सपा ने लगाया था रोड़ा, भाजपा भी न कर सकी शुरू
सपा सरकार के लगाए हुए रोड़े को भाजपा सरकार भी नहीं उठा पायी। एसएन में सात सात पहले शुरू हुआ बीएसएसी कॉलेज बंद पड़ा है। जो कि तीन साल तक एनसीआई की मान्यता के साथ चला। छात्रों ने आवेदन भी किये। लेकिन...
सपा सरकार के लगाए हुए रोड़े को भाजपा सरकार भी नहीं उठा पायी। एसएन में सात सात पहले शुरू हुआ बीएसएसी कॉलेज बंद पड़ा है। जो कि तीन साल तक एनसीआई की मान्यता के साथ चला। छात्रों ने आवेदन भी किये। लेकिन विवि से मान्यता न मिलने पर एसएन में बिल्डिंग शो पीस बनीं हुई है। सरकार की ओर से भले ही स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। लेकिन सरकार ही रणनीति के तहत स्वास्थ्य विभाग मूलभूत सेवाओं से वंचित हैं। जिले में कोई भी सरकारी बीएसएसी नर्सिंग कॉलेज नहीं है। यह सुविधा एसएन को 2009 में मिली थी। जिसके तहत केंद्र सरकार की ओर से तीन करोड़ का बजट देकर उसे तीन साल तक चलाया गया। लेकिन विवि से मान्यता न मिलने पर कॉलेज बंद हो गया। एसएन से मिली जानकारी के अनुसार बीएससी नर्सिंग कॉलेज तो चलाया जा रहा है। लेकिन इसमें डिग्री नहीं सिर्फ डिप्लोमा दिया जा रहा है। छात्राएं निजी कॉलेजों से डिग्री करने को मजबूर हैं। जहां उनसे मनमानी फीस वसूली जा रही है। एक तरफ सरकारी अस्पतालों में नर्सों की कमी है। वहीं दूसरी ओर नर्सेज बनने के लिए मूलभूत सेवाएं भी नहीं है। जिले में एक भी सरकारी कॉलेज नहीं है। एसएन के बीएससी कॉलेज को मान्यता नहीं मिली। वहीं 2009 में शुरू हुआ बीएससी नर्सिंग कॉलेज सैफई में संचालित हो रहा है।
2014 में लगाया गया था रोड़ा
स्वास्थ्य विभाग के नियमानुसार मेडीकल के किसी भी कॉलेज के लिए तीन साल तक केंद्र सरकार अनुदान देती है। जिसमें 2009 से 2012 तक केंद्र सरकार ने ग्रांट दी। जिसके तहत कॉलेज में प्रिंसीपल, चार शिक्षिका, दो बाबू, एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी भी रखा गया। जिसके लिए तीन करोड़ का बजट भी आया। एनसीआई की मान्यता के बाद विवि की मान्यता के लिए आवेदन किया गया। मान्यता की प्रक्रिया चल रही थी। इसी बीच प्रदेश सरकार की ओर से विज्ञापन प्रकाशित किया गया। जिसमें 60 सीटों पर छात्रों से आवेदन मांगे गये। इसमें सैकड़ों की संख्या में छात्रों ने आवेदन किये। लेकिन इंटरव्यू की तारीख नहीं दी गई। फिर सरकार की ओर से सारे आवेदन निरस्त कर दिए गये। वहीं विवि से मान्यता में भी रोड़ा लग गया। जो आज तक लगा हुआ है।
15 से ज्यादा चल रहे हैं निजी नर्सिंग कॉलेज
वहीं जिले में 15 से ज्यादा निजी बीएससी कॉलेजों का संचालन किया जा रहा है। जिसमें छात्राओं से मनमानी रकम वूसली जा रही है। कई छात्राएं तो बाहर रहकर यह कोर्स कर रहीं हैं।