‘मैं उन्हें छोड़ दूं और कुछ न कहें... ने समा बांधा
साहित्य संगीत संगम की ओर से मिर्जा गालिब की 222वीं सालगिरह के मौके पर बज्मे गालिब का आयोजन शहर के एक होटल के सभागार में...
साहित्य संगीत संगम की ओर से मिर्जा गालिब की 222वीं सालगिरह के मौके पर बज्मे गालिब का आयोजन शहर के एक होटल के सभागार में हुआ। शुभारंभ रामजीलाल सुमन, अरुण डंग, डॉ. राजेंद्र मिलन ने मिर्जा गालिब के चित्र के समक्ष शमां रोशन कर किया।
अतिथियों का स्वागत डॉ. शिवानी चतुर्वेदी व अनिल डंग ने किया। कार्यक्रम में ‘मैं उन्हें छोड़ दूं और कुछ न कहें... की कुमारी श्रेया, अंशु, रिंकू और देशदीपक ने प्रस्तुति दी। उसके बाद ‘जहां तेरे नक्शे कदम देखते हैं, सिरामा खिरामा इरम देखते हैं से गायक सुनील नारायन ने महफिल में समां बांध दिया। ओस सत्संगी ने ‘न था कुछ तो खुदा था... जैसी अध्यात्मिक रंग की गजल को सुरों में पिरोया। संचालन सुशील सरित ने किया।