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शराब कांड: राजस्थान व उत्तराखंड तक लाइसेंसी शराब कारोबार में माफियाओं का दखल

शराब माफियाओं का राजस्थान व उत्तराखंड तक लाइसेंसी शराब के कारोबार में दखल रहा है। पिछले कुछ ही वर्षों में अलीगढ़ शराब कांड के आरोपियों ने दूसरे राज्यों तक अपना नेटवर्क फैलाया। राजस्थान में शराब...

शराब कांड: राजस्थान व उत्तराखंड तक लाइसेंसी शराब कारोबार में माफियाओं का दखल
कार्यालय संवाददाता। ,अलीगढ़।Fri, 11 Jun 2021 01:19 AM
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शराब माफियाओं का राजस्थान व उत्तराखंड तक लाइसेंसी शराब के कारोबार में दखल रहा है। पिछले कुछ ही वर्षों में अलीगढ़ शराब कांड के आरोपियों ने दूसरे राज्यों तक अपना नेटवर्क फैलाया। राजस्थान में शराब दुकान, मॉडलशॉप के लिए वहां के व्यापारियों के साथ पार्टनरशिप में कारोबार फैलाया। इतना ही नहीं माफियाओं के गैंग से जुड़े कुछ सदस्यों ने प्रदेश के अन्य जनपदों में शराब के ठेके व थोक गोदाम तक लिए हैं। माफियाओं के करीबी रहे एक थोक कारोबारी ने बुलंदशहर, मेरठ व गाजियाबाद तक इस नेवर्टक बढ़ाया।
अवैध शराब का कारोबार करने के साथ वैध कारोबार में बढ़ने के लिए माफियाओं पर आबकारी विभाग के विशेष कृपा रही। 20 सालों में सफर में अवैध शराब के धंधे व तस्करी से फलने-फूलने वालों ने तेजी से सफलता हासिल की। सूत्रों के अनुसार पिछले कुछ वर्षों में माफियाओं ने उत्तरप्रदेश के अलावा राजस्थान व उत्तराखंड तक में कदम रखा। मौत के सौदागरों की अब तक की जांच में इससे जुड़े भी कई अहम सुराग पुलिस-प्रशासन को मिले हैं। शराब माफिया अनिल चौधरी के शराब कारोबार में साइलेंट पार्टनर कहे जाने वाले कारोबारी ने यह काम किया। आबकारी विभाग के आला अधिकारियों की विशेष कृपा के चलते सब कुछ आसानी से होता रहा। सूत्रों के अनुसार साइलेंट पार्टनर पिछले पांच वर्षों में जिले के बाहर शराब के फुटकर व थोक कारोबार में बढ़त बना चुका है।
 

माफियाओं के ठेकों की नहीं होती थी जांच
भले ही प्रदेश सरकार मिलावटी शराब को रोकने के लिए कितना भी कड़ा कानून बना ले, लेकिन विभागीय अफसरों की लापरवाही से इस पर पानी फिर जाता है। स्थानीय स्तर पर तो कोई इंस्पेक्टर दुकानों को जांच करने जाता नहीं था, अगर जाता भी था तो तस्करों की दुकानों की जांच कभी नहीं होती थी। विशेष अभियान में जांच को टीम पहुंचती भी है तो फिर पहले ही संचालक को मुखबिरी कर दी जाती है। इससे मौके पर सब कुछ चकाचका मिलता है। इस एवज में शराब माफिया विभाग के बाबू, ड्राइवर, सिपाही, इंस्पेक्टर से लेकर अधिकारियों का विशेष ध्यान रखते थे।

गोपनीय रिपोर्ट में आबकारी विभाग की पूरी मिलीभगत का जिक्र
पुलिस व प्रशासन द्वारा शराब कांड को लेकर एक संयुक्त रिपेार्ट शासन में भेजी जा चुकी है। इसमें आबकारी विभाग के संलिप्ता को इस मामले के जिम्मेदारी ठहराया है। सूत्रों के मुताबिक दोनों अफसरों ने संयुक्त रिपोर्ट में जिक्र किया है कि विभागीय अफसरों की मिलीभगत से ही यह पूरा खेल चल रहा था। उच्च अफसरों को भी इस मिलावटी शराब बिक्री की पूरी जानकारी थी, लेकिन सभी कार्रवाई के नाम पर कार्रवाई करते रहे। ऐसे में आबकारी विभाग के अफसर व कर्मचारियों की मिलीभगत से ही पूरा खेल चल रहा था। 
 

शराब कांड में आबकारी विभाग के अब तक यह हुए निलंबित
-जिला आबकारी अधिकारी, धीरज शर्मा
-आबकारी निरीक्षक क्षेत्र तीन, राजेश कुमार यादव
-प्रधान आबकारी सिपाही क्षेत्र तीन, अशोक कुमार
-आबकारी निरीक्षक क्षेत्र चार, चंद्रप्रकाश यादव
-आबकारी सिपाही क्षेत्र चार, रामराज राना


शराब माफियाओं से जुड़े जो भी लोग हैं। उनका रिकार्ड भी खंगाला जा रहा है। अब तक माफियाओं से लिंक लोगों की गिरफ्तारी के अलावा उनकी दुकानों को भी निरस्त कराया गया है।
-चंद्रभूषण सिंह, डीएम

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