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1.37 लाख शिक्षक फिर से हो गए शिक्षामित्र

शिक्षामित्रों के सहायक अध्यापक के रूप में नियमितीकरण को सिरे से गैरकानूनी ठहराये जाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 1,37,517 घरों में मातम का माहौल है। सहायक अध्यापक पद पर समायोजन के बाद तकरीबन दस...

1.37 लाख शिक्षक फिर से हो गए शिक्षामित्र
हिन्दुस्तान टीम,इलाहाबादWed, 26 Jul 2017 11:42 AM
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शिक्षामित्रों के सहायक अध्यापक के रूप में नियमितीकरण को सिरे से गैरकानूनी ठहराये जाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 1,37,517 घरों में मातम का माहौल है। सहायक अध्यापक पद पर समायोजन के बाद तकरीबन दस गुना वेतन पा रहे इन शिक्षामित्रों को दोबारा पुरानी स्थिति में लौटना पड़ेगा। अब यदि ये शिक्षामित्र अगले दो प्रयासों में शिक्षक पात्रता परीक्षा पास कर लेते हैं तो ही दोबारा सहायक अध्यापक पद पर नौकरी मिलेगी। इस आदेश के बाद से सरकारी प्राथमिक स्कूलों में तकरीबन 17 साल से पढ़ा रहे 1.78 लाख शिक्षामित्रों को झटका लगा है। उत्तर प्रदेश में 1999 में शिक्षामित्र योजना लागू की गई थी। लंबे समय के संघर्ष के बाद समाजवादी पार्टी की सरकार ने 2012 में बगैर टीईटी शिक्षामित्रों के सहायक अध्यापक पद पर समायोजन का फैसला लिया। बिना टीईटी समायोजन के खिलाफ बेरोजगारों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका की जिस पर 6 जुलाई 2015 को सर्वोच्च न्यायालय ने समायोजन पर रोक लगा दी थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 12 सितंबर 20115 को समायोजन निरस्त कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर 2015 को हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी। इससे शिक्षामित्रों ने राहत की सांस ली थी। लेकिन मंगलवार के आदेश के बाद एक बार फिर मायूसी छा गई है। समाजवादी पार्टी सरकार ने पहले चरण में 60442 और दूसरे चरण में 77075 शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक पद पर समायोजित किया था। कब क्या हुआ 26 मई 1999: यूपी में शिक्षामित्र योजना लागू हुई 1 जुलाई 2001: योजना का विधिवत क्रियान्वयन अक्तूबर 2005: मानदेय 2250 रुपये से बढ़कर 2400 हुआ 15 जून 2007: मानदेय 2400 रुपये से बढ़कर 3000 2006-07 सत्र: नगर क्षेत्र में शिक्षामित्र योजना की शुरुआत 11 जुलाई 2011: शिक्षामित्रों के दो वर्षीय प्रशिक्षण का आदेश 23 जुलाई 2012: कैबिनेट ने समायोजन का निर्णय लिया 19 जून 2014: प्रथम बैच के शिक्षामित्रों के समायोजन का आदेश 6 जुलाई 2015: सुप्रीम कोर्ट ने समायोजन पर रोक लगाई 12 सितंबर 2015: हाईकोर्ट ने समायोजन निरस्त किया 7 दिसंबर 2015: सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाई 28 अप्रैल 2016: प्रशिक्षण के खिलाफ याचिका हाईकोर्ट ने खारिज की 25 जुलाई 2017: सुप्रीम कोर्ट ने समायोजन को गैरकानूनी ठहराया

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