बोले आगरा: पेंशनरों की सुन लो समस्याएं, देंगे दुआएं
Agra News - आगरा में पेंशनरों ने अपनी समस्याएं साझा कीं, जिसमें पेंशन में वृद्धि, स्वास्थ्य कार्ड की कमी और इलाज का पैसा मिलने में देरी शामिल है। पेंशनरों का कहना है कि उन्हें अपनी समस्याओं के समाधान के लिए 80...

साठ साल के होने तक खूब काम किया। हर नीति के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम किया। हर अपेक्षित काम पूरा किया। उस समय तक हाथ-पांव भी खूब चले। अब पहले जैसी क्षमता तो नहीं रही। लेकिन अब व्यवस्था ने इन पेंशनरों को भुला दिया है। बाह में बोले आगरा संवाद में पेंशनरों ने यह बात रखी। अपनी समस्याएं और व्यथा बतायी। बताया गया कि इन पेंशनरों की समस्याएं पेंशन चालू होते ही शुरू हो जाती हैं। उनकी सुनने वाला कोई नहीं होता है। बाह के पेंशनरों को अपनी समस्या या शिकायत निराकरण के लिए 80 किमी दूरी तय कर जिला मुख्यालय आना पड़ता है। बीतें दिनों की याद दिलाते हैं तो कहा जाता है कि सारा काम सिस्टम से होता है। धैर्य रखें।
पेंशनरों के लिए पंडित दीनदयाल उपाध्याय राज्य हेल्थ कार्ड बनाने की घोषणा तो कर दी गई। लेकिन अभी तक जिले में मात्र 20 फीसदी पेंशनरों को ही ये सुविधा मिल पा रही है। जबकि इसकी पात्रता सामान्य है। कार्ड बनवाने के लिए पेंशनर्स को उत्तर प्रदेश का मूल निवासी, सरकारी कर्मचारी, आवश्यक दस्तावेज, बैंक खाता आधार से लिंक, मोबाइल नंबर आधार कार्ड से लिंक और पेंशन की किताब होनी चाहिए। ये सारी औपचारिकताएं होने के बाद भी कार्ड बनाने वाली एजेंसी हजारों पेंशनर्स की बिना बताए ही आवेदन को निरस्त कर देती है। इसके चलते जो लाभ पेंशनरों को कार्ड के माध्यम से मिलना चाहिए। वह नहीं मिल पा रहा है।
पेंशनरों की बड़ी समस्या उनकी पेंशन में वृद्धि को लेकर है। अभी तक उन्हें 80 साल पूरे कर लेने के बाद पेंशन में 20 फीसदी की ही बढ़ोत्तरी दी जाती है। 100 साल पूरे होने पर पेंशन दोगुनी होने का नियम है। पेंशनर इसके लिए लंबे समय से लड़ाई लड़ रहे हैं। उनका कहना है कि सेवानिवृत्त होने के बाद 65 वर्ष पूरे होने पर पांच फीसदी, 70 वर्ष पूरे होने पर 10 फीसदी, 75 वर्ष होने पर 15 फीसदी की पेंशन में बढोत्तरी होनी ही चाहिए। उनका कहना है कि ऐसा करने वाला केवल उत्तर प्रदेश ही एक अकेला राज्य नहीं होगा। ये व्यवस्था गुजरात, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, तेलंगाना, पंजाब, आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में पहले से ही लागू है। यही नहीं 80 साल के बाद मिलने वाली पेंशन का लाभ मात्र 10 फीसदी पेंशनर्स ही ले पाते हैं। 100 वर्ष तक तो इक्का-दुक्का ही पेंशनर्स पहुंचकर दोगुनी पेंशन का लाभ ले पाते हैं। यदि सरकार को पेंशनर्स की मदद करनी ही है तो उन्हें उससे पहले सेवानिवृत्त होने के बाद के वर्षों में 5, 10 और 15 फीसदी का लाभ पहले ही मिल जाए तो पेंशनर्स के लिए मददगार साबित हो सकता है, लेकिन इस ओर सरकार ने कभी ध्यान देने की जरूरत ही नहीं समझी। इससे पेंशनर्स का एक बड़ा वर्ग इन लाभों से आज तक वंचित है। इस लड़ाई को प्रदेश से लेकर केंद्र स्तर तक पेंशनर्स आज भी लड़ रहें हैं, लेकिन उन्हें इसका अभी तक कोई सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आया है।
प्रमाण पत्र को कोषागार जाकर देने की जरूरत नहीं
सरकार ने पेंशनरों के लिए कुछ अच्छे काम भी किए हैं। उन्हें जीवित रहने के प्रमाण पत्र को कोषागार जाकर देने की जरूरत नहीं होती है। वह आनलाइन भी इसको जमा कर सकते हैं, लेकिन जिले के लगभग 37 हजार पेंशनरों में से कुछ ही आनलाइन जीवित प्रमाण पत्र आनलाइन करना जानते हैं। शेष को कोषागार जाकर ही अपना आवेदन करना होता है। हालांकि सरकार की ओर से ये व्यवस्था भी है कि यदि कोई पेंशनर्स आनलाइन आवेादन करने में सक्षम नहीं है। साथ ही बीमार है। चल फिर भी नहीं सकता है तो सूचना देने पर कोषागार से एक कर्मचारी उसके आवास पर जाकर उसके जिंदा होने का प्रमाण लेकर उसका सत्यापन करेगा। जिससे उसकी पेंशन रुकेगी नहीं।
इलाज का पैसा मिलने में हो रही देरी
पेंशनर्स के बीमार होने पर उसके द्वारा अस्पतालों में इलाज कराया जाता है। ये इलाज उसे पहले अपने पैसे से कराना होता है। बाद में मेडिकल संबंधी सभी बिलों को डाक्टर से सत्यापित कराकर पोर्टल पर आनलाइन आवेदन किया जाता है। वहां से प्रिंट लेने के बाद उसे सेवानिवृत्त वाले विभाग को देना होता है। उसके बाद वहां से सत्यापन होने पर उन बिलों और संबंधित विभागाध्यक्ष द्वारा स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी के पास भेजा जाता है। स्वास्थ्य विभाग में निर्धारित दरों को देखने के बाद उसे फाइनल किया जाता है, लेकिन इस कार्य में काफी देरी गलती है। इससे पेंशनरों को विभागों के चक्कर काटने पड़ते हैं। पेंशनरों का कहना यदि उनके लिए स्वास्थ्य विभाग में अलग से पटल बन जाए और वहां बैठे कर्मचारी द्वारा बिल को जल्द ही फाइनल करा दिया जाए तो उन्हें काफी सहूलियत मिल जाएगी।
राशिकरण की समस्या से जूझ रहे पेंशनर्स
पेंशनरों की सबसे बड़ी समस्या राशिकरण की है। उनके द्वारा बेची गई पेंशन की बाद में रिकवरी 15 साल तक हो रही है। जबकि नियमानुसार 10 वर्ष आठ महीने में हो जानी चाहिए। उदाहरण के लिए किसी भी सेवानिवृत्त कर्मचारी का मूल वेतन 50 हजार रुपये है तो मूल वेतन का 50 फीसदी यानी 25 हजार रुपये पेंशन मिलेगी। इसमें से पेंशनर्स 40 फीसदी पेंशन को सरकार को बेच देता है। यानी 10 हजार रुपये उसके द्वारा बेच दिए जाते हैं। इसकी कटौती सरकार द्वारा हर माह की जाती है। इसमें 10 साल आठ महीने का समय लगता है। ये जब नियम बनाया गया था तब ब्याज 12 फीसदी हुआ करती थी, लेकिन अब ब्याज 7.1 फीसदी है। ऐसे में सरकार 15 साल तक इसकी वसूली करती रहती है। इससे पेंशनर्स परेशान हो चुके हैं। जब पेंशनर्स के 10 साल 8 महीने किस्तें देते-देते पूरी हो जाती हैं। यानी उसकी उम्र 70 वर्ष हो जाती है। तब वह इन किस्तों से निजात पाने के लिए कोर्ट कर सहारा लेते हैं। प्रदेश भर के पेंशनर्स इसी समस्या से जूझ रहे हैं। कुछ पेंशनर्स हाईकोर्ट का सहारा ले रहे हैं। उन्हें कोर्ट से राहत तो मिलती है, लेकिन व्यक्तिगत रूप से मिल रही है। इसका लाभ सभी पेंशनर्स को नहीं मिल पा रहा है।
सुविधाएं बढ़ नहीं रहीं, कटौती हो रहीं
पेंशनरों की सबसे बड़ी समस्या इस बात की है कि उनकी सुविधाएं बढ़ाने के नाम पर सरकार चुप्पी साध लेती है। जब उनके पास किसी मांग को रखा जाता है तो कह दिया जाता है कि ये तो पालिसी मेटर है। जबकि उन समस्याओं को सरकार चाहें तो आसानी से हल कर सकती है। प्रदेश में 11.50 लाख पेंशनर्स हैं। उनका कहना है कि पूर्व में ट्रेन में किराए में छूट मिला करती थी, लेकिन उस सुविधा को ही बंद कर दिया गया। रोडवेज की बसों में किसी तरह की सुविधा ही नहीं है। कम से कम रोडवेज की बसों में तो यात्रा निशुल्क कर देनी चाहिए।
सुझाव-
-राशिकरण की समस्या हल होना जरूरी है। अन्यथा पेंशनर्स को काफी नुकसान होगा।
-इलाज का पैसा वापस मिलने में देरी नहीं होनी चाहिए।
-दीनदयाल हेल्थ कार्ड अनिवार्य रूप से सभी पेंशनरों के बनने चाहिए।
-पेंशन में हर पांच साल के बाद वृद्धि होनी चाहिए।
शिकायतें-
-कोषागार में काम चल रहा है। पेंशनरों के बैठने की व्यवस्था (वैकल्पिक) होनी चाहिए।
-पेंशनरों के लिए कोषागार में अलग से एक कैंटीन खुलनी चाहिए।
-इलाज के लिए पूर्व में पैसा खर्च कर देने के बाद देरी से मिल पाता है।
-दीनदयाल हेल्थ कार्ड बनाने में देरी क्यों की जाती है।
पेंशनरों की पीड़ा
पेंशन संबंधी समस्याएं रहती हैं। भ्रष्टाचार और अनियमितता इतनी बढ़ गई है कि अधिकारी और बाबू कार्यालय में बैठते ही नहीं हैं जिससे पेंशनर समस्याओं में उलझे हुए हैं।
अहिवरन सिंह परिहार संरक्षक
सेवा निवृत्त शिक्षक पेंशनर की समस्याएं तमाम हैं। लेखागार विभाग में भ्रष्टाचार व्याप्त है। जब तक समाधान नहीं होगा तब तक संघर्ष जारी रहेगा।
राजबहादुर शर्मा अध्यक्ष
लेखा सेल में अंशदान करने का रिकार्ड ही नहीं है। इस वजह से 16 साल बीतने के बाद भी अंशदान काटा जा रहा है। इससे हमें नुकसान हो रहा है।
रामानंद शर्मा
रोडवेज की बसों में पेंशनरों को कोई सुविधा नहीं है। राज्य सरकार का ही विभाग होने के कारण पेंशनरों को नि:शुल्क यात्रा की सुविधा देनी चाहिए। वैसे भी पेंशनर्स आयु ज्यादा होने के कारण भ्रमण कर नहीं पाते हैं।
प्रयाग नरायण शर्मा
पहले ट्रेन में यात्रा करने पर पेंशनरों को किराए में छूट का प्रावधान था। बाद में उसे खत्म कर दिया गया। अब फिर से इस व्यवस्था को बहाल कर देना चाहिए। जिससे प्रदेश के लाखों पेंशनर्स को लाभ मिल सके।
राम प्रसाद शास्त्री
राजनेताओं की तरह ही पेंशनर्स को दी जाने वाली पेंशन और चिकित्सा प्रतिपू्र्ति को पूर्णत: आयकर से मुक्त कर देना चाहिए। इससे पेंशनर्स को काफी लाभ भी मिलेगा। उससे महसूस भी होगा कि उसने 60 साल की उम्र तक सरकार की सेवा की।
अशोक दुबे
पेंशन को 65, 70, 75 और 80 वर्ष पर पांच-पांच फीसदी की बढ़ोत्तरी की जानी चाहिए। जिससे पेंशनरों को प्रत्येक पांच वर्ष पर पेंशन की बढ़ोत्तरी का लाभ मिल सके। 80 वर्ष पर 20 फीसदी सीधे करने से ज्यादा लोगों को फायदा नहीं मिल पाता है।
श्याम बिहारी शर्मा
रेल यात्रा के लिए पेंशनरों को ट्रेन में 40 से 50 फीसदी की छूट फिर से बहाल की जानी चाहिए। चाहिए। इससे पेंशनरों को तमाम तीर्थ स्थानों, ऐतिहासिक स्थलों पर भ्रमण करने की सहूलियत मिल सकेगी।
बनवारी लाल
उत्तर प्रदेश की रोडवेज सेवा में पेंशनरों को निशुल्क यात्रा की सुविधा मिलनी चाहिए। यदि ऐसा संभव न हो सके तो राजस्थान और उत्तराखंड की तर्ज पर किराए में 50 फीसदी की छूट उपलब्ध कराई जाए।
जोधाराम
दीनदयाल हेल्थ कार्ड प्रदेश के ही अस्पतालों में मान्य होता है। इसे पूरे देश में मान्य होना चाहिए। साथ ही कई अस्पताल तो इस कार्ड को देने पर इलाज भी करने से मना कर देते हैं। इसके लिए सख्त नियम बनने चाहिए।
वीरेन्द्र शर्मा
राशिकरण 15 साल तक कटौती करना पूरी तरह से गलत है। जब 10 वर्ष 8 माह का समय निर्धारित था तो फिर पेंशनर्स से 15 साल तक कटौती क्यों जा रही है। ये न्याय संगत नहीं है। इससे संबंधित शासनादेश तत्काल जारी होना चाहिए।
रामसेवक शर्मा
समस्या हल करने के लिए तहसील में अधिकारी बैठते नहीं हैं। 80 किमी दूर हेडक्वाटर होने की वजह से परेशानी उठानी पड़ती है।
जगदीश सिंह
अंतिम पेंशन वेतन के 50 प्रतिशत के स्थान पर 75 फीसदी और पारिवारिक पेंशन 30 प्रतिशत के स्थान पर 50 फीसदी की जानी चाहिए। श्रीलंका, बांग्लादेश, पाकिस्तान इस मामले में हमारे देश से अच्छे हैं। नीदरलैंड औहर स्वीडन में तो 100 से लेकर 117 फीसदी तक पेंशन हैं।
वीरेंद्र सिंह भदौरिया
लेखा शेल में भ्रष्टाचार व्याप्त है राजनेताओं की तरह ही पेंशनर्स को दी जाने वाली पेंशन और चिकित्सा प्रतिपू्र्ति को पूर्णत: आयकर से मुक्त कर देना चाहिए। इससे पेंशनर्स को काफी लाभ भी मिलेगा। उससे महसूस भी होगा कि उसने 60 साल की उम्र तक सरकार की सेवा की।
रणवीर पचौरी
पेंशनरों को महंगाई भत्ता एक जनवरी 2020 से 30 जून 2021 तक 18 माह का एरियर तत्काल दिलाया जाना चाहिए। क्योंकि अब केंद्र सरकार एवं प्रदेश सरकार की स्थिति बहुत अच्छी है। इसलिए इस कार्य में देरी नहीं होनी चाहिए।
अतुल सक्सेना
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