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लॉकडाउन से लड़खड़ाई अलीगढ़ की अर्थव्यवस्था

लॉक डाउन से अलीगढ़ की अर्थव्यवस्था बुरी तरह लड़खड़ा गई है। उत्पादन शून्य हो गया है और तैयार माल इकाइयों में पड़ा है। उद्यमी से लेकर व्यापारी तक को इस लॉक डाउन ने भीतर तक हिलाकर रख दिया...

लॉकडाउन से लड़खड़ाई अलीगढ़ की अर्थव्यवस्था
हिन्दुस्तान टीम,अलीगढ़Wed, 25 Mar 2020 12:11 AM
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लॉक डाउन से अलीगढ़ की अर्थव्यवस्था बुरी तरह लड़खड़ा गई है। उत्पादन शून्य हो गया है और तैयार माल इकाइयों में पड़ा है। उद्यमी से लेकर व्यापारी तक को इस लॉक डाउन ने भीतर तक हिलाकर रख दिया है। लॉक डाउन की तारीख बढ़ गई है। अलीगढ़ में रोजोना 700 से 800 करोड़ का कारोबार होता है। तीन दिनों में दो हजार करोड़ से अधिक कारोबार प्रभावित हो चुका है। बैंकिंग लेन देन से लेकर ट्रेडिंग का काम बंद है। अप्रैल माह में उद्यमियों व व्यापारियों को कर्मचारियों को वेतन भी देना है उसकी भी चिंता है। हालांकि उद्यमी सरकार के फैसले का सम्मान कर रहे हैं और इकाइयों को बंद रखा है, लेकिन वह सरकार से कुछ राहत भी चाहते हैं। अलीगढ़ में ताला, हार्डवेयर, मूर्ति, ऑटो कंपोनेंट, स्वास्थ्य व खाद्य पदार्थों से जुड़ी वस्तुओं का उत्पादन होता है। निर्यात एक माह पहले से ही बंद था अब लॉक डाउन का सामना करना पड़ रहा है। अलीगढ़ में करीब आठ हजार से अधिक इकाईयां हैं, जिनमें ताला लगा हुआ है। 25 हजार से ऐसे अधिक प्रतिष्ठान हैं जो बंद हैं। कर्मचारी व मालिक घर बैठे हैं। उत्पादन, बिक्री, ट्रेडिंग का काम बंद है। लेकिन बिजली का मीटर चल रहा है। उद्यमियों व व्यापारियों को खर्चे की भी चिंता सता रही ैह। आखिर लॉक डाउन के बाद क्या होगा। ताला, हार्डवेयर,मूर्ति, स्वास्थ्य व खाद्य पदार्थों से जुड़ी औद्योगिक इकाईयों पर व्यापक असर पड़ा है। लॉक डाउन ने अर्थव्यवस्था की नींव हिलाकर रख दी है। लॉक डाउन खत्म होने के बाद कहां से लाएंगे पैसा-उद्यमियों व व्यापारियों को चिंता है कि लॉक डाउन खत्म होने के बाद भुगतान के लिए पैसा कहां से लाएंगे। वर्तमान में सारा पैसा ट्रेडर्स के पास फंसा है। ट्रेडर्स का माल बिका नहीं हैं ऐसे में पैसे कहां से आएंगे। मार्केट में पहले ही तरलता का अभाव था जो लॉक डाउन होने के बाद और बढ़ गया है। ब्याज व फिक्स दरों में राहत चाहतें हैं उद्यमी -बैंक की ब्याज दरों व बिजली की फिक्स दरों में उद्यमी राहत चाहते हैं। उद्यमियों की मानें तो इंडस्ट्री के कनेक्शन पर इलेक्ट्रिीसिटी ड्यूटी, डिमांड चार्ज, फिक्स चार्ज नहीं वसूल किया जाए। इससे इंडस्ट्री को मुक्त कर दिया। केवल बिजली खपत का ही पैसा लिया जाए। इसके अलावा पीएफ व ईएसआई की किश्त कर्मचारियों की भरनी होती है इसमें सरकार राहत दे।

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