सरकारी अस्पतालों में बढ़ें संसाधन, उपलब्ध हों विशेषज्ञ
Aligarh News - (यूपी बजट) फोटो, - विशेषज्ञों की कमी से जूझ रहे अस्पतालों को बजट

(यूपी बजट) फोटो,
- विशेषज्ञों की कमी से जूझ रहे अस्पतालों को बजट से आस
- तकनीशियनों के अभाव में धूल फांक रहीं हैं आधुनिक मशीनें
- निजी अस्पताल खोलने पर सरकार से अनुदान की हो रही मांग
अलीगढ़, वरिष्ठ संवाददाता। उत्तर प्रदेश सरकार गुरुवार को वित्तीय वर्ष 2025-26 का बजट पेश करने जा रही है। हर बार की तरह इस बार भी जनता की उम्मीदें सरकार से जुड़ी हैं, खासतौर पर स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर। बीते वर्षों में सरकार ने स्वास्थ्य सुविधाओं को सुधारने के लिए कई कदम उठाए, लेकिन धरातल पर अब भी डॉक्टरों की भारी कमी और अधूरी सुविधाओं की वजह से मरीजों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जिला अस्पतालों से लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों तक डॉक्टरों और आवश्यक संसाधनों की कमी साफ झलकती है। इस बार बजट से उम्मीद है कि डॉक्टरों की कमी को दूर करने और चिकित्सा सुविधाओं को सुदृढ़ करने पर जोर दिया जाएगा।
जनपद के सरकारी अस्पतालों की स्थिति गंभीर बनी हुई है। जिले में चिकित्सकों के कुल 312 स्वीकृत पद हैं, लेकिन केवल 113 ही तैनात हैं। मलखान सिंह जिला चिकित्सालय, मोहनलाल गौतम महिला चिकित्सालय और दीनदयाल उपाध्याय संयुक्त चिकित्सालय में हर दिन लगभग चार हजार मरीज आते हैं, मगर यहां डॉक्टरों की संख्या बेहद कम है। विशेषज्ञ डॉक्टरों की बात करें तो स्थिति और भी दयनीय है। कार्डियोलॉजिस्ट (हृदय रोग), गेस्ट्रोलॉजिस्ट (पेट रोग), ऑन्कोलॉजिस्ट (कैंसर विशेषज्ञ), न्यूरोलॉजिस्ट, एंडोक्रिनोलॉजिस्ट (मधुमेह विशेषज्ञ), यूरोलॉजिस्ट और त्वचा रोग विशेषज्ञ तक उपलब्ध नहीं हैं। स्त्री रोग विशेषज्ञ और फिजिशियन की भी भारी कमी है। जसरथपुर में ट्रॉमा सेंटर अब भी विशेषज्ञ और सुविधाओं के अभाव से जूझ रहा है। यदि इस बार स्वास्थ्य बजट में ठोस निर्णय लिए गए तो आने वाले समय में मरीजों को बेहतर सुविधाएं मिल सकेंगी।
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जांच सुविधाएं भी अधूरी
सरकारी अस्पतालों में कई आधुनिक मशीनें तो लगा दी गई हैं, लेकिन इनका संचालन करने वाले विशेषज्ञों की भारी कमी है। दीनदयाल उपाध्याय संयुक्त चिकित्सालय में ईईजी मशीन उपलब्ध है, मगर इसे चलाने के लिए कोई विशेषज्ञ नहीं है। एक अल्ट्रासाउंड मशीन लंबे समय से खराब पड़ी है, वहीं मलखान सिंह जिला चिकित्सालय में जंबो पैक मशीन का लाइसेंस अभी तक नहीं मिल पाया है। मरीजों को एमआरआई, सिटी स्कैन जैसी महत्वपूर्ण जांचों के लिए निजी लैब पर निर्भर रहना पड़ता है, जहां उन्हें महंगी दरों पर जांच करानी पड़ती है।
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बजट 2025-26 से क्या हैं उम्मीदें?
डॉक्टरों की संख्या बढ़ाने पर जोर : जिले के अस्पतालों में रिक्त पदों को जल्द से जल्द भरा जाए और नए चिकित्सकों की नियुक्ति की जाए।
विशेषज्ञ डॉक्टरों की तैनाती : कार्डियोलॉजिस्ट, न्यूरोलॉजिस्ट, ऑन्कोलॉजिस्ट जैसे विशेषज्ञों की भर्ती को प्राथमिकता दी जाए।
जांच सुविधाओं का विस्तार : एमआरआई, सिटी स्कैन, ईईजी जैसी जांचों को सरकारी अस्पतालों में अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराया जाए।
इमरजेंसी सेवाओं में सुधार : मरीजों को तत्काल उपचार मिल सके, इसके लिए इमरजेंसी सेवाओं को सुदृढ़ किया जाए।
मुफ्त दवाएं और कम जीएसटी : जीवनरक्षक दवाओं और सर्जिकल उपकरणों पर जीएसटी दरों को घटाकर इलाज को सस्ता किया जाए।
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इनका कहना है
स्वास्थ्य केंद्रों पर मरीजों को सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए बजट में वृद्धि करनी होगी। विभिन्न प्रकार की जांच करने वाली मशीनों पर इंपोर्ट ड्यूटी घटाई जाए।
डॉ. विकास मेहरोत्रा अध्यक्ष, इंडियन पीडियाट्रिक एसोसिएशन
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दवाओं को विभिन्न प्रकार के टैक्स हटाकर एक टैक्स के दायरे में लाया जाए। दवा व्यापार एक ही विभाग के अधीन किया जाए।
शैलेंद्र सिंह टिल्लू अध्यक्ष, जिला अलीगढ़ केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन
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सरकारी अस्पतालों में चिकित्सक व विशेषज्ञ उपलब्ध कराए जाएं। एंजियोग्राफी जैसी आधुनिक जांच की सुविधा मरीजों को मिले।
नीरज गिरी, क्वार्सी
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निजी अस्पताल खोलने पर अनुदान की व्यवस्था की जाए। अस्पतालों के पंजीकरण व नवीनीकरण की प्रक्रिया का सरलीकरण हो।
डॉ. विभव वाष्र्णेय पूर्व अध्यक्ष, प्राइवेट डॉक्टर्स एसोसिएशन
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