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किसानों की अस्मिता का स्वरूप बदलने नहीं देंगे: मेधा पाटकर

केंद्र सरकार किसान विरोधी है। उसके द्वारा बनाए गए तीनों कानून उनका भला करने वाले नहीं हैं। इन कानूनों को हर हाल में वापस लेना होगा। साथ ही किसानों के बिजली के बिलों को भी माफ करना होगा, अन्यथा...

किसानों की अस्मिता का स्वरूप बदलने नहीं देंगे: मेधा पाटकर
आगरा,मनोज मिश्रFri, 27 Nov 2020 02:07 AM
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केंद्र सरकार किसान विरोधी है। उसके द्वारा बनाए गए तीनों कानून उनका भला करने वाले नहीं हैं। इन कानूनों को हर हाल में वापस लेना होगा। साथ ही किसानों के बिजली के बिलों को भी माफ करना होगा, अन्यथा किसानों का आंदोलन जारी रहेगा। किसानों की अस्मिता के स्वरूप को किसी भी कीमत पर बदलने नहीं दिया जाएगा। ये कहना है सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर का। 
पाटकर ने ‘हिन्दुस्तान’ से खास बातचीत में कहा कि कृषक उपज व्‍यापार और वाणिज्‍य (संवर्धन और सरलीकरण) एक्ट, 2020, कृषक (सशक्‍तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्‍वासन और कृषि सेवा पर करार एक्ट, 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) एक्ट 2020 किसान विरोधी हैं। इन्हें वापस कराने के लिए सभी लामबंद हैं। साथ ही किसानों के बिजली बिल भी माफ होने चाहिए। उन्होंने कहा कि पहली बार ऐसा हुआ है कि ट्रेड यूनियन और किसान इस मुद्दे पर एक होकर विरोध कर रहे हैं। इनकी एकजुटता अच्छे संकेत कहे जा सकते हैं। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य की प्रथा खत्म हो जाएगी। कारपोरेट क्षेत्र हावी हो जाएगा। ऐसा होने पर किसानों की अस्मिता का तो स्वरूप ही बदल जाएगा।
सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने कहा कि कोरोना काल में कृषि क्षेत्र के कारण ही देश की खुशहाली बनी रही। अब सरकार इन तीनों कानूनों के माध्यम से उसी को खत्म करने पर तुली हुई है। कानून बनाने से पहले श्रमिक संगठनों, किसानों, आम जनताल राज्यों की रायशुमारी क्यों नहीं की गई। उन्होंने सरकार से सवाल किया कि कि‌सानों, मजूदरों के जीने का क्या कोई रास्ता रोक सकता है। उन्होंने दिल्ली से जाने से रोके जाने पर कहा कि कोई अधिकारी ये बताने को तैयार नहीं है कि ऐसा क्यों किया। लिखित आदेश किसी के पास है नहीं। पाटकर ने कहा कि सबसे अजब बात तो ये है कि राजस्थान और उत्तर प्रदेश सरकार आपस में बात तक नहीं करना चाहती। एक सरकार सयोग करना चाहती है तो दूसरी अड़ियल रवैया अपनाए हुए है। ऐसे में सत्याग्रह कर रहे किसानों की आखिर सुनेगा कौन। मजबूरन राष्ट्रीय राजमार्ग को रोककर सत्याग्रह करना पड़ा। उन्होंने कहा कि अहिंसात्मक लेकिन प्रभावी तरीके से उनका सत्याग्रह जारी रहेगा।

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