। सपा सांसद जया बच्चन ने राज्यसभा में इस मुद्दे को उठाया तो महिला आयोग ने इसका संज्ञान ले लिया। मंगलवार देर रात आयोग की सदस्य डॉ. राजुलाबेन एस देसाई की अगुवाई में पांच सदस्यीय टीम ने इविवि के गर्ल्स हॉस्टलों का निरीक्षण किया। टीम ने जांच में पाया कि सच में हॉस्टलों में बेटियां सुरक्षित नहीं हैं।

आयोग की सदस्य डॉ. राजुलाबेन एस देसाई ने बुधवार को सर्किट हाउस में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि इविवि के गर्ल्स हॉस्टलों में महिला सुरक्षाकर्मी की तैनाती नहीं है। छात्राओं ने उनकी टीम को बताया कि हॉस्टलों की अधीक्षकों की ओर से आए दिन छात्राओं को धमकाया जाता है। हॉस्टलों में गुणवत्तापरक भोजन नहीं मिल पा रहा है। जिससे कई छात्राओं का हीमोग्लोबिन नहीं बढ़ रहा है।

जांच टीम को छात्राओं ने यह भी बताया कि हॉस्टल परिसर में निर्माण कार्य चल रहा है। काम करने व कराने वाले (जिनमें ज्यादातर पुरुष हैं) का रात में भी आना-जाना लगा रहता है। उनमें से कई छात्राओं को देखकर अभद्र और अश्लील टिप्पणी करते हैं। इसके बचाव के लिए इविवि प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई। आयोग की टीम में प्रियंका कौशिक, शालिनी सिंह, अनीता सिंह एवं अनीता सचान रहीं।

छह साल से आईसीसी का गठन नहीं

राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य डॉ. देसाई ने कहा कि सभी शैक्षणिक संस्थानों में महिला उत्पीडऩ के मामलों की जांच के लिए आंतरिक शिकायत समिति (आईसीसी) का गठन 2013 में किया गया। लेकिन इविवि में इसका गठन जुलाई 2019 में किया गया है। जुलाई में कमेटी के अध्यक्ष की नियुक्ति की गई है और इसके सदस्यों की नियुक्ति 15 दिन पहले की गई है। डॉ. देसाई ने कहा कि इस मामले पर रजिस्ट्रार से पूछा गया तो वह बोले दूसरे नाम से एक कमेटी बनाई गई थी।

यौन उत्पीडऩ के आरोपी शिक्षकों की मांगी रिपोर्ट

डॉ. देसाई ने बताया कि इविवि के कई प्रोफेसरों पर यौन उत्पीडऩ के आरोप लगे हैं। सेक्सुअल हैरसमेंट कमेटी ने क्या कार्यवाही की है। उसकी रिपोर्ट दिए जाने की इविवि प्रशासन से मांग की गई है। कमेटी को 90 दिन के भीतर जांच करके यूजीसी को सूचित करना होता है।

छात्राओं की नहीं मालूम अपने अधिकार

आयोग की टीम ने बताया कि इविवि की छात्राओं को अपने अधिकार की भी सही तरीके से जानकारी नहीं है। क्योंकि इविवि के हॉस्टलों में प्रत्येक छह माह में विधिक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन होना चाहिए, लेकिन एक बार भी नहीं हुआ। इसके साथ ही हॉस्टल में डिस्पेंसरी और साइकोलॉजिकल काउंसिलिंग होनी चाहिए लेकिन हॉस्टलों में ऐसा कुछ भी नहीं होता है।

छह हॉस्टलों में सिर्फ एक आरओ

गर्ल्स हॉस्टल परिसर में छह हॉस्टल हैं। डॉ. देसाई ने कहा कि मंगलवार की रात प्रियदर्शनी, हॉल ऑफ रेजीडेंस और सरोजनी नायडू हॉस्टल का निरीक्षण किया गया। छात्राओं के बाथरूम गंदे थे, छात्राओं को रात में बाथरूम जाने के लिए मोबाइल के टॉर्च का प्रयोग करना पड़ता है। छात्राओं को खाने की समस्या थी। जबकि टीम ने शताब्दी गर्ल्स, कल्पना चावला, महादेवी वर्मा हॉस्टल का निरीक्षण नहीं किया। छह हॉस्टलों के बीच सिर्फ एक आरओ लगाया गया है। वह भी नियमित नहीं चलता है।

कमेटी बनाकर करें समस्याओं का निस्तारण

महिला आयोग की टीम ने कहा कि गर्ल्स हॉस्टलों में जो समस्याएं हैं। इसके लिए सात या नौ सदस्यीय कमेटी गठित कर एक सप्ताह के भीतर मामलों का निस्तारण कर सूचित करें। डॉ. देसाई ने निर्देशित किया कि इस कमेटी में आयोग की प्रियंका कौशिक, अनीता सिंह, अनीता सचान को शामिल किया जाए। इसके अवाला इविवि अन्य सदस्यों को नामित कर समस्याओं का निस्तारण करे।

पीआरओ की नियुक्ति पर उठाए सवाल

राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य डॉ. देसाई ने पत्रकार वार्ता में कहा कि इविवि के पीआरओ डॉ. चितरंजन कुमार की नियुक्ति संदिग्ध है। इविवि में डॉ. चितरंजन की नियुक्ति जून 2018 में हुई। इसके तीन माह बाद ही इविवि की ओर से पीआरओ जैसा जिम्मेदार पद उन्हें दे दिया गया। जबकि किसी को प्रोबेशन पीरियड में ऐसे महत्वपूर्ण पद नहीं दिए जाते हैं। डॉ. देसाई ने यह भी कहा कि डॉ. कुमार का आयोग के सदस्यों के साथ व्यवहार अच्छा नहीं रहा।

जांच टीम से मिले पूर्व अध्यक्ष

इविवि पहुंची महिला आयोग की टीम से मिलकर इविवि छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष रोहित मिश्र ने विश्वविद्यालय में कथित तौर पर हो रहे समस्त अनैतिक कार्यों से अवगत कराया। इस संबंध में जरूरी कागजात भी सौंपे। रोहित ने बताया कि विश्वविद्यालय अनियमितताओं और अव्यवस्थाओं का गढ़ बनता जा रहा है। रोहित ने कहा कि विश्वविद्यालय को शोषण का अड्डा नहीं बनने दिया जाएगा।

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