अखिलेश यादव को किस बात का डर? सपा ने MLC चुनाव के उम्मीदवार घोषित करने में दिखाई तेजी
संक्षेप: उम्मीदवारों के नाम पहले घोषित करना कई वजहों से फायदेमंद रहता है। विधान परिषद निर्वाचन क्षेत्रों के लिए वोटर लिस्ट हर चुनाव से पहले नए सिरे से तैयार की जाती है। सपा के रणनीतिकाराें का मानना है कि साल भर पहले उम्मीदवार तय होने से लिस्ट को समय से चेक करना और अपनी तैयारी सुनिश्चित करना आसान होगा।

UP MLC Election: नवम्बर 2026 में खाली होने वाली उत्तर प्रदेश की 11 विधान परिषद सीटों के लिए समाजवादी पार्टी ने उम्मीदवारों की घोषणा में तेजी दिखाई है। इसे लेकर अब कहा जा रहा है कि यदि इन सीटों पर सपा का प्रदर्शन ठीक नहीं हुआ तो विधान परिषद में विपक्ष के नेता पद पर पार्टी का दावा संकट में पड़ सकता है। जानकारों का कहना है कि इसी बात से सतर्क समाजवादी पार्टी ने एक साल पहले ही अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर तैयारी शुरू कर दी है।
इस बारे में पार्टी के नेताओं का कहना है कि उम्मीदवारों के नाम पहले घोषित करना कई वजहों से फायदेमंद रहता है। विधान परिषद निर्वाचन क्षेत्रों के लिए वोटर लिस्ट हर चुनाव से पहले नए सिरे से तैयार की जाती है। एक साल पहले उम्मीदवार तय होने से लिस्ट को समय से चेक करना और अपनी तैयारी सुनिश्चित करना आसान होगा। जानकारों का यह भी कहना है कि भाजपा के लिए भी विधान परिषद चुनाव अहम हैं लेकिन इसमें प्रदर्शन चाहे जैसा हो सदन में उसकी मजबूत स्थिति पर कोई विशेष असर नहीं पड़ेगा। लेकिन सपा ने यदि तीन से कम सीटें जीतीं तो नेता विपक्ष का पद संकट में पड़ सकता है।
इन सीटों के लिए अगले साल होंगे चुनाव
लखनऊ, वाराणसी, आगरा, मेरठ और इलाहाबाद-झांसी स्नातक निर्वाचन क्षेत्र
लखनऊ, वाराणसी, आगरा, मेरठ, बरेली-मुरादाबाद और गोरखपुर-फैजाबाद शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र
वर्तमान में किसके पास कितनी सीटें
यूपी विधान परिषद में कुल 100 सीटें हैं। इनमें 83 सीटों के साथ भाजपा की अगुवाई वाले एनडीए को स्पष्ट बहुमत प्राप्त है। सदन में भाजपा 79 सदस्य, सपा के 10, अपना दल-एस एक, राष्ट्रीय लोक दल एक, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी एक और निषाद पार्टी के एक सदस्य हैं। इसके अलावा पांच निर्दलीय और जनसत्ता दल (लोकतांत्रिक) के एक सदस्य हैं। एक सीट खाली है।
नेता प्रतिपक्ष के लिए चाहिए इतनी सीटें
नेता प्रतिपक्ष के पद के लिए 10 प्रतिशत सीटें चाहिए होती हैं जो वर्तमान में समाजवादी पार्टी के पास हैं। पार्टी 10 सदस्यों में से 7 विधायकों द्वारा चुने गए थे। दो स्नातक निर्वाचन क्षेत्र (इलाहाबाद-झांसी से मान सिंह यादव और वाराणसी से आशुतोष सिन्हा) और एक शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र (वाराणसी से लाल बिहारी यादव)—2020 में चुने गए थे। सपा ने अगले साल होने वाले चुनाव के लिए इन तीनों को फिर से उम्मीदवार घोषित किया है। इसके अलावा गोरखपुर-फैजाबाद शिक्षक सीट से कमलेश यादव और लखनऊ स्नातक सीट के लिए पूर्व एमएलसी कांति सिंह को मैदान में उतारा है। बता दें कि 2020 के चुनावों में, भाजपा ने इन 11 सीटों में से छह पर जीत हासिल की थी। सपा को तीन और शेष दो पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी।





