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नेहा हत्याकांड में गैंगरेप में आरोप तय करने की मांग

डीईआई की शोध छात्रा नेहा शर्मा हत्याकांड में बुधवार को एक नया मोड़ आया। अभियोजन की ओर से पूर्व में तय आरोप में संशोधन के लिए प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया...

नेहा हत्याकांड में गैंगरेप में आरोप तय करने की मांग
हिन्दुस्तान टीम,आगराWed, 30 May 2018 08:02 PM
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डीईआई की शोध छात्रा नेहा शर्मा हत्याकांड में बुधवार को एक नया मोड़ आया। अभियोजन की ओर से पूर्व में तय आरोप में संशोधन के लिए प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया गया। इसमें आरोपियों के खिलाफ गैंगरेप समेत अन्य धाराओं में आरोप तय की मांग की गई है। अपर जिला जज नवम मोहम्मद असलम सिद्दकी ने सुनवाई के लिए 21 जून नियत की है। हालांकि अभी गवाही की प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकी है। 13 मार्च 2013 को नेहा शर्मा की बेरहमी से हत्या हुई थी। मामले में आरोपी उदय स्वरूप पिछले दो साल से जेल में बंद है। जबकि संधू बाहर है। पुलिस ने पहले इसे रेप के प्रयास के दौरान हत्या माना था। सीबीआई ने डीएनए टेस्ट में रेप की पुष्टि के बाद उदय के खिलाफ चार्जशीट लगाई थी। सीबीआई ने यशवीर संधू को क्लीनचिट दी थी। कोर्ट ने सीबीआई की क्लीनचिट को नहीं माना था। संधू के खिलाफ भी आरोप तय किए थे। नेहा के पिता रिचपाल शर्मा के प्रार्थना पत्र पर शासन ने मामले की प्रभावी पैरवी के लिए पूर्व जिला शासकीय अधिवक्ता अशोक कुमार गुप्ता को स्वतंत्र लोक अभियोजक नियुक्त किया था। स्वतंत्र लोक अभियोजक अशोक कुमार गुप्ता की ओर से कोर्ट में प्रस्तुत प्रार्थना पत्र में कहा कि सीबीआई की विवेचना, पोस्टमार्टम रिपोर्ट व डीएनए जांच समेत अन्य जांचों में यह निकल कर आया है कि रेप की घटना में एक व्यक्ति ही नहीं और भी हो सकते हैं। उसके आधार पर उदय स्वरूप और यशवीर संधू पर गैंगरेप की धारा 376 डी व कॉमन इंटेंनशन की धारा 34 के तहत आरोप तय हों। पूर्व में तय आरोपों में संशोधन किया जाए। उन्होंने इस बाबत सुप्रीम कोर्ट की नजीरों का हवाला भी दिया। आरोपी उदय जेल से पेश हुआ तथा यशवीर संधू भी उपस्थित रहा। वहीं नेहा के पिता रिचपाल शर्मा भी मौजूद रहे। हाईकोर्ट से उदय को नहीं मिली राहतआगरा। इलाहाबाद हाईकोर्ट से आरोपी उदय को राहत नहीं मिली है। हाईकोर्ट ने तीन जून को होने वाली प्रतियोगी परीक्षा की अनुमति की याचिका खारिज कर दी है। साथ ही जमानत याचिका भी निरस्त हो चुकी है। परीक्षा की अनुमति देने की याचिका सत्र न्यायालय से निरस्त होने के बाद आरोपी की ओर से हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन वहां से भी कोई राहत नहीं मिली है।

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