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कासगंज में लॉकडाउन से कंठीमाला उद्योग को करोड़ों की चपत

तीर्थ नगरी में धार्मिक गतविधियां ठप होने की वजह से कंठी, माला, कांच गंगाजली का कारोबार को करोड़ों रुपये से अधिक की चपत लग चुकी है। सोरों व उसके आस-पास इस कारोबार से एक दर्जन थोक विक्रेताओं के साथ ही...

कासगंज में लॉकडाउन से कंठीमाला उद्योग को करोड़ों की चपत
हिन्दुस्तान टीम,आगराWed, 20 May 2020 06:00 PM
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तीर्थ नगरी में धार्मिक गतविधियां ठप होने की वजह से कंठी, माला, कांच गंगाजली का कारोबार को करोड़ों रुपये से अधिक की चपत लग चुकी है। सोरों व उसके आस-पास इस कारोबार से एक दर्जन थोक विक्रेताओं के साथ ही एक हजार से अधिक कारीगरों को उनके घरों पर ही काम मिलता है। थोक विक्रेताओं व कारीगरों को अब लॉक डाउन खुलने का इंतजार है। जिससे सोरों में आर्थिक गतिविधियों में तेजी आए। राजस्थान, मध्यप्रदेश के साथ ही अन्य प्रांतों व आस-पास से तीर्थ यात्री सोरों नहीं आ पा रहे हैं। जिसकी वजह से हरिपदी गंगा के घाट सूने पड़े हैं।

आधा दर्जन तीर्थ स्थलों पर जाती है गंगाजली व कंठी माला :सोरों के कादरबाड़ी में बनी गंगाजली, कंठी माला और कांवड़ आदि कई र्ग्थस्थलों को भेजा जाता है। फर्रूखाबाद के श्रंगीरामपुर, राजघाट, रामघाट व आस-पास स्नान पर्वों पर लगने वाले मेला में भी सोरों में बनी गंगाजली व अन्य सामिग्री की काफी मांग रहती है। सोरों व आस-पास के क्षेत्रों में यह कारोबार गरीब परिवारों में कुटीर उद्योग के रूप में किया जाता है। जिससे एक हजार से अधिक मजदूरों को रोजगार मिलता है।

तीर्थ पुरोहित कर रहे हैं पिंडदान किया शुरू कराने की मांग :सोरों के तीर्थ पुरोहित व गंगाजली और कंठी माला कारोबार से जुड़े लोग चाहते हैं कि राजस्थान व मध्यप्रदेश से अनुमति लेकर आने वाले तीर्थ यात्रियों को पिंडदान क्रिया कराने की अनुमति मिले। जिससे सोरों में आर्थिक गतिविधियों में तेजी आए और कुटीर उद्योग के रूप में काम कर रहे कारीगरों को भी परिवार चलाने में दिक्कतें न आएं।

सोरों में नहीं बन रहा इलायची दाना :सोरों में बना इलायची दाना राजस्थान व मध्यप्रदेश तक जाता है। तीर्थ यात्री प्रसाद के रूप में कंठी, माला व इलायची दाना ले जाते हैं। नगर के कई परिवारों में इलाचयी दाना विशेष तरीके से तैयार किया जाता है। तीर्थ यात्रियों के न आने से यह कारीगर भी खाली बैठे हैं।

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