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इस्लामी मनोविज्ञान आंदोलन को आगे बढ़ाने की जरूरत: डा. बागुस

इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ मुस्लिम सायकोलॉजिस्ट्स के अध्यक्ष डॉ़ बागुस रियानो ने कहा कि इस्लामी मनोविज्ञान का अगला कदम शिक्षा के आधार पर सिद्धांतों का निर्माण कर वैज्ञानिक बुनियाद प्रदान करने के लिए गहन...

इस्लामी मनोविज्ञान आंदोलन को आगे बढ़ाने की जरूरत: डा. बागुस
हिन्दुस्तान टीम,अलीगढ़Sun, 11 Nov 2018 12:25 AM
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इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ मुस्लिम सायकोलॉजिस्ट्स के अध्यक्ष डॉ़ बागुस रियानो ने कहा कि इस्लामी मनोविज्ञान का अगला कदम शिक्षा के आधार पर सिद्धांतों का निर्माण कर वैज्ञानिक बुनियाद प्रदान करने के लिए गहन शोध करना है। इस मौके पर एएमयू वीसी प्रो. तारिक मंसूर ने कहा कि भारतीय मुसलिमों को इंडोनेशिया और मलेशिया के विकास मॉडल को अपनाना चाहिए। एएमयू के मनोविज्ञान विभाग में आयोजित इस्लामिक मनोविज्ञान सिद्धांत, शोध व उपयोग, विषय पर आयोजित तीन दिवसीय अन्तरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में रियानो ने इस्लामी मनोविज्ञान के भविष्य पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यह कॉन्फ्रेंस इस्लामिक मनोविज्ञान के विकास में प्रतिभागियों को एक प्रभावी मंच प्रदान करेगा। इस्लामी मनोविज्ञान आंदोलन वर्ष 1970 में प्रो. मलिक बदरी ने आरंभ किया था। यह आंदोलन आज भी कई देशों में चल रहा है। दूसरे मानद अतिथि ईरान की अल मुस्तफा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी के भारत प्रतिनिधि मुहम्मद रेजा़ सालेह ने कहा कि समाजशास्त्र, कानून, मनोविज्ञान, राजनीतिक, नैतिक और सामाजिक मनोविज्ञान के क्षेत्र में इस्लामी मानव विज्ञान के अनुप्रयोग आधुनिक मानव जीवन में आवश्यक है। हमें धर्म की समझ के तर्क संगत तरीकों और मूल स्रोतों से धार्मिक विचारधाराओं को निकालने के लिए एक अनूठी पद्धति तैयार करने की आवश्यकता है।उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. तारिक मंसूर ने कहा कि इस्लाम सकारात्मक सोच और विचार प्रक्रियाओं को सकारात्मक तरीके से नियंत्रित करने की शिक्षा देता है। इस्लामी शिक्षा का पालन करते हुए स्वयं को क्रोध, अवसाद और चिंताओं से मुक्त कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय मुसलमानों को इंडोनेशिया और मलेशिया जैसे मुस्लिम बाहुल्य देशों के विकास मॉडल को अपनाना चाहिए। इन देशों ने कैसे सहिष्णुता, बाहुलतावाद और समानता के आधार पर अपने लोगों में आर्थिक और सामाजिक सुधारों को गति प्रदान की। दूसरे आयोजन सचिव जामिया मिल्लिया इस्लामिया के प्रो. नवेद इकबाल ने जताया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. फौजिया अलसबा शेख ने किया।-------------- इस्लामी मनोविज्ञान धर्म, अल तिब्ब, आध्यात्मिकता व धर्मशास्त्र में एकीकृत : प्रो. अकबर फोटो- अलीगढ़। कॉन्फ्रेंस के निदेशक और समाज विज्ञान संकाय के अधिष्ठाता प्रो. अकबर हुसैन ने कहा कि अल गिजाली ने इस ब्रांच को इल्म अल नफसियात और इल्म अल मुआमलात के रूप में मान्यता दी। उन्होंने कहा कि इस्लामी मनोविज्ञान धर्म, अल तिब्ब, अध्यात्मिकता और धर्मशास्त्र में एकीकृत है। मुस्लिम विद्वानों जैसे अबु यूसुफ याकूब इब्र इसहाक, अबु जाहिद अल बालावी, अबु बकर मुहम्मद इब्न जकारिया अल राजी, अबु नसर मुहम्मद, शाह वली उल्ला और अशरफ थानवी जैसे विद्वानों ने सामाजिक विज्ञान पर अविश्वसनीय प्रभाव डाला। आंदोलन को मिलेगी नई गति : प्रो. रोमाना फोटो- अलीगढ़। मनोविज्ञान विभाग की अध्यक्ष एवं कॉन्फ्रेंस की आयोजन सचिव प्रोफेसर रोमाना एन सिद्दीकी ने अतिथियों का स्वागत किया। कहा कि इस कॉन्फ्रेंस से आंदोलन को नई गति मिलेगी।

कॉन्फ्रेंस में इन देशों से विद्वान हुए शामिल

कॉन्फ्रेंस में आस्ट्रेलिया, सूडान, बंग्लादेश, इंडानेशिया और ईरान सहित देश भर से सौ से अधिक प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। समापन समारोह 12 नवंबर को दोपहर 12 बजे स्ट्रेची हाल में होगा।

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