खरीद नीति की शर्तों ने बर्बाद किया आगरा का बूट उद्योग
सुरक्षा बलों के साथ ही अन्य सरकारी विभागों की सप्लाई पर निर्भर शहर का बूट उद्योग इस समय बर्बादी की कगार पर है। इसकी वजह है सरकारी विभागों की खरीद नीति में अनावश्यक शर्त लगाना। हालात ऐसे हो चुके हैं...
आगरा। वरिष्ठ संवाददाता
सुरक्षा बलों के साथ ही अन्य सरकारी विभागों की सप्लाई पर निर्भर शहर का बूट उद्योग इस समय बर्बादी की कगार पर है। इसकी वजह है सरकारी विभागों की खरीद नीति में अनावश्यक शर्त लगाना। हालात ऐसे हो चुके हैं कि बीते तीन साल में आगरा के उद्यमियों का टर्नओवर 250 करोड़ रुपये से सिमट कर 20 करोड़ रुपये सालाना हो चुका है। यदि जल्द इस नीति की खामियों को दूर नहीं किया गया तो शहर के छोटे उद्योग बर्बाद हो जाएंगे।
इस आशय की शिकायत के साथ बूट मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन ने एक पत्र केन्द्रीय एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी को प्रेषित किया है। सचिव अनिल महाजन के अनुसार, सरकारी खरीद पोर्टल जेम के कुछ अधिकारियों ने अपने पसंदीदा सप्लायरों को फायदा पहुंचाने के लिए बेवजह के नियम बना दिए हैं।
2017 तक फौज को बूट सप्लाई के टेंडरों में कोई टर्नओवर संबंधी अनिवार्यता नहीं थी। लेकिन दिल्ली की कुछ फर्मों को फायदा पहुंचाने के लिए 100 करोड़ रुपये के टर्नओवर की लिमिट रख दी गई। एनएसआईसी की तरफ से होने वाले क्षमता निर्धारण एवं मॉनिटरी लिमिट संबंधी प्रमाणन की प्रक्रिया भी बदल दी गई। इससे छोटी इकाइयों को सरकारी टेंडर में सिक्योरिटी राशि से राहत मिल जाती थी।
यह रखी मांगें
: जेम के तहत स्वस्थ प्रतिस्पर्द्धा हो, टर्नओवर के नाम पर छोटी इकाइयों के साथ भेदभाव न हो।
: जेम पोर्टल टेंडर प्रक्रिया में पंजीकृत मूल उपकरण निर्माता फर्मों को ही भाग लेने की अनुमति हो।
: अधिकतम सीमा खत्म कर क्षमता निर्धारण कर सप्लाई ऑर्डर बांट दिया जाना चाहिए।