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बलिया में 14 सरकारी वकीलों की नियुक्ति रद्द

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बलिया में 14 सरकारी वकीलों की नियुक्ति को अवैध करार देते हुए रद्द कर दिया है। कोर्ट ने राज्य सरकार को जिला जज के परामर्श से जिलाधिकारी की ओर से भेजे गए 51 नामों में से चार माह...

बलिया में 14 सरकारी वकीलों की नियुक्ति रद्द
हिन्दुस्तान टीम,इलाहाबादThu, 16 May 2019 05:53 PM
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बलिया में 14 सरकारी वकीलों की नियुक्ति को अवैध करार देते हुए रद्द कर दिया है। कोर्ट ने राज्य सरकार को जिला जज के परामर्श से जिलाधिकारी की ओर से भेजे गए 51 नामों में से चार माह में नई नियुक्तियां करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि इस दौरान नियुक्ति के विज्ञापन के पहले से कार्यरत वकीलों को आबद्ध किया जाए।

यह आदेश न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल एवं न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की खंडपीठ ने बलिया में सरकारी वकील रहे संतोष कुमार पांडेय की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। इसी के साथ कोर्ट ने कानून मंत्री के आदेश पर मनमाने ढंग से गई नियुक्ति रद्द कर दी। कोर्ट ने राज्य सचिवालय के न्यायिक अधिकारियों व जिलाधिकारी की कार्यप्रणाली की आलोचना करते हुए कहा है कि न्यायिक अधिकारियों, जिनपर सरकार को सही क़ानूनी सलाह देने का दायित्व है, उन्होंने कानून के खिलाफ कार्य करने में सहयोग किया।

राज्य सरकार ने बलिया में 14 अधिवक्ताओं को 14-14 दिन की ड्यूटी के आधार पर सरकारी वकील नियुक्त किया था। ऐसा करने में क़ानूनी प्राक्रिया की पूरी तरह से अनदेखी की गई। कोर्ट ने कहा कि शासन में न्यायिक अधिकारियों की नियुक्ति सरकार को सही सलाह देने के लिए की गई है।सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों के बावजूद पारदर्शिता व फेयरनेस को दरकिनार कर मनमाने ढंग से सरकारी वकील बना दिया गया। अनुभवी व योग्य वकीलों को सरकारी वकील नियुक्त करने से न्यायिक फैसलों की गुणवत्ता अच्छी होती है जबकि अयोग्य व अनुभवहीन की नियुक्ति से न्यायिक मूल्यों को नुकसान पहुंचता है। इसलिए योग्य अनुभवी वकीलों की नियुक्ति की जानी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट में भी राज्य सरकार ने एक झटके में सरकारी वकीलों को हटा दिया और नया पैनल जारी किया, जो कोर्ट को सही वैधानिक सहयोग नहीं दे पा रहे हैं। कानून मंत्री ने जिला जज के परामर्श से जिलाधिकारी द्वारा भेजी गई सूची को दरकिनार कर मनमानी नियुक्ति का आदेश दिया, जिसे याचिका में चुनौती दी गई थी।

ऐसे की गई थीं नियुक्तियां

याचिका के अनुसार आठ दिसंबर 2017 को बलिया जिला न्यायालय के लिए डीजीसी, एडीजीसी, सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता पैनल के लिए आवेदन मांगे गए। जिला जज के परामर्श से बलिया के जिलाधिकारी ने इस पैनल के लिए 51 वकीलों के नाम भेजे लेकिन कानून मंत्रालय ने इनकी अनदेखी कर 19 नाम नियुक्ति के लिए भेज दिए। सभी नाम नए थे और जिलाधिकारी की आपत्ति के बाद भी कानून मंत्री के निर्देश पर नियुक्ति कर दी गई। कोर्ट ने कहा कि शासन में नियुक्त न्यायिक अधिकारियों ने विधिविरुद्ध प्रक्रिया अपनाई जबकि उनका दायित्व सही सलाह देने का है।

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