डिफ्रेंशिएटर: गंगा में अब घड़ियाल व कछुओं की संख्या पता लगाने को होगा सर्वे
डिफ्रेंशिएटर: गंगा में अब घड़ियाल व कछुओं की संख्या पता लगाने को होगा सर्वे ...

डिफ्रेंशिएटर: गंगा में अब घड़ियाल व कछुओं की संख्या पता लगाने को होगा सर्वे
-अलीगढ़ से सटे गंगा क्षेत्र में वन विभाग व वाइल्ड लाइफ टीम देखेगी सूरत-ए-हाल
-वन विभाग का मानना घड़यिालों के लिए गंगा क्षेत्र काफी है मुफीद
-20 दिसंबर के बाद से अलग-अलग टीमें गणना के लिए गंगा में उतरेंगी
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कार्यालय संवाददाता। अलीगढ़।
अलीगढ़ जनपद की सीमा से होकर गुजरने वाली गंगा नदी में डॉल्फिन सर्वे के बाद अब घड़ियाल व कछुए की संख्या पता लगाने की कार्यवाही शुरू की जाएगी। वन विभाग व वाइल्ड लाइफ की टीम इसके लिए सर्वे करेगी। 20 दिसंबर के बाद से अलग-अलग टीमें गणना के लिए गंगा में उतरेंगी। वन विभाग का मानना है कि घड़ियालों के लिए अलीगढ़, बुलंदशहर क्षेत्र में होकर बहने वाली गंगा काफी मुफीद है।
अलीगढ़ सीमा में होकर बहने वाली गंगा नदी में कितने जलीय जीव हैं। इसका अनुमान लगाने के लिए वन विभाग सर्वे की कार्यवाही करता है। नदी में कितने घड़ियाल, कछुए आदि कितने हैं, अभी इसका कोई रिकार्ड विभाग के पास नहीं है। पहली बार यूपी के 16 जनपदों में गंगा डॉल्फिन सर्वे भी किया जा रहा है। जिले में दो दिवसीय सर्वे विभाग की टीमें चुकी हैं। विभाग के अनुसार कूड़ा-कचरा व फैक्ट्रियों का अपशिष्ट बहाने से गंगा में घुलनशील आक्सीजन की मात्रा कम हो गई। इससे जलीय जीव विलुप्त होते चले गए। नमामि गंगे जैसी योजना के फलस्वरूप गंगा का पानी साफ हुआ है। इसमें मगरमच्छ व कछुए ही नहीं, डाल्फिन जैसे जलीय जीवों की संख्या बढ़नी शुरू हो गई है। अब सर्वे में यह पता लगाया जाएगा कि गंगा नदी में अपने क्षेत्र के हिस्से वाले भाग में इनकी कितनी संख्या है।
0-यमुना नदी में भी पाए जा चुके हैं घड़ियाल
अलीगढ़ के दो छोर पर एक तरफ गंगा तो दूसरी तरफ यमुना नदी बहती है। यमुना नदी में भी घडि़याल होने की बात सामने आ चुकी है। बीते दिनों एएमयू के वाइल्ड लाइफ साइंस डिपार्टमेंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक यमुना नदी चंबल के बाद अब घड़ियालों के प्रजनन के लिए बेहद अनुकूल हुई है। यमुना नदी के पानी की गुणवत्ता में हुआ सुधार इनके लिए मुफ़ीद है। लॉकडाउन के चलते यमुना नदी के पानी में प्रदूषण का स्तर कम हुआ था। इसे इकोलॉजिकल फ्लो कहते हैं। साथ ही घड़ियाल के लिए नदी का बहुत तेज बहाव नहीं चाहिए और न ही बहुत ठहरा हुआ पानी चाहिए। यह विशेषताएं यमुना नदी के पानी में हैं। इसीलिए घड़ियालों के प्राकृतिक आवास के लिए यमुना नदी अब बेहद अनुकूल साबित हो रही है। माना जाता है कि घड़ियालों की संख्या बढ़ने से नदी के अवशिष्ट पदार्थों में भी कमी आती और उससे पानी की गुणवत्ता में और सुधार होता है।
0-जवां की नहर में छुड़वाए गए थे दो घड़ियाल
वन विभाग के मुताबिक कुछ वर्ष पूर्व गंगा नदी का पानी अनुकूल होने पर दो घड़ियाल जवां की नहर में मिले थे। जिनकों गंगा नदी में छुड़वाया गया था।
0-प्रजनन स्थल बनाए जाएंगे
वन विभाग घड़ियाल व कछुओं का सर्वे करने के बाद गंगा नदी में इनके प्रजनन के लिए प्वाइंट तय करेगा। ताकि इनका कुनबा बढ़ सके।
0-वर्जन
गंगा नदी में घड़ियाल व कछुओं की संख्या का पता लगाने के लिए सर्वे किया जाएगा। वर्तमान में नदियों का पानी शुद्ध व साफ होने की वजह से जलीय जीवों के लिए नदियां अनुकूल हो रही हैं।
-दिवाकर वशिष्ठ, डीएफओ
