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बैंक खाते नहीं, टीबी रोगियों की आर्थिक सहायता अटकी

जनपद में टीबी रोगियों को टीबी के कोर्स के दौरान तक सरकार की ओर से दी जाने वाली प्रति माह 500 रुपये को सहायता राशि खाते में पहुंचने में दिक्कत आ गई है। निजी चिकित्सकों की ओर से पिछले वर्षों के मरीजों...

बैंक खाते नहीं,  टीबी रोगियों की आर्थिक सहायता अटकी
हिन्दुस्तान टीम,आगराFri, 03 Jan 2020 10:51 PM
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जनपद में टीबी रोगियों को टीबी के कोर्स के दौरान तक सरकार की ओर से दी जाने वाली प्रति माह 500 रुपये को सहायता राशि खाते में पहुंचने में दिक्कत आ गई है। निजी चिकित्सकों की ओर से पिछले वर्षों के मरीजों के खाते की जानकारी नहीं दिए जाने से सहायता अटकी पड़ी है। इससे टीबी नियंत्रण विभाग को दिक्कतें बढ़ गई है। ऐसे मरीजों की तादाद करीब 600 है। विभाग अब खाते की सूचनाएं एकत्र करने में लगा है।

दरअसल, एक अप्रैल वर्ष 2018 से सरकार ने टीबी रोगियों को उनके इलाज के कोर्स के पूरे होने तक प्रतिमाह 500 रुपये देने की व्यवस्था कर दी थी। ऐसे में तब वर्ष 2018 में जनपद में 3200 टीबी रोगी चिह्नित कर इलाज की प्रक्रिया में लाये गये। ऐसे भी मरीज हैं जो प्राइवेट चिकित्सकों के यहां से चिह्नित हुए थे। उस समय चिकित्सकों के यहां मरीजों के बैंक खाते ही डिटेल नहीं ली गई थी। अब जब सहायता राशि देने की योजना शुरू हुई तो खातों का ब्यौरा तैयार किया जाने लगा। इसमें विभागीय टीमों द्वारा चिह्नित किए मरीजों के बैंक खाते तो जुटा लिए गए, लेकिन प्राइवेट से आए मरीजों के खातों की कोई जानकारी नहीं हुई। टीबी नियंत्रण से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि, 2018 के मरीजों में से प्राइवेट के मरीजों पर खाते नहीं मिल पाए थे, अब एकत्र किए जा रहे हैं। जबकि 2019 में चिह्नित किये गये 3500 मरीजों के खाते का ब्यौरा मौजूद है और उनके खाते में सहायता राशि भेजी गई है, जिनके खाते नहीं थे, उनके परिवार के सदस्य के खाते मरीज की सहमति आधार पर दर्ज कर लिए गए।

डाकघर से खुलवा रहे खाते

वर्ष 2018 के प्राइवेट चिकित्सकों से चिन्हित मरीजों के खाते खुलवाने के लिए विभाग अब डाकघरों की मदद ले रहा है। डाक घरों के जरिये उनके खाते खुलवाए जा रहे हैं। जिससे आगामी समय में प्रति माह के हिसाब से उनकी पूरी सहायता राशि भेजी जा सके। इस स्थिति को सीएमओ प्रतिमा श्रीवास्तव ने भी गंभीरता से लेकर संबंधित अधिकारियों को दिशा निर्देश जारी किए हैं।

वर्ष 2018 के प्राइवेट चिकित्सकों से चिह्नित मरीजों में कुछ मरीजों के बैंक खाते उपलब्ध नहीं हुए हैं, कुछ के नाम पते भी पूरे नहीं थे, अब आशाओं और विभाग कर्मियों को लगाकर उनके खाते भी खुलवाने के लिए हम प्रयास कर रहे हैं, वर्ष 2019 के सभी मरीजों को सहायता भेजी गई है।

-प्रतिमा श्रीवास्तव, सीएमओ

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