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जीएसटी अधिकरण गठन में केंद्रीय अपर सचिव वित्त तलब

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश में जीएसटी अपीलीय अधिकरण गठित न करने पर नाराजगी व्यक्त करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्रालय के अपर सचिव को हलफनामे के साथ तलब किया...

जीएसटी अधिकरण गठन में केंद्रीय अपर सचिव वित्त तलब
हिन्दुस्तान टीम,इलाहाबादTue, 21 Jan 2020 01:34 AM
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश में जीएसटी अपीलीय अधिकरण गठित न करने पर नाराजगी व्यक्त करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्रालय के अपर सचिव को हलफनामे के साथ तलब किया है। कोर्ट ने उनसे यह बताने को कहा है कि केंद्र सरकार कब तक प्रदेश में अधिकरण का गठन करेगी।

यह आदेश न्यायमूर्ति आलोक माथुर ने जय बाबा अमरनाथ व सैकड़ों अन्य याचिकाओं की सुनवाई करते हुए दिया है। याचिका पर अधिवक्ता निशांत मिश्र, बिपिन कुशवाहा, केंद्र सरकार के अधिवक्ता कृष्णजी शुक्ल, अनंत तिवारी एवं राज्य सरकार के अधिवक्ता विपिन कुमार पांडेय ने पक्ष रखा। कोर्ट ने अपर सचिव स्तर के अधिकारी को हलफनामे के साथ तलब किया था। इस पर सीजीएसटी लखनऊ के प्रमुख आयुक्त महेंद्र रंगा ने हलफ़नामा दाखिल किया। इसमें अधिकरण गठन की जानकारी न होने पर कोर्ट ने संतोषजनक नहीं माना। राज्य सरकार ने 21 फरवरी 2019 को जीएसटी काउंसिल को प्रस्ताव भेजकर राज्य अधिकरण की पीठ लखनऊ एवं 16 जिलों में 20 क्षेत्रीय पीठ गठित करने का सुझाव दिया था। कोर्ट ने राज्य सरकार को यह कहते हुए पुनर्विचार करने का आदेश दिया कि मद्रास बार एसोसिएशन के केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जहां हाईकोर्ट की प्रधान पीठ हो, अधिकरण वहीं बनना चाहिए। इस पर राज्य सरकार ने 15 मार्च 2019 को संशोधित प्रस्ताव जीएसटी काउंसिल को भेजकर प्रयागराज में प्रधान पीठ और विभिन्न शहरों में चार क्षेत्रीय पीठ गठित करने का सुझाव दिया गया। इसके बाद लखनऊ खंडपीठ ने अवध बार एसोसिएशन की जनहित याचिका को स्वीकार करते हुए 31 मई 2019 के आदेश से प्रयागराज में अधिकरण की पीठ गठन करने के राज्य सरकार के प्रस्ताव को रद्द कर दिया और 21 फरवरी 2019 के प्रस्ताव के तहत निर्णय लेने का आदेश दिया।

न्यायमूर्ति भारती सप्रू एवं न्यायमूर्ति आरआर अग्रवाल की खंडपीठ ने लखनऊ बेंच के फैसले को कानून के विपरीत मानते हुए अपठनीय करार दिया और कहा कि धारा 109 के तहत राज्य सरकार को अधिकरण गठन के संबंध में कोई अधिकार नहीं है। यह अधिकार केवल केंद्र सरकार को है। साथ ही उत्तर प्रदेश राज्य पुनर्गठन अधिनियम के अंतर्गत उत्तर प्रदेश का हाईकोर्ट प्रयागराज में है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर प्रयागराज में ही राज्य अधिकरण गठित होना चाहिए। इस स्थिति को देखते हुए केंद्र सरकार लखनऊ पीठ के 31 मई 2019 के निर्णय के विरुद्ध विशेष अनुमति याचिका दाखिल करने जा रही है, जिसकी जानकारी कोर्ट को दी गई। यह भी बताया गया कि मद्रास हाईकोर्ट में अधिवक्ताओं को अधिकरण में पीठासीन अधिकारी के रूप में नियुक्त करने को लेकर दी गई चुनौती याचिका को स्वीकार करते हुए केंद्र सरकार को नियमों में बदलाव करने का आदेश दिया गया है। इसके खिलाफ दाखिल एसएलपी पर सुप्रीम कोर्ट ने कानून में बदलाव के आदेश को बहाल रखा है। पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति के कानून में बदलाव के आदेश के कारण उत्तर प्रदेश में अधिकरण की पीठ स्थापित करने में बाधा आ रही है।

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