प्रदेश शासन ने जवाहर पंडित हत्याकांड में आरोपी करवरिया बंधुओं के खिलाफ विचाराधीन मुकदमा वापस लेने का निर्णय लिया है। सरकार ने विशेष अधिवक्ता ने इस निर्णय के साथ वापसी की अनुमति के लिए कोर्ट में अर्जी दाखिल की, जिसपर सोमवार को सुनवाई होगी।
अपर सेशन जज रमेश चंद्र की कोर्ट में पूर्व सांसद कपिलमुनि करवरिया, पूर्व विधायक उदयभान करवरिया व पूर्व एमएलसी सूरजभान करवरिया की उपस्थिति में राज्य सरकार के विशेष अधिवक्ता रणेंद्र प्रताप सिंह ने राज्यपाल के आदेश की प्रति के साथ एक अर्जी प्रस्तुत की। अर्जी में इस मुकदमे को जनहित व न्यायहित में वापस लिए जाने का आधार बनाकर अनुमति प्रदान किए जाने की प्रार्थना की गई है।
अर्जी में मुकदमे की सफलता को संदिग्ध पाया है। साथ ही कहा गया है कि उनके द्वारा सरकारी पक्ष एवं बचाव पक्ष के गवाहों का बयान पढ़ने एवं प्रदेश के महाधिवक्ता की राय के बाद यह राय बनाई है। कोर्ट ने अर्जी की प्रति वादी पक्ष के अधिवक्ता को दिये जाने का आदेश दिया और सुनवाई के लिए पांच नवंबर की तारीख लगा दी।
मुकदमा वापसी के आधार स्तम्भ
- वादी मुकदमा सुलाकी का दूसरे मुकदमे में मजिस्ट्रेट के समक्ष कथन करना कि सूचना मिली, तब घटनास्थल पर पहुंचे थे।
- सुलाकी मृतक का भाई है व रामलोचन मृतक की पत्नी के भाई हैं, ये सुरक्षा कारणों से जवाहर पंडित की गाड़ी के पीछे थे लेकिन लाइसेंसी असलहा घर पर रखे थे।
- जनता के गवाह व पुलिस वालों की गवाही में मृतक की गाड़ी के पीछे कोई गाड़ी नहीं थी।
घटना के वक्त कपिल व रामचंद्र लखनऊ में थे।
- सरकारी गवाह राजेन्द्र कुमार का पूर्व का शपथपत्र कि उसने घटना नहीं देखी।
- तत्कालीन एसएसपी रजनीकांत मिश्र की प्रदेश शासन को 12 बजे प्रेषित रिपोर्ट में हमलावर अज्ञात।
- आरोपियों का आपराधिक इतिहास रिकार्ड में नहीं होना।