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खनन से छलनी हुआ सोरों का प्राचीन मोतिया थल

सोरों स्थित जिस मोतिया थल झील को सूकर-क्षेत्र माहात्म्य में हंस तीर्थ की संज्ञा दी गई हो। जिसका पानी मोती की तरह सफेद रहा हो। बरसात के दौरान झील में गिरने वाली बूंदों को देखकर लगता हो कि सफेद मोती...

सोरों स्थित जिस मोतिया थल झील को सूकर-क्षेत्र माहात्म्य में हंस तीर्थ की संज्ञा दी गई हो। जिसका पानी मोती की तरह सफेद रहा हो। बरसात के दौरान झील में गिरने वाली बूंदों को देखकर लगता हो कि सफेद मोती...
1/ 2सोरों स्थित जिस मोतिया थल झील को सूकर-क्षेत्र माहात्म्य में हंस तीर्थ की संज्ञा दी गई हो। जिसका पानी मोती की तरह सफेद रहा हो। बरसात के दौरान झील में गिरने वाली बूंदों को देखकर लगता हो कि सफेद मोती...
सोरों स्थित जिस मोतिया थल झील को सूकर-क्षेत्र माहात्म्य में हंस तीर्थ की संज्ञा दी गई हो। जिसका पानी मोती की तरह सफेद रहा हो। बरसात के दौरान झील में गिरने वाली बूंदों को देखकर लगता हो कि सफेद मोती...
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हिन्दुस्तान टीम,आगराThu, 13 Feb 2020 10:30 PM
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सोरों स्थित जिस मोतिया थल झील को सूकर-क्षेत्र माहात्म्य में हंस तीर्थ की संज्ञा दी गई हो। जिसका पानी मोती की तरह सफेद रहा हो। बरसात के दौरान झील में गिरने वाली बूंदों को देखकर लगता हो कि सफेद मोती अटखेलियां खेल रहे हों। अवैध खनन ने उसका अस्तित्व ही खतरे में डाल दिया है। खनन से मोतिया थल छिन्न भिन्न हो गया है। खनन ने पर्यावरण को ही नुकसान नहीं पहुंचाया है बल्कि उसकी पहचान मिटाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी।

नगर के बटुकनाथ मंदिर के निकट मोतिया थल पर रामायण का अखंड पाठ शुरू किया तो यह स्थान बरबस ही तीर्थ नगरी के लोगों के केंद्र बिंदु में आ गया। स्थानीय लोग मोतिया थल झील को पुराना गौरव लौटाने की मांग करने लगे। पंडित चक्रधर शास्त्री कहते हैं कि सूकर-क्षेत्र महात्म्य में मोतिया थल को हंसतीर्थ की संज्ञा दी गई है।

भादौं माह की छठ को स्नान का है महत्व

सूकर-क्षेत्र महात्म्य के अनुसार भगवान विष्णु ने यहां पृथ्वी से संवाद किया और हंसतीर्थ की का महत्व बताया है। मोतिया थल स्थित झील में लोग पूजा व स्नान करने के लिए जाते हैं। भौदौं माह में शुक्ल पक्ष की छठ को इस झील में स्नान का विशेष महत्व था। मोतिया थल झील अब विलुप्त हो चुकी है। गतवर्ष मोतिया थल में हुए अवैध खनन के बाद पानी निकल आया और अब यह तालाब के रूप में ही मौजूद है।

स्वीडन से आए स्वामी निरोसा नंद ने किया स्नान

मोतिया थल में स्वीडन से सोरों आए स्वामी निरोसा नंद ने पानी में स्नान करने के बाद वहां पर ध्यान भी लगाया। उन्होंने मोतिया थल तीर्थ का महत्व बताते हुए कहा कि इसका जिक्र वाराह पुराण में भी मिलता है। तीर्थ के महत्व को द्रष्टिगत रखते हुए रामायण के अखंड पाठ में भी हिस्सा लिया। स्वामी निरोसा नंद मूल रूप से सोरों के ही निवासी हैं और इस समय स्वीडन समेत अन्य विदेशों में उनकी पहचान आध्यात्मिक गुरु के रूप में है।

सरकारी जमीन पर किसी भी तरह के खनन पर रोक है। अवैध रूप से खनन करने वालों पर प्रशासन लगातार कार्रवाई कर रहा है। अवैध खनन करने वाले ट्रैक्टरों ट्राली को सीज भी किया गया है। उन्हें नोटिस जारी किए गए हैं। यदि मोतिया थल के आस-पास खनन हुआ है तो कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।

ललित कुमार, एसडीएम कासगंज।

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