सातवीं आर्थिक गणना का दिया गया प्रशिक्षण
सातवीं आर्थिक गणना के लिए तैयारियां तेजी पकड़ने लगी है। पहली बार मोबाइल एप से पेपर लैस आर्थिक गणना को लेकर अफसरों भी उत्साहित...
सातवीं आर्थिक गणना के लिए तैयारियां तेजी पकड़ने लगी है। पहली बार मोबाइल एप से पेपर लैस आर्थिक गणना को लेकर अफसरों भी उत्साहित हैं। इसमें किसी स्तर पर लापरवाही न हो इसके लिए प्रशासनिक अफसरों ने जिम्मेदारों को आर्थिक गणना की बारीकियों से वाकिफ कराया। एक दिवसीय प्रशिक्षण में गणना के तरीकों से लेकर जुटाए जाने वाले आंकड़ों की भी जानकारी दी।
गुरुवार को कलक्ट्रेट सभागार में हुए प्रशिक्षण में जिला अर्थ एवं संख्या अधिकारी हरचरन लाल ने बताया कि
प्रशिक्षण में अर्थ एवं संख्या अधिकारी ने बताया गया कि पहली आर्थिक गणना साल 1977 में हुई थी जबकि छठी आर्थिक गणना वर्ष 2013 -14 में हुई थी । बताया कि सभी आर्थिक गणना मैनुअल रूप से हुई थी। अब सातवीं आर्थिक गणना मोबाइल ऐप के माध्यम से सीएससी, ई गवर्नेंस सर्विसेज इंडिया लिमिटेड के प्रगणकों के जरिए संपन्न कराई जाएगी। ये पूरी तरह से पेपरलेस तो होगी ही संग में जीओ टैग भी होगी। देश में चल रहे संगठित और असंगठित क्षेत्रों के आर्थिक क्रियाकलापों के आधारभूत आंकड़े इस गणना में जुटाए जाते हैं। इन आंकड़ों को ही देश एवं प्रदेश के विकास के लिए नीति निर्धारण और नियोजन का आधार बनाया जाता है। गणना में एकत्रित की गई जानकारी को गोपनीय रखा जाएगा। गणना का कार्य जून से अगस्त तक तीन माह पूरा करना है। लिहाजा प्रयास हो कि इसमें किसी स्तरप र लापरवाही न बरती जाए। समय से कार्य पूर्ण किया जाए। इसके लिए डीएम की अध्यक्षता में जिला स्तरीय समन्वय समिति का गठन किया है, सदस्य सचिव अर्थ एवं संख्या अधिकारी को बनाया है।
इस दौरान एडीएम वित्त, एडीएम राजस्व, एआर कोआपरेटिव, जिला खादी एवं ग्रामोद्योग अधिकारी, डीओ एफडीए, मंडलीय अर्थ एवं संख्या अधिकारी, जिला के सहायक एवं अपर सांख्यिकीय अधिकारीगण विजय कुमार अग्रवाल ने प्रगणकों को बारीकियों से वाकिफ कराया। जिला प्रबंधक कॉमन सर्विस सेंटर विष्णुकांत, अपर सांख्यिकी अधिकारी प्रदीप कुमार माहेश्वरी, मुकेश कुमार और सुमंत यादव ने प्रक्रिया से वाकिफ कराया।