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भारतीय संस्कृति और धर्म की रक्षा के लिए गुरू तेग बहादुर ने दिया बलिदान

भारतीय संस्कृति और धर्म की रक्षा के लिए गुरू तेग बहादुर ने दिया बलिदान ...

भारतीय संस्कृति और धर्म की रक्षा के लिए गुरू तेग बहादुर ने दिया बलिदान
हिन्दुस्तान टीम,अलीगढ़Wed, 24 Nov 2021 05:55 PM
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भारतीय संस्कृति और धर्म की रक्षा के लिए गुरू तेग बहादुर ने दिया बलिदान

-आज़ादी के अमृत महोत्सव पर विकास भवन में मनाया गया गुरु तेगबहादुर का प्रकाश पर्व

फोटो-

कार्यालय संवाददाता। अलीगढ़।

देश, धर्म, मानवीय आदर्शों की रक्षा करने के लिए सर्वस्व समर्पित करने वाले सिख धर्म के 9वें गुरु तेग बहादुर के बलिदान को भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने भारतीय संस्कृति और धर्म की रक्षा के लिए बलिदान दिया। यह बातें बुधवार को चौरी चौरा शताब्दी समारोह पर आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर विकास भवन में गुरु तेग बहादुर के 400 प्रकाश पर्व पर जत्थेदार भूपेंद्र सिंह ने कहीं।

जिला विकास अधिकारी भरत कुमार मिश्र ने कहा कि गुरु तेग बहादुर ने धर्म की रक्षा करते हुए अपने प्राणों का बलिदान कर दिया। सिख गुरु के बलिदान का इतिहास गौरव की अनुभूति कराता है। सिख गुरुओं का त्याग और बलिदान आज भी हर भारतीय के मन में श्रद्धा और सम्मान का भाव पैदा करता है। परियोजना निदेशक ग्राम विकास अभिकरण भालचंद्र त्रिपाठी ने कहा कि गुरु तेग बहादुर का सत्य, न्याय और धर्म के लिए दिया गया बलिदान कभी व्यर्थ नहीं जाएगा। उन्होंने कहा कि खालसा पंथ का शौर्य, त्याग और पराक्रम का लंबा इतिहास रहा है। प्रमोद सिंह सेनानी ने कहा कि सिख धर्म में सदैव गुरु एवं शिष्य की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए सदैव राष्ट्र को एक नई ऊर्जा दी है। कोरोना काल में भी सिख समाज में खाने के ही नहीं बल्कि ऑक्सीजन के लंगर लगाए। कृष्णा गुप्ता ने कहा कि सिख धर्म त्याग से भरा हुआ देश भक्तों को समर्पित रहा है। उन्होंने विद्यालयों के पाठ्यक्रम में शहीदों के इतिहास को शामिल करने पर बल दिया। इंजीनियर वीके गुप्ता ने कहा कि बॉर्डर पर शहीद होने की प्रेरणा सिख गुरुओं से ही प्राप्त होती है। उन्होंने शहीद ए आजम भगत सिंह को याद करते हुए कहा कि फांसी के वक्त उन्होंने अपनी माता से कहा था-मत रो माता, लाल तेरे बहुतेरे....।

कर्नल जगरूप सिंह ने कहा कि सिखों के बलिदान से हमें सीखना भी चाहिए और हम सीखे भी हैं। सरहदों पर हमारा जवान यह तो तिरंगा लहरा कर आता है या फिर तिरंगे में लिपट कर आता है। वह खुशनसीब हैं जो तिरंगा लहरा कर आए और उनसे ज्यादा है वह खुशनसीब हैं जो तिरंगा लहरा कर भी आए और तिरंगे में लिपट कर भी आए। अपर जिला विकास अधिकारी समाज कल्याण संध्या रानी बघेल ने कहा कि सिख बिरादरी त्याग बलिदान के लिए जानी जाती है। गुरु तेग बहादुर जी के कृतित्व एवं व्यक्तित्व को शब्दों में नहीं बांधा जा सकता। माता नानकी ने जो आचार विचार तेग बहादुर को दिए, सभी माताएं अपने बच्चों में वह आचार-विचार भरें तो देश को विश्व गुरु बनने से कोई रोक नहीं सकता। सुरेंद्र कुमार शर्मा ने अलीगढ़ के शिशियापाड़ा में स्थापित गुरुद्वारा का जिक्र करते हुए कहा कि वहाँ पर रखे ग्रन्थों, प्रपत्रों की स्मृतियाँ जो इतिहास पन्नों में दर्ज है। वह सभी के सामने लाने की बात कही। कार्यक्रम का संचालन राजेश गौड़ द्वारा किया गया। इस दौरान डीआईओ सन्दीप कुमार, योगेश प्रकाश, गौतम गुप्ता, राजेंद्र प्रसाद, अमित प्रसाद, नीरज कुमार, सार्जेंट मदन सिंह, चंद्रपाल सिंह, लेफ्टिनेंट जीसी वर्मा, ज्ञानेंद्र सिंह, विनय कुमार, राजेंद्र प्रसाद, गौरव गुप्ता, मोहम्मद शाह जफर, सोनपाल सिंह, राजेश कुमार, थान सिंह, कोमल गौतम, नेक बहादुर, रविंद्र सिंह, जय सिंह सुमन, हिमांशु गुप्ता, रविंद्र सिंह, ज्ञान सिंह आदि मौजूद थे।

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