हिन्दुस्तान मिशन शक्ति के अंतर्गत गुरुवार को कस्बा सासनी के कन्या इंटर कॉलेज में स्कूल संवाद का आयोजन किया गया। इस आयोजन में मुख्य अतिथि जिला कार्यक्रम अधिकारी डीके सिंह रहे। उनके अलावा कार्यक्रम में कस्बे की समाजसेवी सुनीता वाष्र्णेय व तहसीलदार निधि भारद्वाज मौजूद रहीं।
स्कूल संवाद में इंटर कालेज की दो सौ से अधिक छात्राओं के बीच अतिथियों द्वारा महिला सशक्तिकरण को लेकर अपनी अपनी बात कहीं। अपनी सफलता की कहानी के साथ ही उनके सफल होने के लिए समाज की सोच को बदलने के बारे में बताया गया। वहीं मौके पर मौजूद महिला कल्याण अधिकारी मोनिका गौतम ने प्रदेश सरकार द्वारा महिला सशक्तिकरण के लिए चलाई जा रही तमाम योजनाओं व हेल्पलाइन नम्बर के बारे में विस्तार से जानकारी दी। वहीं जागरुकता के लिए हेल्पलाइन नम्बर व योजनाओं के पम्फलेट्स का वितरण किया। इस दौरान महिला शक्ति केन्द्र की जिला समन्वयक ज्योति तोमर एवं सीमा गौतम का भी विशेष सहयोग रहा। कार्यक्रम में प्रधानाचार्य सीमा श्रीवास्तव, शिक्षिका रचना रानी, मिनाक्षी चौधरी, ऊषा सिंह, रीना सिंह, श्वेता सिंह, प्रभा वाष्र्णेय, रीता भारती, रानी अग्रवाल, नारायण माहेश्वरी, गीता वाष्र्णेय आदि के सहयोग से छात्राओं ने कविता, नाट्य व गीत की प्रस्तुतियां दीं।
कल की बेटी को पूरी सुरक्षा देगी आज की कोशिश
स्कूल संवाद की मुख्य वक्ता जिला महिला कल्याण अधिकारी मोनिका गौतम ने कहा कि आज बेटा बेटी का भेद भाव अपेक्षाकृत काफी कम है, लेकिन हमें इसे पूरी तरह खत्म करना है। अगर आपके घर में इस तरह का भेदभाव हो रहा है तो रोकने के लिए कदम उठाना होगा, लेकिन अगर आपके आसपास भी ऐसा हो रहा है तो उस पर ध्यान देना होगा। इस बात पर आपको गम्भीरता से विचार करना होगा कि इसे कैसे खत्म किया जाए। तब ही बेटियां महिलाएं सशक्त हो पाएंगी। उन्होंने बताया कि ये एकदम से नहीं हुआ। पहले अभियान चला ‘पढ़ी लिखी लड़की रौशनी घर की’ लेकिन अब ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ इन दोनों अभियानों के समय का अंतर समझना होगा। पहले बेटी को पढ़ाया नहीं जाता था, लेकिन अब बेटी को बचाना है। इसके लिए आपको जागरुक होना पड़ेगा। क्योंकि आपकी आज की कोशिश कल बेटी को पूरी तरह सुरक्षा देगी। आपको किसी गलत को सहना नहीं है। आपको बताना है कि आप सबकुछ कर सकती हैं, कुछ बन सकती हैं। बस सही माहौल व सही दिशा की आवश्यकता है। मोनिका ने महिला सुरक्षा को लेकर जारी हेल्पलाइन नम्बर, वन स्पॉट सेंटर, कन्या सुमंगला योजना, विधवा पेंशन योजना के अलावा माता पिता दोनों के न होने व असाध्य बीमारी से ग्रसित होने पर दी जाने वाली आर्थिक मदद आदि के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
परिवार के पुरुषों को भी करें जागरुक
संवाद में मौजूद तहसीलदार सासनी निधी भारद्वाज ने कहा कि जो भी योजनाएं सरकार ने चलाई हैं, जो भी बातें यहां बताई जा रही हैं, उन्हें सुनना नहीं, बल्कि जीवन में उतारने की आवश्यकता है। इन योजनाओं की सफलता आप के ऊपर ही निर्भर है, आप जब इनका प्रयोग करेंगे और सशक्त बनेंगे, तब ही इन योजनाओं को सफल माना जा सकता है। आपको अपने सम्मान, अपनी सुरक्षा व आत्मनिर्भरता के लिए खुद को जागरुक करना होगा। वहीं आपकी जिम्मेदारी दूसरी कमजोर महिलाओं को जागरुक करने की भी है। वहीं आप इसकी शुरुआत अपने परिवार से ही करें, अपने परिवार के पुरुष जैसे भाई, पिता, चाचा आदि को इन सब के बारे में बताएं। ताकि वे भी आपकी इसमें मदद करें। आपको अपनी सोच के साथ उनकी सोच को भी बदलना है, तब ही एक सुरक्षित समाज की संरचना आप कर पाएंगे।
अपनी कला व क्षमताओं को उभारें, छुपाएं नहीं
संवाद में मौजूद महिला समाजसेवी सुनीता वाष्र्णेय ने कहा कि आज की महिलाएं आज की बेटी बहुत जागरुक है। कहा कि महिलाओं के जागरुक होने से ही समाज को आगे बढ़ाया जा सकता है। आपको प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जाने वाली योजनाओं आदि के प्रयोग को सीखना है और दूसरों को सिखाना है। आपके भीतर बहुत सारी कलाएं, बहुत अधिक क्षमताएं हैं, लेकिन आप इसे बाहर नहीं निकालते। जो अपनी क्षमताओं व अपनी कलाओं का पूरा प्रयोग करता है, वह नारी समाज में कुछ अलग कर दिखाती है। अपनी कला व क्षमताओं को उभारें उन्हें छुपाएं नहीं। आज की महिलाओं व बेटियों को अपने मन को बदलाव के लिए तैयार करना है। हमने देखा है कि हम महिलाओं को रोजगार परक बनाने के लिए उनके घर जाते हैं, उन्हें कहते हैं कि वे अपने समय का सदप्रयोग करें। कुछ सीखे और रोजगारपरक बनकर परिवार की आर्थिक मदद करें, लेकिन अधिकांश इसे नहीं मानती। वे जहां हैं, वहीं रहना चाहती हैं, उनका मन बदलाव के लिए तैयार नहीं हो पाता, लेकिन अब उन्हें आगे बढ़ना होगा। महिलाओं में समस्याओं के निवारण की कला है। समाज का विकास महिलाओं के ऊपर ही निर्भर है।
शिक्षा से होकर जाता है आत्मनिर्भता का रास्ता
संवाद में मुख्य अतिथि जिला कार्यक्रम अधिकारी डीके सिंह ने छात्राओं से सीधे संवाद करते हुए कहा कि आपका कहना है कि आप कमजोर नहीं है, लेकिन आपको आज भी सशक्त होने की आवश्यकता है। इसलिए ही ये कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। सामान्य रूप में परिवार का मुखिया पिता होता है। उसी के निर्णय परिवार में चलते हैं, लेकिन दक्षिण भारत एक हिस्से में रहने वाली एक जाति में महिला प्रधान होती है। इतना ही नहीं वहां जमीन जायदाद में बेटों की जगह बेटियों को हिस्सा दिया जाता है। यानि जहां जिसका वर्चस्व होता है वहां वही शाक्तिशाली होता है, लेकिन बराबरी के समाज की संरचना के लिए बदलाव जरूरी है। कहा कि सुरक्षा, सम्मान व आत्मनिर्भता का रास्ता शिक्षा से होकर जाता है। बेटा कमाता है तो उसे पसंद किया जाता है, जब बेटी कमाती है तो उसे भी पसंद किया जाएगा। पढ़ लिखकर जो महिला अधिकारी यहां बैठी हैं कोई कहे कि वो कमजोर हैं तो सही नहीं है, क्योंकि वह आर्थिक रूप से मजबूत हैं। आप भी अगर पढ़ेंगी और उसमें आने वाली रुकावटों से सरकारी हेल्पलाइन आदि से लड़ेगीं तो निश्चित ही सफल होंगी। आपको सिर्फ अवसर की आवश्यकता है। समाज में स्थान व अधिकार आप खुद ले लेंगी। खुद भी प्रेरित हों और दूसरों को भी प्रेरित करें।
सम्मान मिलेगा तो आप स्वत: ही सशक्त हो जाएंगी
संवाद में प्रधानाचार्य सीमा श्रीवास्तव ने कहा कि प्रदेश सरकार व हिन्दुस्तान के संयुक्त प्रयासों से जो कार्यक्रम आयोजित हो रहा है। उससे निश्चित ही आपको बहुत कुछ समझ आया होगा। क्योंकि इससे मैंने भी बहुत कुछ सीखा और समझा है। बहुत सारी बातें तो हम अभी तक नहीं जानते थे। इन कार्यक्रमों के माध्यम से आपको जागना होगा। आप जागोगे तो परिवार को जगाओगे, फिर समाज को जगाओगे। आपको एक चिंगारी दे दी गई है, आपको यहां से अपने सशक्त होने की शुरुआत करनी है। अपनी सुरक्षा अपना सम्मान हासिल करना है। जिस दिन आपको सम्मान मिलने लग जाएगा, आप स्वत: ही सशक्त हो जाएंगी। उन्होंने छात्रओं से कहा कि आपको यहां मौजूद सभी अतिथियों का विश्वास कराना होगा कि उनके प्रयास सफल हुए हैं। पहले जो आपकी मां ने सहा, वह आज आप नहीं सह रहीं, और आज जो आप सह रहीं है, ध्यान रहे कि आगे आपकी बेटी न सहे। उसे एक खुला आसमान मिले, जहां वे खुल कर उड़ सके। उसके मन में कहीं भी असुरक्षा की भावना न हो।
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हिन्दुस्तान मिशन शक्ति : बेटी के अपने समाज की अग्रदूत बनने की आवश्यकता
हिन्दुस्तान संवाद,हाथरस | Published By: Sunil
- Last updated: Fri, 01 Jan 2021 06:32 PM

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- Web Title:Hindustan Mission Shakti The need for the daughter to become the forerunner of her society
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