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चक्रपाणि के कानूनी नोटिस का जवाब देगा अखाड़ा परिषद

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की ओर से जारी फर्जी संतों की सूची पर विवाद बढ़ता जा रहा है। संतों का आपसी टकराव कानूनी लड़ाई का रूप ले रहा है। अखाड़ा परिषद की ओर से जारी फर्जी सूची में शामिल किए गए आचार्य...

चक्रपाणि के कानूनी नोटिस का जवाब देगा अखाड़ा परिषद
हिन्दुस्तान टीम,इलाहाबादMon, 19 Mar 2018 11:57 AM
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अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की ओर से जारी फर्जी संतों की सूची पर विवाद बढ़ता जा रहा है। संतों का आपसी टकराव कानूनी लड़ाई का रूप ले रहा है। अखाड़ा परिषद की ओर से जारी फर्जी सूची में शामिल किए गए आचार्य चक्रपाणि ने परिषद पदाधिकारियों को मानहानि का नोटिस भेजा है। साथ ही परिषद के पदाधिकारियों को सार्वजनिक तौर पर मीडिया के सामने माफी मांगने को कहा है। इस बारे में परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि का कहना है कि नोटिस मिलने पर उचित जवाब दिया जाएगा।

16 मार्च को बड़ा उदासीन अखाड़ा कीडगंज में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की बैठक में दो संतों को फर्जी करार दिया गया था। सूची में शामिल किए गए आचार्य चक्रपाणि की ओर से इस पर कड़ा एतराज किया गया है। उन्होंने अपने वकील के माध्यम से अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि, सचिव हरिगिरि और महंत राजेंद्र दास को कानूनी नोटिस भेजा है। आचार्य चक्रपाणि के अधिवक्ता की ओर से जारी गया गया नोटिस व्हाट्सएप ग्रुप पर वायरल है।

नोटिस में कहा गया है कि आचार्य चक्रपाणि अखिल भारतीय हिन्दू महासभा और संत महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और बाल ब्रह्मचारी हैं। हमेशा से संन्यास धर्म का पालन करते रहे हैं। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उनकी ख्याति है। सामाजिक और राजनीतिक कार्यक्रमों में लगातार उनकी भागीदारी रही है। रामजन्म भूमि के मामले में सुप्रीम कोर्ट में चल रहे मामले के मूल वादी हैं। इसके बावजूद 16 मार्च को अखाड़ा परिषद ने उन्हें फर्जी संत की सूची में डाल दिया। बिना किसी सुनवाई के ऐसा करने से यह प्रतीत होता है कि जलन और निजी रंजिश के कारण यह कदम उठाया गया है।

आचार्य चक्रपाणि के अधिवक्ता के नोटिस में कहा गया है कि अखाड़ा परिषद को ऐसा करने का कोई अधिकार नहीं है। परिषद के इस कदम से आचार्य की छवि धूमिल हुई है। ऐसे में अखाड़ा परिषद के तीनों पदाधिकारी 15 दिन के भीतर प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया के सामने सार्वजनिक तौर पर माफी मांगें। अन्यथा आईपीसी की धारा 499 और 500 फौजदारी और मानहानि के लिए 1100 करोड़ की क्षतिपूर्ति का दावा करेंगे। इस मामले में अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि का कहना है अब तक उन्हें कोई कानूनी नोटिस नहीं मिला है। नोटिस मिलने के बाद जवाब दिया जाएगा।

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