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अलीगढ़ जेल में भी सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल, 37 मुस्लिम बंदियों ने रखा व्रत

सांप्रदायिक सौहार्द्र की मिसाल तो कई पेश हुई, कभी मंच से तो दूसरे जरिए से, लेकिन इस बार ये मिसाल पेश की है जिला कारागार में निरुद्ध बंदियों...

अलीगढ़ जेल में भी सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल, 37 मुस्लिम बंदियों ने रखा व्रत
हिन्दुस्तान टीम,अलीगढ़Mon, 19 Mar 2018 12:03 AM
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सांप्रदायिक सौहार्द्र की मिसाल तो कई पेश हुई, कभी मंच से तो दूसरे जरिए से, लेकिन इस बार ये मिसाल पेश की है जिला कारागार में निरुद्ध बंदियों ने। नवरात्रि के अवसर पर पहले दिन उन्होंने न सिर्फ मां शैलपुत्री की विधिवत पूजा अर्चना की बल्कि उपवास भी रखा। कुल 1276 बंदियों ने व्रत रखा है। इनमें 37 पुरुष व दो महिला मुस्लिम बंदी भी शामिल हैं।

नवसंवत्सर के शुभारंभ अवसर पर नवरात्रि के प्रथम मां शैलपुत्री की जिले भर में पूजा अर्चना हुई। इस कड़ी में जिला कारागार में भी पूजा अर्चना की तैयारी कराई गई थी। रविवार को सुबह वैदिक मंत्रोचार के बीच घट स्थापना के साथ ही मां के चित्र आदि की के समक्ष जिला कारागार के बंदियों ने मां की अर्चना की। अधिकारियों ने बताया कि कारागार में कुल 1276 बंदियों ने विधिवत पूजा कर उपवास रखा है। इनमें 1153 पुरुष व 86 महिला हिन्दू बंदी है। इसके अलावा 35 पुरुष व दो महिला मुस्लिम बंदियों ने भी व्रत रखकर मनोकामनाएं मांगी। इससे पहले भी कई मुस्लिम बंदियों ने व्रत आदि रखकर आपसी सौहार्द्र की मिसाल पेश की है, लेकिन पहली बार है जो इतनी बड़ी संख्या में मुस्लिम बंदियों ने उपवास रखा है।

जेल प्रशासन का कहना है कि उपवास रखने वाले 37 मुस्लिम बंदियों में निजाम, वाजिद, रफीक, शाकिर, अनीस, वकील आदि, जबकि महिला बंदिया में तरन्नुम उर्फ रेक्सी व मुन्नी पत्नी गुलफाम शामिल हैं।

आपसी सौहार्द्र का इससे बेहतर कोई उदाहरण नहीं हो सकता कि कारागार में कुल 1276 बंदियों ने नवरात्रि का उपवास रखा, इसमें 35 पुरुष व दो महिला मुस्लिम बंदियों ने भी विधिवत पूजा अर्चना के बाद उपवास रखा है।

-आलोक सिंह, जेल अधीक्षक

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