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'डेथ सर्टिफिकेट' ने पूछा-' क्या हम जीवित हैं'

लूकरगंज क्लब की ओर से आयोजित सात दिनी 39वीं अखिल भारतीय समरेंद्र विष्णुपद बांग्ला लघु नाट्य प्रतियोगिता के दूसरे दिन रविवार को तीन नाटकों का मंचन...

'डेथ सर्टिफिकेट' ने पूछा-' क्या हम जीवित हैं'
हिन्दुस्तान टीम,इलाहाबादMon, 18 Dec 2017 02:30 PM
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लूकरगंज क्लब की ओर से आयोजित सात दिनी 39वीं अखिल भारतीय समरेंद्र विष्णुपद बांग्ला लघु नाट्य प्रतियोगिता के दूसरे दिन रविवार को तीन नाटकों का मंचन हुआ।

पहली प्रस्तुति डेथ सार्टिफिकेट में आज के दौर में मरती मानवता और तिल-तिल कर मरते लोगों के दर्दनाक हालात को बयां किया गया। नाटक के अंत में मूल चरित्र मंच पर प्रश्न ' क्या हम जीवित हैं', दर्शकों को बहुत कुछ सोचने पर मजबूर कर गया। नाटक का मंचन माथाभांगा गिलोटिन दन की ओर से किया गया। निर्देशन नारायण साहा ने किया।

दूसरा नाटक ढिसुम-ढिसुम संगन्ती नाटय दल की ओर से प्रस्तुत किया गया। जिसमें दिखाया गया कि कैसे एक निरीह व्यक्ति जिंदगीभर कभी किसी का प्रतिवाद नहीं कर पाता और सबकी बातें सिर झुकाकर मान लेता है। फिर एक दिन एक फकीर उसे प्रतिवाद करना सिखाता है जिसके बाद उसकी जिंदगी बदल जाती है। नाटक का निर्देशन अलोक मिश्र ने किया।

तीसरा नाटक मंत्रगुप्ति विभाव नाट्य अकादमी की ओर से प्रस्तुत किया गया। जिसमें कलाकरों ने यह बताने का प्रयास किया था कि गुलामी के दौरान आजादी के मतवाले सभी सुख सुविधाओं को त्यागते हुए किसी भी हद तक जाने को तैयार थे। नाटक का निर्देशन विप्लव मुखर्जी ने किया। तीनों नाटकों को दर्शकों ने खूब सराहा। दूसरे दिन कार्यक्रम का संचालन बाबुल भट्टाचार्या और धन्यवाद ज्ञापन संजीव डे ने किया।

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