Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़अलीगढ़Illegal occupation of municipal corporation's property worth Rs 500 crore in ten years

दस साल में नगर निगम की 500 करोड़ की संपत्ति पर अवैध कब्जे

निगम की वर्ष 2022-23 की ऑडिट रिपोर्ट में मिली कई गंभीर खामियां,वर्ष 2012-13 से अब तक 45 करोड़ की वार्षिक क्षति निगम को हो रही,दस साल में 45 से 50 करोड़ रुपये वार्षिक संपत्ति नुकसान का आंकलन

Sunil Kumar लाइव हिन्दुस्तानSat, 21 Sep 2024 04:54 AM
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नगर निगम के अफसरों और कर्मचारियों की मिलीभगत से पिछले दस साल में 500 करोड़ रुपये की संपत्ति पर अवैध कब्जे हो गए हैं। नगर निगम की वत्तिीय वर्ष 2022-23 की ऑडिट रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। स्थानीय निधि लेखा परीक्षा विभाग, प्रयागराज के 250 पेज से ज्यादा की ऑडिट रिपोर्ट में 75 से ज्यादा प्रकरणों पर सवाल खड़े करते हुए रिपोर्ट मांगी है। हैरत की बात है कि वर्ष 2022 में शासनादेश के बाद भी निगम ने अपनी सम्पत्तियों का सत्यापन नहीं कराया है।

स्थानीय निधि लेखा परीक्षा विभाग की वत्तिीय वर्ष 2022-23 की ऑडिट रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि नगर निगम की सम्पत्तियों पर अवैध कब्जों एवं इनके दुर्विनियोग के कारण रुपए 5.02 अरब रुपये की क्षति हो रही है। कई बार मांगने पर भी नगर निगम की सम्पत्तियों से सम्बन्धित दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए गए। यह स्थिति सम्परीक्षा को उददेश्य एवं शासन की मंशा के विपरीत है। इससे स्पष्ट है कि निगम को करोड़ों रुपयों की आर्थिक क्षति पहुंचाई जा रही थी। गौरतलब है कि इस दौरान नगर निगम के मेयर फुरकान अहमद, नगरायुक्त आईएएस गौरांग राठी व अमित आसेरी रहे थे। नौ जनवरी 2023 से 31 मार्च 2023 तक नगर निगम के दैनिक कार्यों के संपादन के लिए त्रस्तिरीय समिति रही थी। जिसमें अध्यक्ष डीएम व सदस्य नगरायुक्त, वरष्ठि कोषाधिकारी रहे थे।

पांच अरब की क्षति के बावजूद निगम को सुध नहीं

ऑडिट रिपोर्ट में लिखा गया है कि पिछली सम्परीक्षा आख्या 2019-20 से 2021-22 में दिए गए विवरणानुसार यह क्षति वर्ष 2012-13 से लगभग रुपये 45 करोड़ 72 लाख 25 हजार 625.00 वार्षिक हो रही थी, जो कि वर्ष 2022-23 तक वर्ष 2012-13 की सम्परीक्षा आख्या के आधार पर अब तक रुपए 5 अरब 02 करोड़ 94 लाख 81 हजार 875 की क्षति हो चुकी थी। यदि नुकसान 45 करोड़ प्रति वर्ष के स्थान पर 50 करोड़ प्रति वर्ष हो गया है।

कब्जा कराने वाले अफसरों पर क्या एक्शन हुआ

रिपोर्ट में आडिटर ने पूछा है कि कितने मामले न्यायालय में लंबित चल रहे हैं। समस्त प्रकृति के कब्जों को हटाने के लिये प्रशासनिक स्तर से किस प्रकार की विधिक कार्यवाही की गई। कब्जे किन अधिकारियो / कर्मचारियों के समय पर हुए। क्यों अफसरों और कर्मचारियों ने अपने उत्तरदायत्वि का सही ढंग से पालन नहीं किया। अफसरों की शिथिलता के चलते ही अरबों रुपये की संपत्ति पर कब्जे हो गए। रिपोर्ट में पूछा गया है कि ऐसे अफसरों और कर्मचारियों पर नगर निगम ने कोई अनुशासनात्मक कार्यवाही की या उस पर विचार किया ।अथवा नहीं। रिपोर्ट में उक्त सभी रेकार्ड मांगे गए हैं।

सम्पत्तियों का विवरण अपलोड क्यों नहीं किया गया

ऑडिट रिपोर्ट में लिखा गया है कि शासनादेश तीन अप्रैल, 2013 द्वारा नगर निकायों में निहित सम्पत्तियों के संरक्षण के आशय से नर्धिारित प्रारुप पर विवरण निदेशालय की वेबसाइट पर अपलोड कराने के नर्दिेश दिये गये थे। इसका विवरण भी निगम से मांगा गया है।

शासनादेश के बाद भी नहीं कराया सम्पत्तियों का सत्यापन

रिपोर्ट के अनुसार स्थानीय निकायों की चल-अचल सम्पत्तियों के वार्षिक सत्यापन कराये जाने के नर्दिेश दिये गये थे, लेकिन नगर निगम ने शासनादेश का पालन नहीं किया। साथ ही प्रश्नगत सम्पत्तियों से प्राप्त आय का विवरण वर्ष 2022-23 तक का प्रस्तुत किया जाना अपेक्षित है, जो कि नहीं दिया गया।

नगर निगम की अरबों रुपये की सम्पत्ति फैली है

नगर निगम की अरबों रुपये की सम्पत्तियां शहरी क्षेत्र में फैली हुई हैं। बोर्ड व कार्यकारिणी की बैठक में भी इन सम्पत्तियों को लेकर कई बार हंगामा भी मच चुका है। कई बेशकीमती जमीन के मामले कोर्ट में विचाराधीन है। कई मामले में नगर निगम को हार मिल चुकी है। सूत्रों के अनुसार कई बेशकीमती जमीनों पर नगर निगम में एनओसी जारी करने का खेल चल रहा है।

2019 में 11 अरब की सम्पत्तियां कब्जा मुक्त कराई गईं थीं

एलमपुर, स्वर्ण जयंती नगर, धौर्रामाफी, गूलर रोड आदि क्षेत्रों में भी निगम की संपत्ति पर कब्जे के प्रयास हो चुके हैं। कई संपत्तियां ऐसी हैं, जिन पर कब्जा बरकरार है। ये मामले कोर्ट में विचाराधीन हैं। 2019 में बड़े पैमाने पर अभियान चलाकर करीब 11 अरब रुपये की संपत्तियां कब्जा मुक्त कराई गई थीं। 2020 में गूलर रोड पोखर प्रकरण भी छाया रहा।

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