...तब रघुपति सबही सिरु नाई, चले संग सिय अरु लघु भाई
...तब रघुपति सबही सिरु नाई, चले संग सिय अरु लघु भाई। श्री रघुनाथजी सबको सिर नवाकर सीता और छोटे भाई लक्ष्मण को साथ लेकर वन को चले गए। श्रीराम लीला...
...तब रघुपति सबही सिरु नाई, चले संग सिय अरु लघु भाई।
श्री रघुनाथजी सबको सिर नवाकर सीता और छोटे भाई लक्ष्मण को साथ लेकर वन को चले गए। श्रीराम लीला मंचन में वनवास लीला देखकर दर्शक भावुक हो गये। दिखाया गया कि प्रभु श्री राम महाराज दशरथ जी के पास जाते हैं। दशरथ उन्हें महारानी कैकेई द्वारा मांगे गये दोनों वरदान बताते हैं। प्रभु श्री राम वरदान सुनकर भ्राता लक्ष्मण व मां जानकी के साथ वनवासी रूप धारण कर रथ में बैठकर वन के लिये प्रस्थान करते हैं।
फूल से सजे रथ में तीनों स्वरूप और मंत्री राजीव अग्रवाल चल रहे थे। वनवासी भेष में स्वरूपों को निहारते दर्शक मोहित हो गये। जगह-जगह रास्ते में पुष्प वर्षा और आरती उतारकर भक्तजन अपने को सौभाग्यशाली मान रहे थे। आश्रम पर पहुंचने के बाद श्री राम ने अपने साथ आए सुमन्त को वापस भेजने के लिये अनुरोध करते हैं, लेकिन सुमन्त तैयार नहीं होते। महाराज दशरथ व दोनों छोटे भाई व तीनों महारानी का ध्यान रखने का वास्ता देकर श्रीराम काफी समझा-बुझाकर सुमंत को अयोध्या के लिये रवाना करते हैं। इसके बाद यमुना किनारे मधुरेश मंदिर में बने भारद्वाज मुनि के आश्रम में उतरते हैं। इसके बाद की लीला में श्रीराम केवट को बुलाते हैं। काफी समझाने के बाद केवट गंगा पार उतारने के लिये तैयार होता है और यह आग्रह करता है कि आपके चरण स्पर्श से पत्थर अहिल्या बन जाती है। अतः मेरी नाव न बदल जाये नाव बदल गई तो परिवार का पालन कैसे करूंगा। यह कहकर केवट श्रीराम के चरण धोता है। प्रभु श्री रामचन्द्र जी की वनवास की शोभायात्रा रामलीला मैदान से शुरू होकर सुभाष बाजार, दरेसी नं 1, रावतपाड़ा, कश्मीरी बाजार, कचहरी घाट, बेलनगंज होती हुई यमुना किनारे पर मथुरेश जी मन्दिर के सामने केवट संवाद लीला की आरती विधायक पुरूषोत्तम खण्डेलवाल ने की। तत्पश्चात सवारी हाथीघाट पर समाप्त हुई। इस अवसर पर रामलीला कमेटी के राजीव कुमार अग्रवाल, मुकेश अग्रवाल, आनन्द मंगल, अंजुल बंसल, प्रकाशचन्द, राहुल गौतम, प्रवीन गर्ग सहित आदि मौजूद रहे।