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सांस्कृतिक विरासत से उपजी कृषि प्रणाली ही उपयुक्त

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग के प्रेक्षागृह में सस्टेनेबिलिटी ऑफ एग्रीकल्चर इन चेजिंग क्लाइमेट सिनेरियो विषय पर दो दिनी राष्ट्रीय संगोष्ठी शुरू हुई। बतौर मुख्य अतिथि प्रदेश के...

सांस्कृतिक विरासत से उपजी कृषि प्रणाली ही उपयुक्त
हिन्दुस्तान टीम,इलाहाबादSun, 22 Apr 2018 01:22 PM
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इलाहाबाद विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग के प्रेक्षागृह में सस्टेनेबिलिटी ऑफ एग्रीकल्चर इन चेजिंग क्लाइमेट सिनेरियो विषय पर दो दिनी राष्ट्रीय संगोष्ठी शुरू हुई। बतौर मुख्य अतिथि प्रदेश के पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. नरेंद्र सिंह गौर ने इसका उद्घाटन किया।

संगोष्ठी इविवि के वनस्पति विज्ञान और शुआट्स के कृषि अर्थशास्त्र विभाग की ओर से आयोजित की गई है। बीएचयू के प्रो. वीके दुबे ने भारत की सांस्कृतिक विरासत से उपजी कृषि प्रणाली को ही वर्तमान दौर के लिए उपयुक्त बताया। इविवि जंतु विज्ञान विभाग के डॉ. केपी सिंह ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के वर्तमान दौर में जीव जंतुओं में अनुकूलन ही उन्हें बचा सकता है। कुलभाष्कर आश्रम पीजी कॉलेज के डॉ. एके राय ने प्राकृतिक कृषि पद्धति में रसायन के उपयोग से होने वाले प्रभावों के बारे में जानकारी दी। इविवि के डीन रिसर्च एण्ड डेवलपमेंट डॉ. आरकेपी सिंह ने जलवायु परिवर्तन और आर्गेनिक फार्मिंग के बारे में जानकारी दी।

संगोष्ठी में शुआट्स के डॉ. डीके बोसे, इविवि के डॉ. आशुतोष त्रिपाठी ने भी विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में सेमिनार के कार्यकारी सचिव एवं वनस्पति विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रो. डीके चौहान, संयोजक डॉ. रामचंद्र, डॉ. अजय शंकर, डॉ. कुमुद दुबे, डॉ. धर्मेंद्र कुमार, शोध छात्र अतुल प्रताप सिंह, सच्चिदानंद मिश्रा, नमो नारायण मिश्र, योगेश अग्रवाल आदि उपस्थित थे। रविवार को संगोष्ठी में कृषि शिक्षा मंत्री सूर्य प्रताप शाही शामिल होंगे।

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