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संविधान दिवस: अलीगढ़ में जन्में स्वतंत्रता सेनानी मोहनलाल गौतम रहे थे संविधान सभा के सदस्य

संविधान दिवस: अलीगढ़ में जन्में स्वतंत्रता सेनानी मोहनलाल गौतम रहे थे संविधान सभा के...

संविधान दिवस: अलीगढ़ में जन्में स्वतंत्रता सेनानी मोहनलाल गौतम रहे थे संविधान सभा के सदस्य
हिन्दुस्तान टीम,अलीगढ़Fri, 26 Nov 2021 06:05 PM
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संविधान दिवस: अलीगढ़ में जन्में स्वतंत्रता सेनानी मोहनलाल गौतम रहे थे संविधान सभा के सदस्य

-1902 में जन्म लेने के बाद किशोरावस्था में ही स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े थे

-लाला लाजपत राय के संपर्क में रह कर सर्वेंटस ऑफ पीपुल सोसायटी के सदस्य बने

-1937-38 में गोविंद बल्लभ पंत के नेतृत्व में बनी यूपी सरकार में देवरिया, गोरखपुर से जीते थे

-उनकी बेटी शीला गौतम स्लीपवैल कंपनी की चेयरपर्सन व चार बार अलीगढ़ की सांसद रहीं थीं

कार्यालय संवाददाता। अलीगढ़।

हर साल 26 नवंबर का दिन बेहद खास होता है। आज के ही दिन देश की संविधान सभा ने मौजूदा संविधान को विधिवत रूप से अपनाया था। यह संविधान ही है जो हमें एक आजाद देश का आजाद नागरिक की भावना का एहसास कराता है। जहां संविधान के दिए मौलिक अधिकार हमारी ढाल बनकर हमें हमारा हक दिलाते हैं, वहीं इसमें दिए मौलिक कर्तव्य में हमें हमारी जिम्मेदारियां भी याद दिलाते हैं। इस संविधान को तैयार करने में अलीगढ़ में जन्में स्वतंत्रता सेनानी मोहनलाल गौतम का भी योगदान रहा था। वह संविधान सभा के सदस्य रहे थे। छह दिसंबर 1946 को संविधान सभा की स्थापना हुई थी। 26 नवंबर, 1949 को ही देश की संविधान सभा ने वर्तमान संविधान को विधिवत रूप से अपनाया था। हालांकि इसे 26 जनवरी, 1950 को लागू किया गया था।

पांच अगस्त 1902 को अलीगढ़ के वीरपुरा में पैदा हुए मोहनलाल गौतम किशोर अवस्था के बाद ही स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े थे। असहयोग आंदोलन के दौरान शाहजहांपुर, लखीमपुर खीरी क्षेत्र में काम किया, बाद में लाहौर गए और पंजाब केसरी लाला लाजपत राय के संपर्क में रह कर सर्वेंटस ऑफ पीपुल सोसायटी के सदस्य बने। यहीं पर राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन के संपर्क में आए। राष्ट्रीय आंदोलन के समय अलीगढ़ की जमीन से इंकलाब के स्वर उठ रहे थे। राष्ट्रीय आंदोलन के नायक पंडित मोहन लाल गौतम एक ओर जहां काकोरी कांड में गिरफ्तार किए गए, वहीं दूसरी ओर महात्मा गांधी के अहिंसक नेतृत्व में जुड़कर नमक सत्याग्रह, सविनय अवज्ञा आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाई और जेल गए। लाहौर के बाद उनका दूसरा कार्य क्षेत्र उत्तर प्रदेश रहा। 1937-38 में जब गोविंद बल्लभ पंत के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की अंतरिम सरकार बनी, तो उसमें मोहन लाल देवरिया, गोरखपुर से चुनकर विधायक के रूप में शामिल हुए। आजादी के बाद संविधान सभा में रहे। उनकी बेटी स्लीपवैल कंपनी की चेयरपर्सन व चार बार अलीगढ़ की सांसद रहीं थीं।

0-जब जवाहरलाल नेहरू ने मोहन लाल के लिए पटेल को लिखा था पत्र

भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू मोहन लाल गौतम से कितना प्रभावित थे, इस बात का महत्व 17 जून 1949 को बल्लभ भाई पटेल को लिखे उनके पत्र से समझा जा सकता है। इसमें नेहरू ने लिखा है कि फूड कमिश्नर के लिए किसी ऐसे व्यक्ति का चयन ठीक होगा जो मंत्री आदि न हो। मैंने सभी पहलुओं पर विचार करते हुए मोहन लाल गौतम को सबसे अधिक उपयुक्त पाया है। उसमें संगठन की क्षमता है। साथ ही लोगों के साथ लोक व्यवहार में बेहद कुशल हैं। मैंने सभी के समक्ष नाम रखा उन्होंने इसको प्रस्तावित किया। इसलिए मोहन लाल गौतम को उप मंत्री और आयुक्त (विशेष कार्यकारी शक्तियों के साथ) नियुक्त किया जा सकता है।

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