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हिस्ट्रीशीटर की मौत में दारोगा पर हत्या का मुकदमा

दारोगा से गुत्थम-गुत्था के दौरान हिस्ट्रीशीटर की मौत के मामले में हत्या का मुकदमा हुआ है। जुगनू की मां ने चौकी इंचार्ज दयालबाग योगेंद्र सिंह व बोदला चौकी के सिपाही मनोज को नामजद किया है। मुकदमे में...

हिस्ट्रीशीटर की मौत में दारोगा पर हत्या का मुकदमा
हिन्दुस्तान टीम,आगराSat, 25 Nov 2017 01:28 AM
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दारोगा से गुत्थम-गुत्था के दौरान हिस्ट्रीशीटर की मौत के मामले में हत्या का मुकदमा हुआ है। जुगनू की मां ने चौकी इंचार्ज दयालबाग योगेंद्र सिंह व बोदला चौकी के सिपाही मनोज को नामजद किया है। मुकदमे में चार अन्य सिपाहियों का जिक्र है। मुकदमा तोड़फोड़, मारपीट, हत्या, बलवा, साजिश और साक्ष्य नष्ट करने की धारा के तहत है। एसएसपी ने दारोगा और सिपाही को हटा दिया है। मानवाधिकार आयोग को रिपोर्ट भेजी गई है। मजिस्ट्रेटी जांच कराई जा रही है।

याद रहे कि चौकी इंचार्ज दयालबाग योगेंद्र सिंह शारदा विहार, बोदला निवासी जुगनू के घर कुर्की नोटिस चस्पा करने गए थे। वह लूट के मुकदमे में वांछित था। घर पर मिलने पर पुलिस ने उसे पकड़ लिया था। थाने लाते समय उसने भागने का प्रयास किया था। पुलिस से उसकी मारपीट हुई थी। वीडियो वायरल हुआ था। थाने लाते समय जुगनू की मौत हो गई थी। पुलिस ने शव पोस्टमार्टम हाउस भेजा था। जानकारी पर घरवालों ने हंगामा किया था। दहतोरा मोड़ पर बवाल हुआ था।

जुगनू के घरवालों ने रात को पोस्टमार्टम से इनकार कर दिया। वे इस जिद पर अड़ गए कि पहले हत्या का मुकदमा लिखा जाए। तब पोस्टमार्टम कराएंगे। पुलिस ने उन्हें समझाने का बहुत प्रयास मगर वे नहीं माने। दारोगा पर हत्या का आरोप लगाते रहे। सुबह होते होते पोस्टमार्टम हाउस पर मजमा जुट गया। बवाल का डर पुलिस को सताने लगा। एसएसपी अमित पाठक ने आदेश दिए कि जो भी तहरीर मिले उस पर मुकदमा लिखा जाए। पुलिस पोस्टमार्टम रिपोर्ट और साक्ष्यों के आधार पर जांच करे।

जुगनू की मां कृष्णा देवी ने तहरीर दी। जगदीशपुरा थाने में मुकदमा लिखा गया। एसएसपी अमित पाठक ने बताया कि जो मामला पुलिस हिरासत में मौत का है। मजिस्ट्रेटी जांच कराई जा रही है। नामजद पुलिस कर्मियों को हटा दिया गया है। मुकदमे की जांच सर्किल के बाहर के थाने से कराई जाएगी। पुलिस साक्ष्यों के आधार पर निष्पक्ष कार्रवाई करेगी।

संगीनों के साय में हुआ अंतिम संस्कार

हिस्ट्रीशीटर जुगनू सिंह का शव उसके घर पहुंचा बवाल होगा। पुलिस को यह भय अंतिम संस्कार तक सताता रहा। पुलिस ने घरवालों से साफ बोल दिया कि उनके कहने पर मुकदमा लिख गया है। अब उन्हें भी पुलिस की बात माननी होगी। शव पोस्टमार्टम हाउस से सीधे श्मशान घाट जाएगा। क्रिया करम के बाद ही पुलिस हटेगी। घरवाले इसके लिए तैयार हो गए।

शाम करीब चार बजे पोस्टमार्टम के बाद जुगनू का शव पुलिस के सुरक्षा घेरे में निकला। कई थानों की पुलिस एंबूलेंस के आगे-पीछे चली। जगदीशपुरा इलाके में पहले से फोर्स तैनात कर दिया गया था। दिनभर पुलिस यह जानने में जुटी रही कि बवाल की योजना तो नहीं है। जुगनू के घरवालों ने भीड़ को समझाया। कहा कि अब बवाल से कोई फायदा नहीं। मुकदमा दर्ज हो गया है। बवाल हुआ तो पुलिस को उन पर दबाव बनाने का मौका मिल जाएगा। कानून की लड़ाई लड़ी जाएगी। मां कृष्णा देवी ने कहा कि बेटे को इंसाफ दिलाकर ही दम लेंगी। चाहें कुछ हो जाए वह झुकने वाली नहीं हैं। पुलिस किसी से भी दबाव बनवा ले। उनकी आंखों के सामने दारोगा बेटे को घसीटता हुआ ले गया था। पुलिस की मौजूदगी में जुगनू का शव आवास विकास के सेक्टर तीन स्थित श्मशान घाट पहुंचा। वहां अंतिम संस्कार के बाद पुलिस ने राहत की सांस ली।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने उलझाया

घरवालों का आरोप है कि पुलिस ने जुगनू को पीट-पीटकर मार डाला। पुलिस आशंका जता रही थी कि हृदय गति रुकने से उसकी मौत हुई होगी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में स्थिति साफ नहीं हुई है। रहस्य बरकरार हैं। पोस्टमार्टम पैनल से कराया गया था। वीडियोग्राफी कराई गई। रिपोर्ट में मौत का कारण अस्पष्ट है। बिसरा सुरक्षित रखा गया है। बिसरा उस स्थिति में सुरक्षित रखा जाता है जब मौत जहर से होने का अनुमान हो। रिपोर्ट में दिल का मरीज जरूर दर्शाया गया है।

न्यू आगरा का वांछित, जगदीशपुरा बेखबर

अपराधी हाईटेक हो रहे हैं और पुलिस आज भी पुराने ढर्रे पर चल रही है। शहर में एक थाने के वांछित की जानकारी संबंधित थाने को नहीं है। आखिर इसका जिम्मेदार कौन है। यह सवाल उठ रहा है। जगदीशपुरा थाने का हिस्ट्रीशीटर जुगनू फरार नहीं था। अपने घर पर ही रह रहा था। एक सप्ताह पूर्व जगदीशपुरा पुलिस ने उसे पूछताछ के लिए थाने बुलाया था। निकाय चुनाव के दौरान हिस्ट्रीशीटरों की निगरानी बढ़ाई गई थी। उस पर जगदीशपुरा थाने की पुलिस की नजर थी। ऐसे हिस्ट्रीशीटर की न्यू आगरा पुलिस कुर्की की तैयारी में थी। कोर्ट में यह बताया गया कि वह फरार है। जगदीशपुरा थाने को नहीं बताया गया कि उनके यहां रहने वाला युवक उनके यहां वांछित है। जगदीशपुरा पुलिस को इसकी जानकारी होती तो शायद जुगनू एक सप्ताह पूर्व ही गिरफ्तार हो जाता। यह नौबत ही नहीं आती। उसे जेल भेज दिया जाता।

अपहरण के मुकदमे से बना हिस्ट्रीशीटर

32 वर्षीय जुगनू का कोई लंबा चौड़ा आपराधिक इतिहास नहीं है। वह ईंट मंडी में मजदूरी करता था। 300 रुपये रोज कमाता था। पहला मुकदमा वर्ष 2009 में उसके खिलाफ चोरी और माल बरामदगी का लिखा गया था। वर्ष 2009 में ही उसका भाई एक लड़की को लेकर भाग गया। अपहरण का मुकदमा दर्ज हुआ। उसे भी नामजद किया गया। इस घटना के बाद शारदा विहार से 18 जून 2009 से मल्लोदेवी के बेटे का अपहरण हुआ। इस मामले में जुगनू को नामजद किया गया। बच्चा दूसरे दिन बरामद हो गया था। उसे जेल भेजा गया। इसके बाद से उसके खिलाफ कोई मुकदमा दर्ज नहीं हुआ था। वर्ष 2016 में न्यू आगरा पुलिस ने उसके दो भाइयों को मोबाइल लूट में जेल भेजा था। इसी मुकदमे में उसे वांछित किया गया था। इस बात से पूरा परिवार बेखबर था। पुलिस ने कभी उसकी गिरफ्तारी के लिए घर पर दबिश नहीं दी थी। पुलिस ने फरवरी 2010 में उसकी हिस्ट्रीशीट खोली थी।

वंदेमातरम यूथ ब्रिगेड से जुड़ा था

जुगनू के घरवालों ने बताया कि वह पूरी ईमानदारी से अपना जीवन यापन कर रहा था। चार बच्चों की जिम्मेदारी उसके कंधों पर थी। वंदेमातरम यूथ ब्रिगेड से जुड़ा हुआ था। उसे लगता था कि नेतागिरी करने पर पुलिस बेवजह परेशान नहीं करती है। किसी मुकदमे में झूठा नहीं फंसाती है।

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